बॉलीवुड के जानेमाने पार्श्वगायक उदित नारायण आज 67 वर्ष के हो गये। उदित नारायण झा का जन्म नेपाल में एक दिसंबर 1955 को एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन के दिनों से ही उनका रुझान संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायक बनना चाहते थे।
इस दिशा में शुरुआत करते हुए उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा पंडित दिनकर कैकिनी से हासिल की। उदित नारायण ने गायक के रूप में अपने करियर की शुरुआत नेपाल में आकाशवाणी से की जहां वह लोक संगीत का कार्यक्रम पेश किया करते थे। लगभग आठ वर्षतक नेपाल के आकाशवाणी मंच से जुड़े रहने के बाद वह 1978 में मुंबई चले गये और भारतीय विद्या मंदिर में स्कॉलरशिप हासिल कर शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेने लगे।
वर्ष 1980 में उदित नारायण की मुलाकात मशहूर संगीतकार राजेश रौशन से हुयी जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान करके अपनी फिल्म 'उन्नीस बीस' में पार्श्वगायक के रूप में उन्हें काम करने का मौका दिया लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह नकार दी गयी। दिलचस्प बात है कि इस फिल्म में उन्हें अपने आदर्श मोहम्मद रफी के साथ पार्श्वगायन का मौका मिला। लगभग दो वर्ष तक मुंबई में रहने के बाद वह पार्श्वगायक बनने के लिये संघर्ष करने लगे। आश्वासन तो सभी देते लेकिन उन्हें काम करने का अवसर कोई नहीं देता था। इस बीच उदित नारायण ने 'गहरा जख्म', 'बड़े दिल वाला', 'तन बदन', 'अपना भी कोई होता' और 'पत्तों की बाजी' जैसी बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में पार्श्वगायन किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।
लगभग दस वर्ष तक मायानगरी मुंबई में संघर्ष करने के बाद 1988 में नासिर हुसैन की आमिर खान अभिनीत फिल्म 'कयामत से कयामत तक' में अपने गीत "पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा" की सफलता के बाद उदित नारायण गायक के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये। कयामत से कयामत तक की सफलता के बाद उदित नारायण को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये जिनमें राम अवतार,त्रिदेव ,महासंग्राम ,दिल ,सौगंध,फूल और
कांटे जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल थीं। इन फिल्मों की सफलता के बाद उदित नारायण ने सफलता की नयी बुलंदियों को छुआ और एक से बढ़कर एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।