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बॉडी शेमिंग पर 'फोर मोर शॉट्स' की मानवी गागरू का छलका दर्द, कहा- इंडस्ट्री में अहसास कराया गया
Rounak Dey
22 Oct 2022 6:10 AM GMT

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दुखी होकर एक दूसरे के साथ रहना। एक नाखुश परिवार के मुकाबले हैपी सेपरेटेड कपल होना ज्यादा अच्छा है।
फोर मोर शॉट्स प्लीज की सिद्धि हो या ट्रिपलिंग की चंचल, या फिर शुभ मंगल ज्यादा सावधान की गॉगल, ऐक्ट्रेस मानवी गागरू ने हर किरदार में अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। जल्द ही उनकी दो चर्चित सीरीज ट्रिपलिंग और फोर मोर शॉट्स प्लीज का तीसरा सीजन स्ट्रीम होने जा रहा है। इसी सिलसिले में हमने मानवी से की खास बातचीत की। जहां उन्होंने बॉडी शेमिंग से लेकर रोड ट्रिप जैसे विषय पर खुलकर बात की।
जैसा हमने ट्रेलर में देखा कि इस बार कहानी पैरंट्स की है। इस बार कहानी के नायक वे हैं और हम लोग उनकी कहानी को रिएक्ट कर रहे हैं। वो नई चीज है। दूसरी नई बात ये है कि आम तौर पर बच्चे कोई फैसला लेते हैं, जिस पर मां-बाप बोलते हैं कि लोग क्या कहेंगे, हम सोसायटी में क्या मुंह दिखाएंगे वगैरह, पर यहां उल्टा हो रहा है। मां-बाप अलग होने का फैसला लेते हैं, जिस पर बच्चे अपने पैरंट्स को बोलते हैं कि हम अपने दोस्तों को क्या बोलेंगे? आप ऐसे नहीं कर सकते, ऐसा क्यों कर रहे हो? तो ये एक मजेदार उलटफेर है कि बच्चे पैरंट्स बन गए हैं और पैरंट्स बच्चे बन गए हैं।
वैसे, असल जिंदगी में भी मां-बाप का अलगाव बच्चों के लिए आसान नहीं होता। जबकि, आज के दौर में तलाक काफी आम बात हो चुकी है। आपके हिसाब से मां-बाप और बच्चों को इस संवेदनशील परिस्थिति को कैसे हैंडल करना चाहिए?
देखिए, मेरे लिए बोलना बहुत आसान है, क्योंकि मैं इस अनुभव से गुजरी नहीं हूं। फिर भी, मेरे हिसाब से किसी भी रिलेशनशिप में अगर आप खुश नहीं हैं तो उसमें नहीं रहना चाहिए, क्योंकि बच्चा अगर बुरे माहौल में बड़ा हो रहा है, जहां उसके पैरंट्स पूरे दिन लड़ते हैं या उनके बीच अच्छा रिश्ता नहीं है तो वह भी बच्चे के लिए अच्छा नहीं है। कई बार हमें ऐसा लगता है कि एक उम्र के बाद शायद बच्चे इस चीज को समझ सकेंगे, क्योंकि जब बच्चे छोटे होते हैं तो दिक्कत होती है। आप उनको कैसे समझाओगे, क्योंकि बच्चे को तो यही लगता है कि मम्मी पापा को साथ ही रहना चाहिए, पर मुझे लगता था कि एक उम्र के बाद जब आप बड़े हो जाते हैं तो ये चीज समझ सकते हैं। हालांकि, ये कहना आसान है। जैसे, मेरी एक दोस्त है, जिसके पैरंट्स का हाल ही में तलाक हुआ तो उसे काफी परेशानी हुई ये समझने में। मेरी दोस्त इस चीज को हैंडल नहीं कर पाई। उसका प्यार, शादी जैसी चीजों से भरोसा उठ चुका है, तो निश्चित तौर पर बच्चों के लिए ये आसान नहीं है। इसी वजह से ये कहानियां दिखाना जरूरी है, ताकि हम इस चीज को नॉर्मलाइज कर सकें कि एक खुशहाल परिवार जरूरी है, न कि दो लोगों का दुखी होकर एक दूसरे के साथ रहना। एक नाखुश परिवार के मुकाबले हैपी सेपरेटेड कपल होना ज्यादा अच्छा है।
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