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कुणाल ने बॉलीवुड में आउटसाइडर होने का दर्द झेला, मेकर्स ने कह दिया था कि यह हीरो अब खत्म

Neha Dani
19 Oct 2022 3:03 AM GMT
कुणाल ने बॉलीवुड में आउटसाइडर होने का दर्द झेला, मेकर्स ने कह दिया था कि यह हीरो अब खत्म
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हम तुम्हारे साथ कुछ मजेदार काम करना चाहेंगे।'
एक्टर कुणाल कपूर भले ही बच्चन परिवार के लाडले दामाद हैं, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने एक आउटसाइडर के तौर पर एंट्री की थी। कुणाल कपूर के पिता किशोर कपूर कंस्ट्रक्शन के बिजनस में रहे हैं। उनका फिल्मी दुनिया से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा। लेकिन हां, कुणाल कपूर की मां कनन जरूर एक सिंगर रही हैं। कुणाल कपूर ने परिवार के बिजनस को आगे बढ़ाने के बजाय एक्टर बनने का सपना था। इसीलिए एक्टिंग की ट्रेनिंग लेकर वह नसीरुद्दीन शाह के थिएटर ग्रुप का हिस्सा बन गए। कुणाल कपूर ने हीरो बनने से पहले फिल्म 'अक्स' में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर भी काम किया।
आज ओटीटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म की दुनिया में बूम आने से स्ट्रगलिंग एक्टर्स के साथ-साथ उन कलाकारों के लिए भी रास्ते खुल गए हैं, जो कभी स्क्रीन पर दिखने के लिए तरस जाते थे। इन्हीं में से एक एक्टर कुणाल कपूर भी हैं। Kunal Kapoor को बॉलीवुड में एक आउटसाइडर होने के कारण काफी स्ट्रगल झेलना पड़ा। पहले तो कुछ लोगों ने कुणाल कपूर को सलाह दी कि वह भूलकर भी एक्टर न बनें और न ही फिल्मी दुनिया में एंट्री करें। लेकिन जब फिल्मों में आए हो अपनी हाथों से किस्मत लिखनी शुरू की तो कुछ दिन बाद ही बातें बनने लगीं कि अरे ये एक्टर तो खत्म है। गायब है अब। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की 'Tuesday Tadka' सीरीज में हम इसी के बारे में बताने जा रहे हैं। कुणाल कपूर का 18 अक्टूबर (Happy Birthday Kunal Kapoor) को 44वां बर्थडे भी।
जब लोगों ने कुणाल से कहा- कभी एक्टर मत बनना
कुणाल कपूर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह 2004 में फिल्म 'मीनाक्षी-ए टेल ऑफ थ्री सिटीज' से एक्टिंग डेब्यू करने वाले थे तो उन्हें बहुत से लोगों ने फिल्मों से दूर रहने की सलाह दी थी। कुणाल कपूर के मुताबिक, लोगों ने उनसे कहा था कि एक्टर मत बनना क्योंकि इंडस्ट्री में एक आउटसाइडर के लिए बहुत मुश्किल होती है। लेकिन दो साल बाद यानी 2006 में आई कुणाल की फिल्म 'रंग दे बसंती' ने उनके किस्मत के सितारे बदल दिए।

'रंग दे बसंती' ने बदली जिंदगी, YRF संग 3 फिल्मों की डील
कुणाल कपूर पर हर किसी की नजरें टिक गईं। उस मल्टीस्टारर फिल्म में भी कुणाल कपूर के काम को नोटिस किया गया। कुणाल कपूर यह सोचकर खुश थे कि एक आउटसाइडर होने के बावजूद उन्हें नोटिस किया गया, तारीफ की गई। यहां तक कि इस फिल्म के लिए कुणाल को फिल्मफेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड भी मिला था। इस फिल्म के बाद कुणाल कपूर के साथ यशराज फिल्म्स ने तीन फिल्मों की तगड़ी डील भी साइन कर ली।
फिल्ममेकर्स बोलने लगे- ये तो खत्म है, गायब है अब
कुणाल कपूर की बैक-टू-बैक फिल्में रिलीज हुईं। फिल्म 'लम्हा' में भी कुणाल कपूर संजय दत्त के साथ नजर आए। फिल्म तो नहीं चली, लेकिन कुणाल कपूर के काम को पसंद किया गया। इससे पहले आईं कुणाल कपूर की तीन फिल्में 'लागा चुनरी में दाग', 'आजा नचले' और 'बचना ए हसीनो' भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाईं। इसी के बाद से कुणाल कपूर के दिन फिर गए। कुणाल कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'जो फिल्ममेकर्स मुझे 'रंग दे बसंती' के बाद स्टार बता रहे थे, वही बाद में कहने लगे कि ये तो एकदम खत्म है। एकदम गायब है अब। और अब मेरे पास कई फिल्ममेकर्स फोन करके कहते हैं कि तुम तो कमाल के एक्टर हो। हम तुम्हारे साथ कुछ मजेदार काम करना चाहेंगे।'
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