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उसे वापस लौटा देता हूं और हिन्दी में भेजने के लिए कहता हूं।’
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर एक के बाद एक हिट वेब सीरीज देने वाले बेहतरीन एक्टर मनोज बाजपेयी ने कहा है कि हिन्दी भाषा को ना सिर्फ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री बल्कि हमारे समाज में भी अनदेखा किया जा रहा है। हिन्द भाषा के महत्व को प्रोत्साहित करने के लिए वह पर्सनल लेवल पर क्या करते हैं इस बारे में भी उन्होंने बताया।
आज हर कोई अपने बच्चे को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाना चाहता है
हिन्दी भाषा की अनदेखी केवल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में होती है ऐसा कहना गलत होगा क्योंकि हमारी सोसायटी को भी इसका पूरा श्रेय जाता है, ये कहना है मनोज बाजपेयी का। उन्होंने आगे कहा, 'मुझे लगता है कि हर कोई अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में भेजना पसंद करता है, चाहे बच्चे पढ़ाई में अच्छे हों, बुरे हों या औसत। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे पहले अंग्रेजी बोलना सीखें और इसके अलावा आगे बढ़ने के लिए जब उनके पास समय और एनर्जी बचे तो फिर वो और अन्य भाषा सीखते हैं। इसलिए, वास्तव में, हम माता-पिता के रूप में असफल हो रहे हैं। ना सिर्फ माता-पिता के रूप में बल्कि शिक्षक के रूप में भी हम हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करने में असफल साबित हो रहे हैं।
इंग्लिश में आई स्क्रिप्ट को वापस लौटा देता हूं
47 साल के एक्टर मनोज बाजपेयी ने कहा मनोरंजन जगत भी समाज से अलग नहीं है। वहां भी कुछ ऐसा ही हाल है 'हर कोई जो बॉलीवुड में आ रहा है, मैं कहूंगाकिउनमें से 90-95%, केवल अंग्रेजी में ही लिखना जानते हैं और यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है। उन्होंने बताया, शायद बहुत कम ऐसे एक्टर्स हैं जो हिन्दी में अपनी स्क्रिप्ट पढ़ते हों। एक्टर ने आगे कहा-'मेरी तरफ से इस भाषा को बढ़ावा देने के लिए यही योगदान है कि अपनी फिल्मों की स्क्रिप्ट मैं केवल देवनागरी में पढ़ता हूं। और कभी मेरे पास कोई स्क्रिप्ट अंग्रेजी भाषा में आ जाए तो मैं उसे वापस लौटा देता हूं और हिन्दी में भेजने के लिए कहता हूं।'
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