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चुपके से कर दिया गया था राज कुमार का अंतिम संस्कार, श्मशान यात्रा के तमाशा बनने से डरते थे

Neha Dani
7 July 2022 8:49 AM GMT
चुपके से कर दिया गया था राज कुमार का अंतिम संस्कार, श्मशान यात्रा के तमाशा बनने से डरते थे
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'पाकीजा' (1972) जैसी कई शानदार फिल्मों में नजर आ चुके हैं।

बॉलिवुड के टॉप सितारों में से एक राज कुमार ने अपने करियर में 70 से अधिक फिल्मों में काम किया। राज कुमार अपनी ऐक्टिंग नहीं बल्कि अपने डायलॉग्स की वजह से भी खूब चर्चा में रहे हैं। हालांकि, जबरदस्त फैन फॉलोइंग रखने वाले राज कुमार जब इस दुनिया से विदा हुए तो उनका अंतिम संस्कार गुपचुप ही कर दिया गया, जिसके बारे में लोगों को पता भी नहीं लग पाया।

अंतिम संस्कार को लेकर कही थी बात
राज कुमार करीब दो साल तक गले के कैंसर से लड़ते रहे और आखिरकार उन्होंने जुलाई 1996 में मौत के सामने घुटने टेक दिए। राज कुमार का निधन हो गया और चुपचाप उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके पीछे वजह काफी खास रही थी। दरअसल बताया जाता है कि अपनी मौत से पहले उन्होंने इंडस्ट्री में साथ काम करने वाले अपने साथी से कहा था कि वह नहीं चाहते कि उनके अंतिम संस्कार में फिल्म इंडस्ट्री से कोई भी शामिल हो।

'मरते दम तक' की शूटिंग के दौरान की बात
डायरेक्टर मेहुल कुमार ने एक इंटरव्यू में राज कुमार के साथ साल 1987 की फिल्म 'मरते दम तक' की शूटिंग के दौरान की बात की है। आखिरी शॉट राज कुमार के अंतिम संस्कार का था, जिसे खंडाला में होटल फरियाज के के बाहर शूट किया गया था। ऐक्टर ने मेहुल को जोर देकर एक उनकी बॉडी पर हार भी चढ़ाने को कहा था।

वह तब वैन में लेटे हुए थे और उनपर एक माला चढ़ा दी
मेहुल ने उस घटना को याद करते हुए कहा, 'वह वैन में लेटे हुए थे और मैंने उनपर एक माला चढ़ा दी। राज साहब ने मजाक करते हुए कहा था- जानी अभी पहना लो हार, जब जाएंगे तुम्हें पता ही नहीं लगेगा। उस वक्त मैंने कुछ ज्यादा नहीं कहा। मैंने इतना ही कहा- मैं चाहता हूं कि आपकी उम्र लंबी हो।'


'श्मशान यात्रा को तमाशा बना देते हैं'
राज कुमार की इन बातों ने मेहुल के मन में कई सवाल छोड़ दिए। पैकअप के बाद वह ऐक्टर के पास पहुंचे और इसे लेकर सवाल किया। राज कुमार ने जवाब देते हुए कहा, 'जानी, तुमको मालूम नहीं, श्मशान यात्रा को तमाशा बना देते हैं फिल्म लाइन में। लोग सफेद कपड़ों में और फिर प्रेस के लोग भी। जो लोग गुजर चुके हैं उन्हें श्रद्धांजलि देने की जगह इसे तमाशा बन जाता है। मेरा अंतिम संस्कार मेरी फैमिली के लिए होगा, मेरी फैमिली के अलावा इसे कोई अटेंड नहीं करेगा।'

कई बेहतरीन फिल्मों में आ चुके हैं नजर
राज कुमार ने साल 1952 में फिल्म 'रंगीली' से डेब्यू किया था। वह 'मदर इंडिया'(1957), 'हमराज' (1967), 'हीर रांझा' (1971), 'लाल पत्थर' (1971) , 'पाकीजा' (1972) जैसी कई शानदार फिल्मों में नजर आ चुके हैं।

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