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इसलिए सरकार को ऐसे टाइम पर उनके लिए कुछ करना चाहिए था।'
प्रियंका चोपड़ा की बहन और ऐक्ट्रेस मीरा चोपड़ा की वेब सीरीज 'कमाठीपुरा' 8 मार्च को रिलीज हो गई है। मुंबई के रेड लाइट एरिया पर आधारित इस वेब सीरीज में वह पुलिस अफसर के किरदार में नजर आएंगी तो तनुज विरमानी पहली बार विलेन का किरदार निभा रहे हैं। वहीं, मीरा चोपड़ा ने नवभारत टाइम्स के साथ बातचीत में सरकार से अपील की है कि विमंस डे से प्रॉस्टिट्यूशन को लीगल कर दिया जाए ताकि सेक्स वर्कर्स की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके।
मीरा चोपड़ा ने कहा, 'जब मैं कमाठीपुरा के रियल लोकेशन पर शूट कर रही थी। हम लोगों ने कोई सेट नहीं बनाया था। हम लोगों ने जितने भी जगह पर छापे मारे है वह देह व्यापार करने वाले लोगों के घर हैं। जब मैं उन लोगों से बात करती थी तो पता चला कि इस धंधे में एक लोग से 500-1000 रुपए मिलते हैं और इस पैसे में भी कमीशन चला जाता है। आखिर में उनके हाथ में सिर्फ 200-300 रुपये आते हैं। इस तरह से दिन भर में वह 1500-2500 रपये ही कमा पाती हैं। यह सुनकर मुझे बहुत अजीब लगा।'
सरकार को कम से कम भत्ता देना चाहिए
मीरा चोपड़ा ने आगे कहा, 'मुझे लगता है कि हमारे देश में प्रॉस्टिट्यूशन गैरकानूनी तरीके से चल रहा है। इससे अच्छा है कि इसे लीगल कर देना चाहिए। मेरा मानना है कि सरकार को सेक्स वर्कर के लिए कुछ करना चाहिए। कम से कम उनको भत्ता तो देना ही चाहिए। सरकार को इस कम्युनिटी को लेकर कुछ तो करना चाहिए। हम लोग सिर्फ बात कर सकते हैं लेकिन जो कुछ करना है वह ऊपर बैठे ही लोग कर सकते हैं।'
प्रियंका चोपड़ा की बहन मीरा की सरकार से अपील, वुमंस डे से लीगल करें प्रॉस्टिट्यूशन
सेक्स वर्कर्स ने की आत्महत्या
ऐक्ट्रेस ने प्रॉस्टिट्यूशन को लीगल करने को लेकर कहा, 'मैं चाहती हूं कि प्रॉस्टिट्यूशन लीगल हो जाना चाहिए क्योंकि हमारे देश की इतनी आबादी है तो इतनी बड़ी बात नहीं है। अगर सरकार इस धंधे को लीगल नहीं कर सकती हैं तो कम से कम उन लोगों को महीने का कुछ पैसा दे दो। जुलाई के दौरान जब हम लोगों ने कमाठीपुरा में शूट किया था तब लॉकडाउन के चार महीने चुके थे। मुझे पता चला कि लॉकडाउन के दौरान उनका धंधा बंद हो गया था क्योंकि कोई वहां जा नहीं रहा था। वह लोग जो भी कमाते थे वह सब रुक गया था। सरकार भी उन लोगों को कुछ नहीं दे रही थी तो ऐसी स्थिति आई कि कई सेक्स वर्कर्स ने आत्महत्या कर ली थी। उनके पास खाने के पैसे नहीं थे कि उन्हें अपनी जान देनी पड़ी। इसलिए सरकार को ऐसे टाइम पर उनके लिए कुछ करना चाहिए था।'
Rounak Dey
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