मनोरंजन

कवि प्रदीप की डेथ एनीवर्सरी पर उनसे जुड़ी खास बातें, जाने

Bhumika Sahu
11 Dec 2021 3:41 AM GMT
कवि प्रदीप की डेथ एनीवर्सरी पर उनसे जुड़ी खास बातें, जाने
x
प्रदीप (Pradeep) का जन्म 6 फरवरी 1915 को हुआ था. भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में कवि प्रदीप ने जो गीत लिखा वह आज भी लोगों की ज़ुबान पर कायम है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बहुत से ऐसे कवि और लेखक हुए जिनके लिखी कविताओं को गानों का रूप दिया गया. उन्हें लयबद्ध करके उनपर नगमें बनाए गए. उन्हीं में से एक थे महान कवि और गीतकार प्रदीप. प्रदीप का जन्म 6 फरवरी 1915 को हुआ था. भारत-चीन युद्ध के दौरान शाहिद हुए सैनिकों के सम्मान में कवि प्रदीप ने जो गीत लिखा वह आज भी लोगों की ज़ुबान पर कायम है. इस प्रसिद्ध गीत के बोल हैं " ऐ मेरे वतन के लोगों." आज कवि प्रदीप (Pradeep) की पुण्यतिथि है.

कवि प्रदीप का मूल नाम रामचंद्र नारायण जी द्विवेदी था. उनका जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन के बड़नगर नामक स्थान पर हुआ था. 1940 में रिलीज हुई फ़िल्म बंधन से कवि प्रदीप को पहचान मिलनी शुरू हुई. 1943 में रिलीज हुई फ़िल्म किस्मत के एक गीत " दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है" ने उन्हें देशभक्त रचनाकारों की श्रेणी में प्रथम स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया. इस गीत का प्रभाव इतना ज्यादा था कि उस वक़्त अंग्रेजों ने कवि प्रदीप को गिरफ्तार करने के आदेश भी दे दिए थे. कहा जाता है गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रदीप को छिपकर रहना पड़ा था.
इन गानों को लिखकर इतिहास में अमर हो गए
उनके प्रमुख गीतों की बात करें तो ये गीत आज भी लोगों को याद हैं ये गीत हैं, ऐ मेरे वतन के लोगों, दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है, कितना बदल गया इंसान, इंसान का इंसान से हो भाईचारा, आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की, दे दी हमें आज़ादी बिना खड़ग बिना ढाल. ऐसी कई बेमिसाल गानों को लिखकर प्रदीप लेखन की दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हो गए. उन्होंने अपनी कलम की ताकत को पूरी दुनिया को दिखाया.
देशभक्ति की मिसाल थे कवि प्रदीप
इन गीतों ने कवि प्रदीप को पूरी दुनिया में अमर कर दिया. जिस दौर में कवि प्रदीप ने लिखना प्रारंभ किया उस दौर में हिंदुस्तान अंग्रेजों का गुलाम था इसीलिए कवि प्रदीप के गीतों में देशभक्ति कूट कूट कर भरी है. उन्होंने उस दौर में अंग्रेजों के अत्याचारों को बेहद करीब से महसूस किया. अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ गांधी जी के अहिंसात्मक आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने "दे दी हमें आज़ादी बिना खड़ग बिना ढाल" जैसा गीत लिखा. 11 दिसंबर 1998 को कवि प्रदीप ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.


Next Story