मनोरंजन

शिवाजी और पंडित बिरजू महारज सहित कई प्रतिष्ठित कलाकारों को मिला सरकारी आवास खाली करने का नोटिस, लगाए ये आरोप

Neha Dani
17 Nov 2020 6:07 AM GMT
शिवाजी और पंडित बिरजू महारज सहित कई प्रतिष्ठित कलाकारों को मिला सरकारी आवास खाली करने का नोटिस, लगाए ये आरोप
x

FILE PIC 

सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित भारती शिवाजी और पंडित बिरजू महारज सहित कई प्रतिष्ठित कलाकारों को दिल्ली में आवंटित सरकारी मकान खाली करने का नोटिस भेजा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित भारती शिवाजी और पंडित बिरजू महारज सहित कई प्रतिष्ठित कलाकारों को दिल्ली में आवंटित सरकारी मकान खाली करने का नोटिस भेजा है. ऐसे में कलाकारों ने सोमवार को कहा कि सरकार के इस नोटिस पर आपत्ति जताई है और इस नोटिस से खुद को 'प्रताड़ित', 'अपमानित' और 'दुखी' महसूस कर रहे हैं.

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने इस साल अक्टूबर में कलाकारों, नर्तकों और संगीतकारों सहित कुल 27 प्रतिष्ठित कलाकारों को नोटिस जारी कर उन्हें दिल्ली में आवंटित सरकारी आवास 31 दिसंबर तक खाली करने को कहा था. साथ ही कहा था कि ऐसा नहीं करने पर सार्वजनिक परिसर (अवैध कब्जा धारकों से संपत्ति मुक्त करना) कानून के तहत सारे आवासों को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

इन कलाकारों को मिला नोटिस

जिन अन्य कलाकारों को आवास खाली करने का नोटिस दिया गया है, उनमें जतिन दास, पंडित भजन सपोरी, पंडित बिरजू महाराज, रीता गांगुली और उस्ताद एफ. वसीफुद्दीन डागर शामिल हैं. मोहिनीअट्टम नृत्यांगना भारती शिवाजी का कहना है कि वह सकते में हैं और उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि क्या करना है. एशियन विलेज में आवंटित आवास में रह रहीं शिवाजी का कहना है,"यह प्रताड़ना है. मेरे पास कोई और जमीन या संस्थान नहीं है, मैं अपना सारा सृजनात्मक काम घर से ही करती हूं. लेकिन ऐसा लगता है कि सत्ता के लिए पारंपरिक कलाओं का कोई मोल नहीं है."

मकान पर कब्जा नहीं किया

उन्होंने कहा कि पारंपरिक कलाओं का संरक्षण करने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे कलाकारों को सरकार कम से कम आवास देने का काम तो कर ही सकती है. कई कलाकारों ने अपने वर्तमान आवासीय स्थिति को 'अवैध' बताए जाने पर आपत्ति जताई है. कुचिपुड़ी नर्तक गुरु जयराम राव की पत्नी और कुचिपुड़ी नृत्यांगना वनाश्री राव का कहना है कि इस शब्द से ऐसा लगता है कि उन्होंने मकान पर 'अवैध' कब्जा किया हुआ था. मकान वनाश्री के नाम पर आवंटित है.

अतिक्रमण नहीं किया

वनाश्री ने कहा, "सबकुछ करने के बावजूद हमारे साथ अतिक्रमण करने वालों की तरह व्यवहार किया जा रहा है. हमने अतिक्रमण नहीं किया है." भारतीय नृत्य इतिहासकार सुनील कोठारी भी राव के विचारों से सहमत हैं. उनका कहना है,"मैं पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हूं. मैंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य और अन्य सहयोगी कलाओं पर कई पुस्तकें लिखी हैं और तमाम समितियों का सदस्य रहा हूं और मेरी सरकार बदले में मुझे यह दे रही है."

अपमानित महसूस कर रहे हैं कोठारी

सुनील कोठारी ने कहा,"88 साल की उम्र में मुझे 'गेट आउट' (बाहर निकलो) का नोटिस भेजा जा रहा है, मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं. मुझे उस जगह से निकाला जा रहा है, जो पिछले 20 साल से मेरा घर है." दुनिया भर में अपने 'पंखा कलेक्शन' के लिए मशहूर पेंटर जतिन दास का कहना है कि 'अपराधी' की तरह व्यवहार किए जाने से वह 'अपमानित' महसूस कर रहे हैं.

जतिन दास बोले पेंटिंग की कमाई से जुटाता हूं अगले प्रोजेक्ट का सामान

जतिन दास का कहना है, "मैं यह सोचकर शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं कि अपने काम और देश को 16 साल का समय देने के बाद भी अगर मैंने मकान खाली नहीं किया तो सड़क पर आ जाऊंगा." शहर में उनके अपने मकान क्यों नहीं है, यह समझाते हुए दास, शिवाजी और राव ने कहा कि उन्हें जो पैसे मिलते हैं, वे सृजन के काम में लग जाते हैं. अगले महीने 80 साल के हो रहे दास का कहना है, "मैं कोई व्यावसायिक कलाकार नहीं हूं. मैं कला के व्यापार में नहीं हूं. मेरी पेंटिग से जो भी कमाई होती है, उसे मैं अपनी अगली पेंटिंग बनाने का सामान जुटाने में लगा देता हूं."

वनाश्री राव दे रही हैं किराया

वनाश्री राव ने बताया कि मकान आवंटित होने के पहले तीन साल के बाद उन्हें वहां रहने की अनुमति दी गई, लेकिन 2014 के बाद से वह सरकारी नियमों के तहत मकान का किराया देती हैं. उन्होंने कहा,"2018 में, सरकार ने पिछले चार साल का कुछ 8-9 लाख रुपये का बकाया किराया का नोटिस भेजा था. हम उसका भुगतान भी कर रहे हैं, कभी 60 हजार तो कभी एक लाख रुपये करके, क्योंकि एक साथ इतना पैसा होना संभव नहीं है."

Next Story