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जब एक यूनिफॉर्म दी जाती है तो उसमें गरीब-अमीर, हिंदू-मुस्लिम सब घुल जाते हैं।'
एक्ट्रेस कंगना रनौत काम के अलावा अपने बेबाक अंदाज के लिए भी जानी जाती हैं। वह किसी भी मुद्दे पर बड़ी बेबाकी के साथ अपनी राय रखती हैं और बात में क्या हो, इसकी जरा परवाह नहीं करतीं। बीते दिनों उन्होंने हिजाब विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर हिम्मत है तो अफगानिस्तान में बुर्का न पहनकर दिखाओ। एक्ट्रेस के इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर खूब हंगामा मचा था। अब हाल ही में एक बार फिर इस कंट्रोवर्सी पर कंगना ने अपनी राय रखी है।
मीडिया के साथ इंटरव्यू में कंगना ने कहा है कि हिजाब से जरूरी किताब और बच्चों की शिक्षा है। स्कूल में न तो 'जय माता दी' का दुपट्टा चल सकता है और न ही बुर्का। यूनिफॉर्म का सम्मान करना जरूरी है। कंगना ने यह भी कहा कि स्कूलों में किसी भी तरह के धार्मिक चिह्न या चीज को प्रमोट नहीं किया जाना चाहिए।
एक्ट्रेस ने कहा, 'हिंदुस्तान और अफगानिस्तान में फर्क है। लेकिन वह (शबाना आजमी) कहना चाह रही हैं कि हिंदुस्तान अब एक लोकतांत्रिक देश है। लेकिन 70-80 साल पहले हिंदुस्तान लोकतंत्र नहीं था। और फिर इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इसके बाद भी 70 साल बाद भी हिंदुस्तान लोकतंत्र रहे। इसकी रक्षा करनी पड़ती है। आवाज उठानी पड़ती है।'
कंगना रनौत ने आगे कहा, 'और ये जो बुर्के वाला गिमिक किया गया है चुनाव के लिए, इसका क्या प्रभाव हो रहा है, जानते हैं। अभी कश्मीर में एक टॉपर लड़की को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। उसकी जिंदगी नर्क बना दी गई है। लोग उसके पीछे पड़ गए हैं कि क्यों वो बुर्का नहीं पहनती है। अधिकतर जो बच्चे स्कूल जाते हैं, उनके लिए यह सहूलियत भरा नहीं हो सकता और यह उनकी मर्जी भी है। आप न सिर्फ उनकी पढ़ाई खराब कर रहे हैं बल्कि यह कहकर कि जब लड़कियां बुर्का नहीं पहनती हैं तो उनके रेप होते हैं...इस तरह की बातें करके आप न सिर्फ मुस्लिम लड़कियां बल्कि हिंदू लड़कियां और सबकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।
धाकड़ गर्ल बोलीं, हिजाब से ऊपर किताब है। स्कूल का एक कोड होता है और हर किसी को उसका सम्मान करना चाहिए। बच्चों की पढ़ाई ज्यादा जरूरी है। जब आप स्कूल जाते हैं तो इसका मतलब ही यही है कि वहां हमें एक यूनिफॉर्म दी जाती है। एक यूनिफॉर्म कोड होता है। आप जब स्कूल का दुपट्टा पहनकर आते हैं तो ये नहीं कहा जाता है कि आप जय माता दी का दुपट्टा पहनकर आ जाइए। स्कूल का कोड हर किसी के लिए समान होना चाहिए। स्कूल में किसी भी धार्मिक चिह्न या चीज को प्रमोट नहीं किया जाना चाहिए। जब एक यूनिफॉर्म दी जाती है तो उसमें गरीब-अमीर, हिंदू-मुस्लिम सब घुल जाते हैं।'
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