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Mikhail Gorbachev: ऐसे नेता जो कम्युनिस्ट देश के थे सुप्रीम लीडर, सत्ता से हटने के बाद पिज्जा के मशहूर ब्रांड का किया ऐड
Kajal Dubey
31 Aug 2022 9:27 AM GMT
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: सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बावेच (Mikhail Gorbachev) का निधन हो गया.
Mikhail Gorbachev dies: सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बावेच (Mikhail Gorbachev) का निधन हो गया. वह 91 साल के थे. मिखाइल गोर्बाचेव यूनाइटेड यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) के अंतिम नेता थे. उनके कार्यकाल में दुनिया का सबसे बड़ा देश सोवियत संघ कई अलग अलग देशों में टूटकर अलग हो गया था. जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. पुतिन के साथ उनके मतभेद जगजाहिर हैं. उनकी पुतिन से कुछ मुलाकातें भी बाद में हुईं. लेकिन ये साफ है कि वो उन्हें पसंद नहीं करते थे. पश्चिम में कई लोग मिखाइल गोर्बाचेव को हीरो की तरह देखते हैं. आइए तस्वीरों के जरिए समझते हैं कि सोवियत संघ के टूटने के बाद कैसा रहा उनके आखिरी दिनों का सफर.अक्सर ये पूछा जाता है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद मिखाइल गोर्बाचेव का क्या हुआ. वह कहां गए. उनके पास कितनी संपत्ति थी. वो कैसे रहते थे. क्या करते थे. तो आइए आपको इन सभी सवालों का जवाब देते हैं. गोर्बाचेव का जन्म गरीब परिवार में हुआ था. वो स्तालिन राज में बड़े हुए. उन्होंने खेतों में काम किया. कानून की पढ़ाई की. पढ़ाई के दौरान ही कॉलेज में उन्हें रैसा से प्यार हो गया और उन्होंने उनसे शादी की. आमतौर पर सोवियत संघ और रूस के राष्ट्रपतियों को वूमनाइजर के तौर पर जाना जाता है लेकिन गोर्बाचेव के बारे में कहा जाता है कि वो ऐसे नहीं थे. उन्होंने केवल अपनी पत्नी को समर्पित जीवन बिताया. वे महिलाओं की बहुत इज्जत करते थे. कुछ साल पहले उनकी पत्नी रैसा की कैंसर से मृत्यु हो गई थीगोर्बाचेव प्रेस की आजादी के समर्थक थे. उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी दशक तक कई इंटरव्यू दिए. वो वैश्विक घटनाओं पर खुलकर टिप्पणी करते थे. उन्होंने ग्लासनोस्ट की नीति (पूर्व सोवियत संघ में 1985 में मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा शुरू की गई सरकार को खुलकर सलाह देने और सूचना के व्यापक प्रसार की नीति) और भाषण की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी, जिसपर उनके पहले के शासन के दौरान गंभीर रूप से अंकुश लगा दिया गया था. गोर्बाचेव ने पेरेस्त्रोइका या पुनर्गठन नामक आर्थिक सुधार का एक कार्यक्रम भी शुरू किया जो आवश्यक था, क्योंकि सोवियत अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति और आपूर्ति की कमी दोनों से जूझ रही थी. उनके समय में प्रेस और कलात्मक समुदाय को सांस्कृतिक स्वतंत्रता दी गई थी.
न्यूज़ क्रेडिट : जी न्यूज़
Kajal Dubey
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