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खुलासा: शाहरुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी से करोड़ों वसूलना चाहता था आरोपी, खुद को NCB अफसर बताता था केपी गोसावी!

Nilmani Pal
11 Nov 2021 1:45 PM GMT
खुलासा: शाहरुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी से करोड़ों वसूलना चाहता था आरोपी, खुद को NCB अफसर बताता था केपी गोसावी!
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मुंबई क्रूज़ ड्रग केस को लेकर 2 और 3 अक्टूबर की रात मुंबई के गलियारों में जो कुछ हुआ, उसका तकरीबन पूरा का पूरा सच खुलकर सामने आ चुका है. मुंबई पुलिस की स्पेशल एनक्वायरी टीम यानी एसआईटी ने इस सिलसिले में अब तक केपी गोवासी के बॉडीगार्ड रह चुके प्रभाकर सैल समेत कई गवाहों से पूछताछ की है. कहानी का लब्बोलुआब यही है कि वो क्रूज़ ड्रग्स केस का गवाह नंबर वन केपी गोसावी ही था, जो एनसीबी अफ़सर बनकर आर्यन ख़ान को इस मामले से निकालने के लिए शाहरुख की मैनेजर पूजा ददलानी से करोड़ों रुपये वसूलने की कोशिश कर रहा था. लेकिन ऐन मौके पर आर्यन के साथ ली गई उसकी एक सेल्फ़ी ने उसकी पोल खोल कर रख दी और इसी के साथ वसूली का पूरा प्लान औंधे मुंह नीचे आ गिरा.

अब तक की छानबीन में जहां मुंबई पुलिस ने इस साज़िश की तमाम कड़ियों को जोड़ लिया है, वहीं सबूत के तौर पर उसके पास गोसावी और ददलानी के कथित सीसीटीवी फुटेज के साथ-साथ मोबाइल फ़ोन की लोकेशन, सीडीआर और कई दूसरी टेक्निकल एविडेंस मौजूद हैं, जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता. कहानी की तस्दीक के लिए प्रभाकर सैल और विजय पघारे जैसे इंडिपेंडेंट विटनेस यानी स्वतंत्र गवाहों के बयान भी हैं, और तो और इस वसूली रैकेट में शामिल कई किरदारों के एक्सट्रा ज्यूडिशियल कनफेशंस यानी किसी भी कानूनी एजेंसी से दूर वसूली को लेकर की आपस में की गई बातचीत के सबूत भी मिल चुके हैं. लेकिन इतना होने के बावजूद जहां जाकर मुंबई पुलिस को रुकना पड़ रहा है, वो है इस मामले के उन किरदारों का अब तक मुंबई पुलिस से दूर होना, गोसावी एंड कंपनी पर जिन लोगों से वसूली का इल्ज़ाम लगा है. और वो लोग हैं शाहरुख की मैनेजर पूजा ददलानी और फिल्म एक्टर चंकी पांडेय के भाई चिक्की पांडेय.

दरअसल, प्रभाकर सैल की शिकायत के बाद इस मामले की एनक्वायरी कर रही मुंबई पुलिस ने इस मामले में अपना बयान दर्ज करवाने के लिए पूजा ददलानी और चिक्की पांडेय को सम्मन जारी कर रखा है, लेकिन दोनों ही अलग-अलग वजहों से अब तक मुंबई पुलिस के सामने हाज़िर नहीं हुए हैं. पूजा ददलानी ने जहां अपनी खराब तबीयत का हवाला दिया है, वहीं चिक्की पांडेय ने तो सीधे अपनी कोविड पॉज़िटिव की रिपोर्ट ही मुंबई पुलिस को थमा दी है. इस मामले में एक तरफ़ जहां ददलानी से रुपये वसूलने की कोशिश किए जाने की बात सामने आई है, वहीं ये भी पता चला है कि गोसावी ने ददलानी तक पहुंचने के लिए चिक्की पांडेय से भी बात की थी. और ऐसे में मुंबई पुलिस इस मामले की 90 फीसदी छानबीन पूरी कर लेने के बावजूद इन किरदारों से पूछताछ किए बिना आगे नहीं बढ़ पा रही है. शायद यही वजह है कि मुंबई पुलिस फिलहाल जहां इस मामले में कोई भी एफआईआर दर्ज करने बच रही है, वहीं वो इस मामले में ये लीगल ओपिनियन भी ले रही है कि अगर ददलानी और पांडेय ने मुंबई पुलिस से यूं ही दूरी बनाए रखी, तो क्या वो सिर्फ़ प्रभाकर सैल के बयान को आधार बना कर वसूली के मामले में केस दर्ज कर सकती है या नहीं?

उलझ गई रिश्वत की पहेली

अब सवाल ये उठता है कि अगर पूजा ददलानी और चिक्की पांडेय मुंबई पुलिस से मिले सम्मन के बावजूद पूछताछ के लिए हाज़िर नहीं हो रहे हैं, तो उसकी वजह क्या है? अगर एक पल के लिए ये मान भी लिया जाए कि ददलानी और पांडेय की तबीयत अब उतनी ख़राब नहीं है कि वो अपना बयान दर्ज ना करा सकें, तो फिर जो बात समझ में आती है, वो है इस मामले में क़ानूनी कार्रवाई का ख़तरा उन दोनों पर भी है. दरअसल क़ानून की नज़र में रिश्वत लेना और देना दोनों ही जुर्म है. ऐसे में अगर गोसावी एंड कंपनी पर रिश्वत वसूलने की कोशिश करने का इल्ज़ाम है, तो फिर ददलानी और चिक्की पर अपने-आप ही रिश्वत देने की कोशिश करने का जुर्म भी बनता है. ऐसे में दोनों का पुलिस से घबराना भी लाज़िमी है. बल्कि जानकार तो यहां तक बता रहे हैं कि इस मामले में सिर्फ़ वसूली की कोशिश ही नहीं हुई, बल्कि एडवांस के तौर पर 50 लाख रुपये वसूल भी लिए गए थे. लेकिन जब मामला उल्टा पड़ गया, तो आनन-फानन में ये रुपये ददलानी को लौटा दिए गए और अगर ये बात सच है, तो मामला और भी गंभीर हो जाता है.

बल्कि सच्चाई तो ये है कि मामला कहीं इससे भी ज़्यादा गंभीर है. पूजा ददलानी का क़ानून के शिकंजे में आने का मतलब शाहरुख ख़ान का क़ानून की ज़द में आना भी है. दूसरी ओर गोसावी की गिरफ्तारी का मतलब एनसीबी के ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े का फंसना भी है. क्योंकि इतना तो साफ़ है कि पूजा ददलानी सिर्फ़ अपने तौर पर ही आर्यन को एनसीबी के चंगुल से छुड़ाने के लिए रिश्वत देने की कोशिश करेगी, ये बात समझ में नहीं आती है. और ठीक इसी तरह गोवासी बगैर एनसीबी के बड़े अफ़सरों या फिर यूं कहें कि समीर वानखेड़े की जानकारी के ये सारा जाल-बट्टा फैला रहा होगा, इस बात पर यकीन करना भी उतना ही मुश्किल है.

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