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जो कि सिनेमा से होते हुए आज घर-घर में मशहूर हो गए हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | तू पैदा होते ही मर क्यों नहीं गया…, ये दिन देखने से पहले मैं मर क्यों नहीं गई…, तुझे इस दिन के लिए पाल पोसकर बड़ा किया था.., ये वो कुछ फिल्मी डायलॉग्स हैं जो कि सिनेमा से होते हुए आज घर-घर में मशहूर हो गए हैं. अगर इन डायलॉग्स को पढ़कर आप अंदाजा लगा चुके हैं कि ये किस कलाकार द्वारा बोले गए हैं तो अच्छी बात है. पर अगर आप अभी भी यह जानने की कोशिश में अपना सिर खुजला रहे हैं, तो चिंता मत कीजिए हम आपको एक हिंट देते हैं यानी एक डायलॉग… 'मेरे पास मां है…'
अब तो आपको अंदाजा हो गया होगा हम किसकी बात कर रहे हैं. नहीं, हम शशि कपूर (Shashi Kapoor) और अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की बात नहीं कर रहे, बल्कि यहां तो 'मां' की बात हो रही है यानि निरूपा रॉय (Nirupa Roy) की. 9 मई, 2021 को पूरा देश 'मदर्स डे' (Mother's Day 2021) सेलिब्रेट कर रहा है. इस मौके पर हमने सोचा कि क्यों न आज उस फिल्मी मां की बात की जाए, जिसने बड़े पर्दे पर मां के किरदार को इतनी बखूबी से निभाया कि उन्हें 'बॉलीवुड की मां' कहा जाने लगा.
इस मां को ऑन स्क्रीन देख आज भी दर्शकों की आंखों से आते हैं आंसू
एक ऐसी मां, जिसके जीवन में केवल दुख ही दुख हैं. कभी फटी हुई साड़ी पहने रोते-बिलखते हुए नजर आती, तो कभी बेटे की जिंदगी के लिए दर-दर भटकती. इस मां का ऑन स्क्रीन दर्द देख आज भी लोगों की आंखों से आंसू बहने लगते हैं. अपने करीब 50 साल के करियर में निरूपा रॉय ने 270 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया. निरूपा रॉय बहुत खूबसूरत थीं. ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों से होते-होते वह जब रंगीन फिल्मी दुनिया में पहुंचीं, तो उन्हें सबसे ज्यादा कामयाबी तभी मिली, जब उन्होंने अमिताभ बच्चन, शशि कपूर और धर्मेंद्र जैसे न जाने कितने ही अभिनेताओं की मां का किरदार निभाया.
जवानी में तो उन्हें रुपहले पर्दे से वो पहचान न मिल सकी, जिसकी वह हकदार थीं, लेकिन मां का किरदार निभाने के बाद उन्हें वो मुकाम मिला जो आज तक कोई हासिल नहीं कर पाया है यानी 'बॉलीवुड की मां' का टैग. हालांकि, निरूपा रॉय की फिल्मों में कुछ खास रुचि नहीं थी, लेकिन वो कहते हैं न कि जो ऊपर वाले और किस्मत को मंजूर हो, वही होता है. निरूपा रॉय के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.
15 साल की उम्र में हो गई थी शादी
4 जनवरी, 1931 में गुजरात के वलसाड में एक सामान्य हिंदू परिवार में जन्म हुआ था- कोकिला किशारचंद्र बलसारा उर्फ निरूपा रॉय का. निरूपा पढ़ना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता कुछ पुराने खयालों के थे. रेलवे में नौकरी करते थे. पिता के विचार थे कि लड़कियों को ज्यादा शिक्षा नहीं दिलानी चाहिए. इसका ही यह नतीजा निकला कि निरूपा की 15 साल की उम्र में शादी कर दी गई.
निरूपा रॉय के पति का नाम कमल रॉय था. वह बहुत ही खुशमिजाज और आजाद खयालों वाले इंसान थे. उन्होंने कभी भी निरूपा को न ही किसी चीज के लिए रोका और न ही टोका. शादी के कुछ समय बाद निरूपा के पति कमल उन्हें लेकर सपनों की नगरी मुंबई आ गए. कमल रॉय को एक्टिंग का बहुत शौक था. एक बार कमल ने एक अखबार में विज्ञापन पढ़ा कि एक फिल्मकार को अपनी नई फिल्म के लिए नए चेहरों की जरूरत है. उन फिल्मकार का नाम था- विष्णु कुमार व्यास.
पति हुए रिजेक्ट, पर निरूपा हुईं सिलेक्ट
कमल रॉय ने ऑडिशन देने की तैयारी कर ली थी. उन्होंने निरूपा से भी साथ चलने को कहा. निरूपा भी उनके साथ विष्णु कुमार व्यास के ऑफिस जा पहुंचीं. अब यहां आया कहानी में बड़ा ट्विस्ट. कमल और निरूपा ने ऑडिशन दिया, पर कमल को रिजेक्ट कर दिया गया और निरूपा सिलेक्ट हो गईं. यहां से शुरू हुआ निरूपा रॉय का फिल्मी सफर. हालांकि, यह ब्रेक उन्हें गुजराती फिल्म में मिला था. हिंदी में उनका सफर शुरू होना अभी बाकी था.
कुछ गुजराती फिल्में करने के बाद निरूपा को पहला हिंदी सिनेमा में ब्रेक मिला 1946 में आई फिल्म 'अमर राज' से. हालांकि, निरूपा रॉय को बड़ा ब्रेक दिया था- जाने माने निर्माता-निर्देशक जयंत देसाई ने. 1950 में आई फिल्म 'हर हर महादेव' में निरूपा को बतौर अभिनेत्री कास्ट किया गया. यह फिल्म बड़े पर्दे पर सुपरहिट साबित हुई. इस फिल्म के बाद निरूपा रॉय को एक के बाद एक धार्मिक फिल्में ही मिलती चली गईं.
बढ़ती उम्र में मिली कामयाबी
दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले एक चैट शो 'फूल खिले हैं गुलशन गुलशन' में एक इंटरव्यू के दौरान निरूपा रॉय ने कहा था कि मैं बहुत खूश हूं कि मैंने हर प्रकार की फिल्मों में काम किया. फिर वह चाहे सामाजिक हों, इतिहासिक या फिर पौराणिक. उन्होंने यह भी बताया था कि वे 40 पौराणिक फिल्मों में काम कर चुकी थीं, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है. शायद ही किसी अभिनेत्री ने इतनी पौराणिक फिल्मों में अभिनय किया था.
हालांकि, जवानी में जितना फेम निरूपा रॉय को नहीं मिल पाया, उससे कहीं ज्यादा उन्हें बाद में मिला यानी मां के रोल निभाकर. निरूपा रॉय खुद कहती थीं कि उम्र बढ़ने के बाद कलाकार रिटायर हो जाता है, पर मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ. उम्र बढ़ने के साथ-साथ मैं ज्यादा व्यस्त हो गई. खासकर, तब जब मुझे हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार्स की मां का किरदार निभाने को मिला. निरूपा रॉय का एक सफल करियर रहा था. फिल्मों में मां के किरदार से बेहतरीन छाप छोड़ने वालीं निरूपा राय को साल 2004 में हार्ट अटैक आया और वह दुनिया को अलविदा कह गईं.
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