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आर्थिक तंगी: 'प्लीज मेरी जान ले लो, नहीं चाहिए ऐसी जिंदगी', स्ट्रेचर पर लेटीं इस जानी-मानी एक्ट्रेस के बोल

jantaserishta.com
15 July 2021 12:43 PM GMT
आर्थिक तंगी: प्लीज मेरी जान ले लो, नहीं चाहिए ऐसी जिंदगी, स्ट्रेचर पर लेटीं इस जानी-मानी एक्ट्रेस के बोल
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'प्लीज मेरा गला घोंटकर मुझे मार दें, मुझे ऐसी जिंदगी नहीं जीनी है. इससे बेहतर तो है कि मैं मर जाऊं. मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है, जो मुझे संभाले..' एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर लेटीं एक्ट्रेस सविता बजाज के ये बोल थे, जब उनकी बिगड़ती हालत को देखकर उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था. सविता वहां बैठे स्टाफ से गिड़गिड़ाते हुए मौत की गुहार मांग रही थीं.

सारे पैसे इलाज पर झोंक दिए
इंडस्ट्री की जानी-मानी वेटरेन एक्ट्रेस सविता बजाज के ये शब्द आपको जरूर परेशान कर देंगे, लेकिन सविता अपनी तंगहाली से इतनी मजबूर हैं कि उन्हें मौत के अलावा और कुछ भी नहीं सूझ रहा है. बता दें, सविता इन दिनों बेहद ही बीमार चल रही हैं, सांस फूलने की बीमारी और पैसे की कमी के बीच उलझीं सविता के पास उम्मीद का कोई सहारा नहीं हैं. आजतक से बातचीत करते हुए सविता बताती हैं,'मेरी हालत बिलकुल भी ठीक नहीं है, मेरा यहां कोई नहीं है. मैंने पैसे तो बहुत कमाए थे, लेकिन सब इलाज में खत्म हो गए. बैंक में मेरे पास महज 35 हजार रुपये थे, वो भी अब निकल गए हैं.'
आजतक किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया है. अब उम्र के इस पड़ाव में पैसे मांगना बहुत बुरा लगता है. इससे अच्छा, तो ऊपरवाला मुझे उठा ले. जब नुपुर अलंकार (को-एक्ट्रेस) मुझसे मिलने आईं और उन्होंने मीडिया में अपनी हालात बताने को कहा, तो मैं उनसे गुस्सा हो गई थी. मैंने अपनी खुद्दारी का उन्हें वास्ता दिया था. मैं जानती हूं कि यहां कोई सगा नहीं है, मदद के लिए नहीं आएंगे. मजबूरी क्या क्या करवाए. अब जब मीडिया के सामने भी खबर गई, तो मुझे कोई खास मदद नहीं मिली है. लोग हाल-चाल पूछते हैं, लेकिन पैसे की मदद के लिए कोई आगे नहीं आता है. अभी तो बस सिंटा का ही भरोसा है. उनसे मिलने वाली मदद से ही ये वक्त कट रहा है.
मुझसे चिढ़ जाया करती थीं सविता जी
सिंटा मेंबर नुपुर अलंकार ने सविता बजाज के साथ एक शो में काम किया है. टीवी की जानी-मानी एक्ट्रेस नुपुर को जब सविता की हालत का अंदाजा हुआ, तो फौरन उन्हें कॉल कर उनका हाल जानना चाहा. आजतक से बातचीत कर नुपुर बताती हैं, मैंने सविता जी के साथ आज के कई साल पहले काम किया था. जब उनकी हालत का अंदाजा हुआ, तो मैंने उन्हें कॉल किया. मेरे कॉल्स से वे परेशान हो जाती थीं. खीझते हुए कई बार मेरा फोन तक काट दिया था. उन्होंने पहले से ही मान लिया था कि कोई भी उनकी मदद नहीं करेगा. मैं उनसे फोन पर ही लगातार संपर्क में थी. एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि वे मिलना चाहती हैं. वे मेरे घर आईं और जब उन्होंने अपनी हालात बताई, तो सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए.
नहीं चाहती थीं कि मीडिया के सामने उनका हाला सामने आए
नुपुर आगे कहती हैं, उनको इस दुनिया में अकेला देखकर मैं उन पर नजर रखने लगी. वे इस दौरान बीमारी की वजह से अस्पताल में एडमिट होती रही हैं. लेकिन बीच में ही ईलाज छोड़कर वापस घर लौट जाती थीं. दरअसल उनके पास बिल जमा करने के लिए पैसा नहीं होते थे. मैं अचानक से उनसे मिलने घर चली गई. घर जाकर जो उनकी हालत देखी, मुझे लगा कि उनकी तबियत बिगड़ी जा रही है. आखिरकार वे अस्पताल में दाखिल हुईं. वहां उनके बैंक के सारे पैसे खत्म हो गए. तब जाकर उन्होंने मुझे बताया कि नुपुर आजतक किसी के सामने हाथ नहीं फैलाए हैं, लेकिन अब मेरे पास पैसे नहीं हैं क्या करूं. तब मैंने उन्हें मीडिया में अपनी हालात बताने को कहा, जिसे सुनकर वे मुझपर गुस्सा हो गईं और कहने लगीं कि कोई मदद नहीं करेगा. काफी जोर देने पर वे राजी हुईं. वे फिलहाल अस्पताल में हैं और मैं उनकी देखभाल कर रही हूं. किराए वाला घर देखकर आप हैरान हो जाएंगे, घर पूरी तरह से तितर बितर है. मैं रोजाना जाकर झाड़ू पोछा कर देती हूं.
अभी तक नहीं मिली है मदद
न्यूज आने के बाद भी अबतक कोई मदद नहीं मिल पाई है. बस एक कोई आदमी है, जिसने खबर सुन उन्हें वृद्धाआश्रम में रखने की बात कह रहा था. तो वहीं दूसरे ने बस कॉल कर मुझसे कहा है कि सविता बजाज जैसी महिला पैसे मांग ही नहीं सकती.
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