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इन्हीं चीजों में मैं यकीन करता हूं और अपनी बेटी को भी यही सब सिखाने का प्रयास करता हूं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म जी5 पर आज रिलीज हुई फिल्म 'डायल 100' में मनोज बाजपेयी पुलिस अधिकारी निखिल सूद का किरदार निभा रहे हैं। 31 अगस्त को साल 1994 में रिलीज हुई मनोज की डेब्यू फिल्म 'द्रोहकाल' के 27 वर्ष पूरे हो जाएंगे। हिंदी सिनेमा में ढाई दशक से भी अधिक के सफर के अनुभवों, इस फिल्म और उनके व्यक्तिगत जीवन को लेकर मनोज से बातचीत के अंश:
सवाल : इस फिल्म में आपके लिए खास आकर्षण क्या रहा?
जवाब : इस फिल्म का नाम 'डायल 100' सुनते ही मुझे अंदाजा लग गया था कि यह कोई बढ़िया थ्रिलर फिल्म है। यह नाम बहुत ही अनोखा और आकर्षक था। थ्रिलर के अलावा यह फिल्म एक सामाजिक विषय पर भी बात करती है कि कैसे अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करें और उनको किसी गलत चक्कर में फंसने से बचाएं। आज इससे सभी माता-पिता जूझ रहे हैं। इस फिल्म में दिखाया गया है कि एक 15-16 साल का बच्चा अपने माता-पिता को क्यों विलेन मानकर चलता है।
सवाल : आप बच्चों की किस तरह की परवरिश में यकीन करते हैं?
जवाब : नैतिक मूल्य और संस्कार बच्चों की परवरिश में होने जरूरी हैं। बच्चों को यह संस्कार देना जरूरी है कि समाज का हर वर्ग समान है। उनमें वे भेद न करें। समानता में विश्वास करें। हमेशा व्यक्ति ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, उसका ओहदा या पैसा नहीं। इन्हीं चीजों में मैं यकीन करता हूं और अपनी बेटी को भी यही सब सिखाने का प्रयास करता हूं।
Neha Dani
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