जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मुगलिया सल्तनत के बादशाह अकबर ने अपनी वीरता से हर जंग फतेह की लेकिन उनके घर में वैचारिक मतभेद को लेकर जो जंग चल रही है, उसमें उनकी एक न चली। वेब सीरीज ‘ताज’ बताती है कि सत्ता के लिए दूसरों का खून बहाना बहुत आसान होता है, लेकिन जब अपने परिवार के बीच खूनी खेल खेलने की साजिश रची जा रही हो तो एक बाप मजबूर हो जाता है। सीरीज के दूसरे सीजन में अकबर की बेबसी और लाचारी दिखाई गई है, लेकिन एक बादशाह इसे जाहिर नहीं कर सकता क्योंकि वह पूरी सल्तनत का बादशाह होता है। देखा जाए तो सीरीज की असली कहानी दूसरे सीजन में शुरू हुई है।
पहले सीजन में कहानी जहां खत्म होती है वहीं से दूसरी कहानी शुरू होती है। लेकिन, कहानी में 15 साल का अंतराल आ चुका है। सुल्तान सलीम के बेटे खुसरव और खुर्रम बड़े हो चुके है। अकबर के छोटे बेटे दानियाल को लगता है कि सल्तनत का उत्तराधिकारी वह खुद ही है। सल्तनत के उत्तराधिकारी का दावेदार तो सलीम का बेटा खुसरव भी है लेकिन दानियाल को खुसरव से डर नहीं लगता। कहानी में जबरदस्त मोड़ तब आता है, जब शेख सलीम चिश्ती की सलाह पर अकबर अपने बड़े बेटे सलीम को वापस बुलाता है। अकबर चाहते है कि सलीम सारी बुरी आदतें छोड़कर सिर्फ सल्तनत के बारे में सोचे लेकिन सलीम को अकबर के खौफ का डर नहीं। दानियाल पहले से ज्यादा क्रूर हो चुका है और सलीम को अपने रास्ते से हटाने की सोचता है।
पहले सीजन की तुलना में सीजन दो काफी प्रभावशाली लगता है। बादशाह अकबर किसी भी बाहरी खतरे की तुलना में, बहुत अधिक पारिवारिक तनाव के चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। पहले सीजन की अपेक्षा दूसरे सीजन में एक्शन कम है और पटकथा पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। इस बार सीरीज के मेकर्स ने बहुत सारी गलतियां सुधारने की कोशिश की हैं, जो पहले सीजन में दिखी। पहले सीजन में बादशाह अकबर की भूमिका में नसीरुद्दीन शाह ने काफी निराश किया, लेकिन इस बार उनकी परफॉर्मेंस खूब निखर कर आई है। एक दिक्कत पहले सीजन के साथ ये भी रही कि इसकी तुलना फिल्म 'मुगल ए आजम' से की गई।
सीरीज के पहले सीजन 'ताज डिवाइडेड बाय ब्लड' बादशाह अकबर के उस उत्तराधिकारी की खोज के बारे में थी जो मुगलिया सल्तनत को संभाल सके। लेकिन बादशाह अकबर की जो आभा रही है उसे नसीरूद्दीन शाह पेश नहीं कर पाए थे। लेकिन सीरीज के दूसरे सीजन में बादशाह अकबर के दूसरे पक्ष को दिखाया गया है जिससे दर्शक अभी तक अनजान हैं। एक बादशाह पिता भी होता है, बादशाह और पिता के चरित्र को नसीरुद्दीन शाह दूसरे सीजन में बहुत ही स्वाभाविक और संयम तरीके से निभाया है।
सीरीज की खास आकर्षण अभिनेत्री सौरसेनी मैत्रा रही हैं, जिन्होंने मेहरुन्निसा का किरदार निभाया है। सौरसेनी मैत्रा बांग्ला फिल्मों की जानी मानी अभिनेत्री हैं और हिंदी में 'ब्रेक अप स्टोरी', 'एक थी बेगम' जैसी सीरीज में काम कर चुकी हैं। सलीम की भूमिका में आशिम गुलाटी और दनियाल की भूमिका में शुभम कुमार मेहरा ने पहले से बेहतर काम किया है। शेख सलीम चिश्ती के रूप धर्मेंद्र का मेकअप और वेशभूषा पूरी तरह से उनके चरित्र को बदल देता है और उनकी मजबूत और भारी भरकम आवाज उनके शब्दों का वांछित प्रभाव छोड़ती है।
कहते हैं कि अगर आपका कैप्टन अच्छा हो तो कोई भी जंग आसानी से जीती जा सकती है। चाहे वो क्रिकेट का मैदान हो या फिर सिनेमा। वेब सीरीज ‘ताज’ सीजन दो के निर्देशन की जिमेद्दारी इस बार विभु पूरी के कंधे पर है। हालंकि निर्देशक के रूप में उन्होंने पहले सीजन में रॉन स्कैल्पेलो का साथ दिया था, लेकिन पहले सीजन में उनका प्रभाव नहीं दिखा। यहां तक की एकता कपूर के टीवी शो 'जोधा अकबर' से भी यह सीरीज कमजोर साबित हुई थी। इस बार निर्देशन की जिम्मेदारी विभु पूरी के कंधे पर अकेली रही और इन्होंने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि सीरीज किसी भी स्तर पर कमजोर ना दिखे।