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मशहूर संगीतकार प्रीतम चक्रवर्ती ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें संगीतकार बनना है।

HARRY
14 Jun 2023 4:27 PM GMT
मशहूर संगीतकार प्रीतम चक्रवर्ती ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें संगीतकार बनना है।
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मेरा ड्रीम नहीं था और न ही हिम्मत।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | 14 जून 1971 को कोलकाता में जन्मे हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकार प्रीतम चक्रवर्ती ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें संगीतकार बनना है। हालांकि संगीत का माहौल बचपन से ही उनके घर पर रहा। प्रीतम के पिता प्रबोध चक्रवर्ती मशहूर गिटार वादक थे और बच्चों को गिटार सिखाते थे। उनकी मां अनुराधा चक्रवर्ती का भी झुकाव संगीत की तरफ रहा है, लेकिन कभी भी उन्होंने इसे अपना प्रोफेशन नहीं बनाया। प्रीतम का संगीत से पहला परिचय उनके पिता ने ही कराया था, लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि प्रीतम संगीत के क्षेत्र में अपना करियर बनाएं। फिर कोलकाता से निकल कर प्रीतम ने इंडस्ट्री में कैसे धूम मचाई? आइए जानते हैं, खुद प्रीतम की कहानी, उन्हीं की जुबानी...

बचपन में तो कभी ऐसा सोचा नहीं था कि आगे चलकर संगीतकार बनना है। अभी तो बहुत सारे प्रोफेशन हैं जिसमें करियर बनाया जा सकता है। हमारे जमाने में तो डॉक्टर, इंजीनियर, सीए के अलावा दूसरे प्रोफेशन के बारे में सोचते ही नहीं थे।मेरे पापा हमेशा से यही कहते थे कि म्यूजिक के क्षेत्र में मत जाओ, क्योंकि वह सुरक्षित काम नहीं है। तुम्हे कोई जॉब करना चाहिए। मेरे ध्यान में यह कभी नहीं था कि म्यूजिक को अपना प्रोफेशन बनाऊंगा। कोलकाता के बहुत ही लोअर मिडिल क्लास परिवार से मैं आता हूं। मुंबई आकर म्यूजिक के बारे में संघर्ष करने का न मेरा ड्रीम नहीं था और न ही हिम्मत।

मेरे डैडी को म्यूजिक से बहुत प्यार था। वैसे तो वह रेलवे में काम करते थे। लेकिन मेरे घर पर म्यूजिक का स्कूल था और डैडी बच्चों गिटार सीखते थे। गिटार उनका बहुत ही फेवरेट था। म्यूजिक से मेरी जो पहचान हुई है, वह डैडी के वजह से ही हुई है। मम्मी को भी म्यूजिक का बहुत शौक है। मम्मी स्कूल टीचर थी, लेकिन कभी म्यूजिक को अपना प्रोफेशन बनाने के बारे में नहीं सोचा था। डैडी को लगता था कि शौकिया तौर पर म्यूजिक ठीक है, लेकिन इसे प्रोफेशन नहीं बनाया जा सकता है। इसलिए वह चाहते थे कि पढाई करके कोई न कोई जॉब कर लूं।

जब मेरा ग्रेजुएशन खत्म हुआ तो मैं जियोलॉजी में एमएससी कर रहा था। लेकिन मेरा मन पढाई में नहीं लग रहा था। शौकिया पर एक म्यूजिक बैंड से जुड़ गया और मैं गिटार बजाता था। उस दौरान मैंने सोचा कि यूपीएससी का एग्जाम दूंगा, अगर आईईएस नहीं बन पाया तो बैंक या कहीं और जॉब कर लूंगा। उसी दौरान मैने एक अखबार में पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट का एक विज्ञापन देखा। इससे पहले मुझे कभी मालूम भी नहीं था कि कोई फिल्म इंस्टीट्यूट होता भी है। उसमे साउंड रिकॉर्डिंग इंजीनियरिंग का एक कोर्स था। मेरे लिए यह अच्छा भी था, क्योंकि यह फिल्म मेकिंग से जुड़ा हुआ विषय है। मैं खुश हो गया क्योंकि यह मेरे रूचि का विषय था। घर के लिए यह साउंड इंजिनियरिंग कोर्स था। इसलिए मैं घर पर बोल सका कि इंजीनियरिंग करने जा रहा रहा हूं।

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