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नई दिल्ली: पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने हाल ही में कहा कि सोशल मीडिया के दौर में बुद्धिजीवियों की जिम्मेदारी कहीं अधिक बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के युग में हर तरह की सामग्रियां उपलब्ध हैं. यही कारण है कि नैतिक मूल्यों के संरक्षण और देश के मार्गदर्शन के लिए बुद्धिजीवियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है. उन्होंने इस मसले पर भारतीय फिल्मों की भी आलोचना की है.
इमरान ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान एकेडमी ऑफ लेटर्स (पीएएल) में "हॉल ऑफ फेम" के उद्घाटन के अवसर पर लोगों को संबोधित किया था. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया एक सच्चाई है. हम इस पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं. हालांकि स्कॉलर्स और इंटेलेक्चुएल्स लोगों को सही और गलत के बीच अंतर करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. बुद्धिजीवी शब्दों और कलम के बल से देश की विचारधारा को प्रोटेक्ट कर सकते हैं. उन्होंने इस बात को लेकर खेद जताया कि नैतिक मूल्यों में धीरे-धीरे कमी देखने को मिल रही है जिसके चलते भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं.
पाकिस्तान में यौन अपराधों के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, सोशल मीडिया पर अनैतिक सामग्री के लिए उम्र की पाबंदी लगाई है. इसके बावजूद अश्लील कंटेंट उन तक पहुंच रहा है. ये एक बड़ा कारण है. आज के दौर के पाकिस्तान में, एक प्रभावी इनपुट और बुद्धिजीवियों की भागीदारी की जरूरत कई गुणा बढ़ गई है.
भारतीय फिल्मों की आलोचना करते हुए इमरान खान ने कहा कि भारत की सोसाइटी को पारिवारिक व्यवस्था के विनाश का सामना करना पड़ा है क्योंकि उनकी फिल्मों ने आपत्तिजनक कंटेंट को बढ़ावा दिया. इसका नतीजा ये हुआ कि नई दिल्ली को रेप कैपिटल कहा जाने लगा है. उन्होंने कहा कि एक देश जो सही और गलत का अंतर नहीं कर पाता है, वो अपना कैरेक्टर खो देता है. एथिक्स और नैतिकता किसी भी मजबूत समाज के बुनियादी स्तंभ होते हैं. इमरान खान ने इसके अलावा इंटेलेक्चुएल से ये भी आग्रह किया कि वे मॉर्डन जमाने में लोगों को बीते दौर के मुस्लिम समाजों के बारे में बताएं जिनका साम्राज्य युद्ध से नहीं बल्कि बौद्धिक शक्ति के माध्यम से फैला था.
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