एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कुछ ऐसे कपल्स हैं, जो भले ही अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में लोगों को नहीं बताते हों, लेकिन उन्होंने हमेशा प्यार और शादी में हमारे विश्वास को बहाल किया है। ऐसी ही एक जोड़ी है, पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) और उनकी खूबसूरत पत्नी मृदुला की। फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में खलनायक 'सुल्तान क़ुरैशी' के रूप में पॉपुलैरिट हासिल करने वाले पंकज भारतीय सिनेमा के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं।
'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' से ग्रेजुएट पंकज त्रिपाठी ने 2004 में फिल्म 'रन' व 'ओमकारा' में छोटी भूमिकाओं के साथ बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की थी और अब लगभग दो दशकों के करियर के साथ पंकज ने अपने शानदार परफॉर्मेंस से हमारा दिल जीत लिया है। चाहे वह वेब सीरीज 'मिर्ज़ापुर' में 'कालीन भैया' हों या 'स्त्री' में 'रुद्र', पंकज ने अपनी सभी भूमिकाएं बहुत ही कुशलता से निभाई हैं। हालांकि, अपने करियर के संघर्षों और उतार-चढ़ाव के दौरान पंकज के जीवन में एकमात्र स्थिर चीज़ उनकी पत्नी मृदुला हैं। उनकी लव स्टोरी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। तो आइए बिना किसी देरी के आपको इसके बारे में बताते हैं।
पंकज त्रिपाठी की मृदुला से पहली मुलाकात
पंकज की मृदुला से मुलाकात तब हुई थी, जब वह नौवीं क्लास में पढ़ती थीं और वह ग्यारहवीं क्लास में थे। यह 'पहली नज़र का प्यार' था और पंकज को वह पल स्पष्ट रूप से याद है, जब उन्हें मृदुला से प्यार हो गया था। 'स्कूपव्हूप' के साथ एक साक्षात्कार में पंकज ने खुलासा किया था कि उन्हें 1993 में अपनी बहन की शादी में मृदुला से प्यार हो गया था।
इसके बारे में विस्तार से बताते हुए पंकज ने कहा था, "यह मेरी बहन की शादी थी और मैंने उन्हें छत की बालकनी पर देखा और मन में सोचा, 'यह वह महिला है, जिसके साथ मैं अपना शेष जीवन बिताना चाहता हूं।' मुझे यह भी नहीं पता था कि वह कौन थीं या उस समय उनका नाम क्या था।
'द बेटर इंडिया' से बातचीत के दौरान मृदुला ने पंकज के साथ अपनी पहली मुलाकात के बारे में बात की थी और कहा था, "यह मेरे बड़े भाई का तिलक (सगाई समारोह) था। मैं तैयार होने के लिए छत पर एक छोटे से कमरे में जा रही थी, तभी भूरी आंखों, ब्राउन हेयर और दाढ़ी वाला यह लड़का मेरे पास आया। पूरे समारोह के दौरान वे आंखें मेरा पीछा करती रहीं।
कैसे परवान चढ़ा पंकज और मृदुला का रिश्ता?
उस समय के दौरान कपल के पास एक-दूसरे के साथ बात करने की सुविधा नहीं थी। हालांकि, पंकज हर पांच महीने में एक बार अपनी बहन से मिलने जाते थे और उन्हें मृदुला से बात करने का मौका मिलता था। वे घंटों बातें करते और एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताते।
मृदुला के शब्दों में, “मैं सुबह स्कूल के लिए निकलती थी और रात के खाने के बाद ही उनसे मिल पाती थी। वह हमारा समय था। हम कभी-कभी सुबह तक बैठकर बातें करते थे। हम दोनों को पढ़ना पसंद था और हमारे पास किताबों, उपन्यासों, कहानियों और लेखकों के बारे में बात करने के लिए बहुत कुछ था।''