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No Time to Die Review: इमोशनल जेम्स बॉन्ड, डैनियल क्रेग का शानदार अलविदा गान

Shiddhant Shriwas
1 Oct 2021 2:19 AM GMT
No Time to Die Review:  इमोशनल जेम्स बॉन्ड, डैनियल क्रेग का शानदार अलविदा गान
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डैनियल क्रेग (Daniel Craig) विदा हो गए। अब वह दोबारा कभी जेम्स बॉन्ड का किरदार करते नहीं दिखेंगे। 15 साल का उनका इस जासूसी दुनिया का सफर एक ऐसे मोड़ पर फिल्म ‘नो टाइम टू डाइ’ में आ पहुंचा,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। डैनियल क्रेग (Daniel Craig) विदा हो गए। अब वह दोबारा कभी जेम्स बॉन्ड का किरदार करते नहीं दिखेंगे। 15 साल का उनका इस जासूसी दुनिया का सफर एक ऐसे मोड़ पर फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' में आ पहुंचा, जहां हर हीरो आकर अलविदा कहना चाहेगा। बहुत भावुक पल है ये। फिल्म देखते समय बार बार याद आती है साल 2012 में डैनियल क्रैग से हुई मुलाकात। तब, फिल्म 'स्काईफाल' के प्रीमियर पर लंदन का न्यौता पाने वाला भारत का मैं इकलौता हिंदी पत्रकार/फिल्म समीक्षक था। डैनियल क्रेग से लंदन के डॉरचेस्टर होटल में हुई मुलाकात अविस्मरणीय रही। तब वह जेम्स बॉन्ड के रूप में अपनी तीसरी फिल्म के लिए काफी उत्साहित थे। तब तक जेम्स बॉन्ड एक खालिस जासूस ही था। ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई 6 का जासूस जिसे ओहदा मिला था 007 का। 00 एमआई6 का कोड होता है और 7 नंबर मिलना मतलब 'लाइसेंस टू किल'। इस बार फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' में दो 007 हैं। दोनों का मिलना रोचक है। साथ काम करना रोमांचक है। और, फिर दोनों का अलग होना बहुत ही भावुक। जेम्स बॉन्ड इतना फिल्मी पहले कभी नहीं हुआ।

जेम्स बॉन्ड की 25वीं फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' को देखते हुए हाल ही में एक और फिल्म अभिनेता रयान रेनॉल्डस की कही वह बात याद आती है कि हॉलीवुड अब हिंदी सिनेमा की नकल करने लगा है। फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' को देखकर ये बात फिर साबित होती है। फिल्म की लंबाई किसी हिंदी फिल्म की तरह है, दो घंटे 43 मिनट। जेम्स बॉन्ड फ्रेंचाइजी की ये अब तब की सबसे लंबी फिल्म है। फिल्म का हीरो यानी जेम्स बॉन्ड देश के लिए लड़ने निकलता है लेकिन अब वह हर दूसरी सुंदर लड़की के साथ हमबिस्तर नहीं होता। उसके दिल का एक कोना एक खास लड़की के लिए रिजर्व हो चुका है। उसे लगता है उसने धोखा खाया है लेकिन फिर भी वह कहता है कि जो भी पल उसने इस लड़की के साथ बिताए, वह हमेशा अनमोल रहेंगे। उसका प्यार हमेशा वैसा ही रहेगा जैसा उसने इस लड़की का आगा पीछा जाने बिना किया था। और, ये सब करने का उसे अफसोस भी नहीं है। है ना बिल्कुल किसी हिंदी फिल्म का हीरो।

फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' का आनंद इसे सिनेमाघर में देखकर ही लेना चाहिए। फिल्म बनी भी बड़े परदे के हिसाब से ही है। समीक्षा में फिल्म की पूरी कहानी अपराध माना जाता है। संक्षेप में इतना बता सकते हैं कि जेम्स बॉन्ड जिसे उसकी अपनी एजेंसी ने मरा हुआ मान लिया था, वह अपने अज्ञातवास से बाहर आता है। तब तक एजेंसी ने उसकी जगह नया 007 रख लिया है। उसके बॉस को अपने इस खासमखास मातहत की काबिलियत पता है। खतरा बहुत बड़ा है। फिल्म हालांकि कोरोना संक्रमण काल शुरू होने के पहले ही बन चुकी थी लेकिन कहानी ये है कि कैसे एक खास डीएनए के हिसाब से तैयार वायरस से तबाही मचाई जा सकती है। जेम्स बॉन्ड को इस तबाही को फैलने से रोकना है। हर तरह की कुर्बानी देकर। साथ में कहानी के तमाम और किरदार किसी नौलखे हार में जड़े हीरे की तरह अपनी चमक बिखेरते रहते हैं।

ऐसी फिल्मों का मजा बिना इंटरवल के फिल्म देखने में ही है। आईमैक्स थिएटर की लॉबी में हालांकि लिखा भी दिखा कि यहां फिल्में बिना इंटरवल के दिखाई जाती हैं लेकिन फिल्म बीच में फिर भी रुकी। चाय समोसे बेचने के लिए। इतना अंतराल भी दर्शकों को इसलिए भारी पड़ा क्योंकि नीएल परविस, रॉबर्ट वेड, कैरी जोजी फुकुनागा और फोएबे वालर ब्रिज की लिखी फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' पटकथा आपको एक सेकंड भी अपना ध्यान भटकाने की इजाजत नहीं देती। फिल्म की शुरुआत इस बार सीधे एक्शन सीन से न होकर थोड़े जज्बाती एहसासों के बाद एक्शन पर आती है।

फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' की कहानी में भारतीय नाट्य शास्त्र के सभी नौ रस हैं। सोने पर सुहागा कि जेम्स बॉन्ड की फिल्म 'स्पेक्टर' की हीरोइन भी कहानी में वापस आती है। लिया सेडॉक्स (Léa Seydoux) ने जेम्स बॉन्ड की बनती बिगड़ती प्रेमिका के रूप में प्रभावशाली अभिनय किया है। लशाना लिंच की झलकियां असर छोड़ती हैं। और, अना डि अरामास (Ana de Aramas) जितनी देर के लिए भी परदे पर रहती हैं, डैनियल क्रेग से लाइमलाइट छीनती नजर आती है। रामी मलेक (Rami Malek) रौद्र, वीभत्स, घृणा और भयानक रसों को एक साथ अपने एक किरदार में जी कर दिखाते हैं और विलेन होते हुए भी तालियां बटोर ले जाते हैं।

और, डैनियल क्रेग (Daniel Craig)! जेम्स बॉन्ड के करियर को इस ऊंचाई तक लाने के लिए सिनेमा का इतिहास उन्हें हमेशा हमेशा याद करेगा। दिखावे की मोहब्बत करने में माहिर एक किरदार को डैनियल क्रेग की शख्सीयत ही एक ऐसे रूप में बदल देती है जहां उसके जज्बात सिर्फ एक महिला के लिए ही बचे रह जाते हैं। जेम्स बॉन्ड की फ्रेंचाइजी का ये एक अनोखा पड़ाव रहा। डैनियल क्रेग की कद काठी, उनके चेहरे के हाव भाव, उनका एक्शन सीन्स में फुर्तीलापन और भावुक दृश्यों में लचीलापन जेम्स बॉन्ड को एक आम इंसान सा एहसास देता है। फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' वाकई बतौर जेम्स बॉन्ड के रूप में डैनियल क्रेग का अलविदा गान है।

जेम्स बॉन्ड सीरीज की पहली फिल्म निर्देशित कर रहे निर्देशक कैरी जोजी फुकुनागा (Cary Joji Fukunaga) ने करीब पौने तीन घंटे की इस फिल्म में अपने हुनर का सौ फीसदी कमाल करके दिखाया है। बतौर निर्देशक फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' उनकी अब तक की सबसे लंबी छलांग है। फिल्म 'इट' से पहले तो कम ही लोगों ने उनका नाम सुना था। अब दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश बचे जिसके फिल्म दर्शक उनके नाम से अनजान रहें। फिल्म की कहानी और पटकथा से जुड़ने के साथ ही उन्होंने अपने जेम्स बॉन्ड का जो खाका और जो ग्राफ कागज पर बनाया, उसे वह सिनेमा में तब्दील करने में काफी हद तक कामयाब रहे।

फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' की तकनीकी टीम भी अव्वल नंबर है। हैंस जिमर का संगीत फिल्म की रीढ़ की तरह काम करता है। जेम्स बॉन्ड का अकेलापन, उसका मोहब्बत के पलों का आवेग, एक्शन के दृश्यों का संवेग और अपनी ही मोहब्बत के हाथों धोखा पाने की वेदना, सब हैंस जिमर के संगीत का साथ पाकर डैनियल क्रेग की ताकत बन जाता है। लाइनस सैंडग्रेन की अगुआई में फिल्म की सिनेमैटोग्राफी टीम ने एक अद्भुत संसार परदे पर रचा है। नॉर्वे में निटेडेल के करीब स्थित लांगवान झील में जमे हुए पानी के ऊपर और नीचे के दृश्य कमाल के हैं। फिल्म की हर चेज सीक्वेंस में कैमरे का कमाल समझ आता है। फिल्म को पहले फ्रेम से आखिरी फ्रेम तक चुस्त दुरुस्त रखने का काम इसके वीडियो एडीटर्स एलियट ग्राहम और टॉम क्रॉस ने बहुत ही शानदार तरीके से कर दिखाया है। फिल्म 'नो टाइम टू डाइ' इस वीकएंड के लिए बिल्कुल परफेक्ट फिल्म है, देख डालिए।


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