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अमरीश पुरी को रावण बनता देखना चाहते थे 'रामायण' के राम

Rounak Dey
15 May 2023 4:14 PM GMT
अमरीश पुरी को रावण बनता देखना चाहते थे रामायण के राम
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फिर अरविंद त्रिवेदी कैसे बन गए लंकेश?

जनता से रिश्ता बेबडेस्क | 80 के दशक में टेलीकास्ट हुई रामानंद सागर की 'रामायण' के बारे में लोग आज भी पढ़ना पसंद करते हैं। यही कारण है कि हम आपको आए दिन 'रामायण' से जुड़े अलग-अलग किस्से बताते रहते हैं। आज भी हम आपको 'रामायण' की स्टारकास्ट से जुड़ा एक अनोखा किस्सा बताने जा रहे हैं। ये किस्सा विशाल व्यक्तित्व और बुलंद आवाज वाले अभिनेता अरविंद त्रिवेदी से जुड़ा हुआ है। यूं तो रामानंद सागर की 'रामायण' में अरविंद त्रिवेदी ने रावण का किरदार निभाया था लेकिन, वे रावण के किरदार के लिए पहली पसंद नहीं थे।

अरविंद त्रिवेदी ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में अपनी कास्टिंग का किस्सा बताया था। उन्होंने कहा था, 'मैं गुजरात में थिएटर करता था। एक दिन मुझे पता चला कि रामानंद सागर जी 'रामायण' के किरदारों की कास्टिंग कर रहे हैं। मैंने अपना सामान उठाया और गुजरात से मुंबई ऑडिशन देने पहुंच गया। वैसे तो मैं केवट का किरदार निभाना चाहता था लेकिन, मुझे रावण का किरदार मिल गया। सच बताऊं तो मैं रावण के किरदार के लिए पहली पसंद नहीं था।"

अरविंद त्रिवेदी ने आगे बताया था, "सब चाहते थे कि 'रामायण' में रावण का किरदार अभिनेता अमरीश पुरी निभाएं। लेकिन, जब मैं केवट के किरदार के लिए ऑडिशन देकर बाहर निकला तब मेरी बॉडी लैंग्वेज और ऐटीट्यूड देखकर रामानंद सागर जी बोले, 'मुझे मेरा रावण मिल गया'। अरुण गोविल और पूरी टीम ने रामानंद सागर जी से कहा था कि अभिनेता अमरीश पुरी इस किरदार के लिए पूरी तरह से फिट हैं। लेकिन, रामानंद सागर जी ने मेरी आवाज की वजह से मुझे रावण बनने का मौका दिया।'

बता दें, अरविंद त्रिवेदी के लिए रावण बनना आसान नहीं था। उन्हें शूटिंग के लिए तैयार होने में पांच घंटे का समय लगता था। इतना ही नहीं, उन्हें भारी-भरकम वस्त्र और आभूषण भी पहनने पड़ते थे। रिपोर्ट्स की मानें तो केवल उनके मुकुट का ही वजन दस किलो का हुआ करता था। कहा तो ये भी जाता है कि उन्हें शूटिंग के लिए बंबई से ट्रेन पकड़कर उमरगाम जाना पड़ता था। कई बार तो उन्हें ट्रेन में सीट तक नहीं मिलती थी। वे खड़े-खड़े पूरा सफर तय करते थे। हालांकि, धारावाहिक के आने के बाद जब लोग उन्हें पहचानने लगे तब उन्हें ट्रेन में बैठने के लिए सीट दे दिया करते थे।

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