जनता से रिश्ता ववेबडेस्क | डायरेक्टर सुदीश कनौजिया और प्रोडूसर आदित्य वर्मा समाज के लिए एक बेहतरीन टॉपिक पर बनी फिल्म लावास्ते लेकर आ रहे हैं। ये फिल्म सिनेमाघरों में 26 मई को रिलीज होने वाली है। हाल ही में फिल्म का ट्रेलर जारी किया गया, जिसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला। ये फिल्म लोगों की सेवा और उनके अंतिम संस्कार को लेकर बनी है जिनको अग्नी देने के लिए भी कोई मौजूद नहीं होता। फ़िल्म का ये नायाब कॉन्सेप्ट आदित्य वर्मा ने लिखा है। फिल्म में ओमकार कपूर लीड रोल में नजर आ रहे हैं। वहीं, मनोज जोशी और ब्रिजेन्द्र काला भी अहम भूमिकाओं में है।
ये कहानी छत्तीसगढ़ के एक लड़के सत्यांश की है, जिसने B.Tech किया हुआ है। लेकिन अपने शहर में नौकरी न मिलने की वजह से सपनों के शहर मुंबई आता है। जहां उसे नौकरी तो मिलती है, लेकिन वहां न तो इज्जत मिलती है और ना ही अच्छा पैसा। वहां, दूसरी तरफ गांव में बैठा उसका परिवार पैसे की तंगी से जूझ रहा है। इन सबकी टेंशन में सत्यांश कई और पार्ट टाइम करने शूरू कर देता है। जिसके बाद उसको एक और नौकरी के बारे में पता चलता है, जहां अच्छी सैलरी मिल रही है। लेकिन वह काम होता है लावारिस लाशों को उठाने का। एक बार वह इस काम की वजह से पीछे हटने की कोशिश करता है, लेकिन अपनी घर की जिम्मेदारियों के चलते वह लावारिस लाशों को उठाने की नौकरी करना शुरु कर देता है।
इस काम को करते हुए सत्यांश को जिंदगी के बारे में बहुत चीजे देखने को मिलती हैं। तकलीफे क्या होती हैं, परिवार, पैसा खुशी क्या होता है। सत्यांश को लावारिस लाश उठाते समय सबका एहसास होता है। इतनी दयनीय स्थिति देख सत्यांश का दिल पिघल जाता है और वह समाज में कुछ नया करने की ठान लेता है। जिसके बाद वह लावास्ते नाम से कंपनी बनाता है, जहां हर लावारिस लाश का अतिंम संस्कार किया जाता है। धीरे-धीरे सत्यांश की ये संस्था पूरे देश में फैल जाती है और वह कामयाब होने लगता है। लेकिन इस बीच वह अपने मां-बाप से दूर होने लगता है। वहीं, उसकी लाइफ में कुछ ऐसा होता है कि वह अपने मां- बाप का अंतिम संस्कार नहीं कर पाता। ऐसा क्या हुआ सत्यांश के साथ...ये जानने के लिए आपको देखनी होगी फिल्म 'लावास्ते'।