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उसमें खुद को इंप्रूव करके उसे पेशा बनाना है तो हर चीज संभव है।
'कोटा फैक्ट्री' और 'पंचायत' वेब सीरीज फेम जितेंद्र कुमार डिजिटल प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म 'जादूगर' में जादू दिखाते नजर आए। इस फिल्म में प्यार पाने के लिए उन्हें जादू छोड़कर फुटबाल भी खेलना पड़ता है। उनसे प्रियंका सिंह की बातचीत के अंश...
इस फिल्म में आप जादूगर से फुटबालर बनते हैं। रियल लाइफ में भी सिविल इंजीनियर से अभिनेता बने। दूसरा पेशा अपनाने का निर्णय आसान नहीं रहा होगा...
जब इंजीनियरिंग कर रहा था, तब भी पढ़ाई में समय देने से ज्यादा स्टेज पर रहता था। वहां से अभिनय में दिलचस्पी पैदा हुई थी, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से रम जाऊंगा कि आगे चलकर इसे पेशा बना लूंगा। पहले यूट्यूब के लिए छोटे-छोटे वीडियो बनाने शुरू किए। लोगों के साथ वे वीडियो कनेक्ट हुए। वहां से सफर शुरू हुआ, फिल्में और वेब शो मिलने लगे।
वास्तविक जीवन में फुटबाल खेल लेते हैं?
मुझे खेलों से लगाव है, लेकिन फुटबाल से कुछ खास नहीं। मुझे फुटबाल खेलना नहीं आता। फिल्म में भी मेरे किरदार का फुटबाल से लगाव नहीं है। फिल्म में बाकी कलाकारों को डेढ़-दो महीने फुटबाल खेलने की ट्रेनिंग लेनी पड़ी थी, पर मेरी एक दिन की ट्रेनिंग हुई थी, जहां मुझे एक किक सीखनी थी। मुझे यह बहुत मुश्किल और मेहनत वाला खेल लगता है।
जादूगरी फुटबाल खेलने से ज्यादा आसान रही?
नहीं, वह भी काफी मुश्किल रही। किसी भी खेल या काम में इतना माहिर हो जाएं कि वह काम बेहद सरलता कर सकें और लोग दंग रह जाएं, ऐसे लोगों को हम कहते हैं कि आप फलां काम के जादूगर हैं।
आपको किसका जादूगर कहा जा सकता है?
मुझे चाय बनाने वाला जादूगर कह सकते हैं। मैं हर तरह की चाय बहुत अच्छी बना लेता हूं। काम न हो तो भी खळ्द को व्यस्त रखना मळ्झे बखूबी आता है।
कैमरे पर जादूगरी दिखाना मुश्किल रहा होगा, क्योंकि कैमरा हर छोटी गलती पकड़ सकता है...
हां, इसके लिए मेरी डेढ़-दो महीने ट्रेनिंग चली। कैमरामैन के साथ बैठकर भी काफी प्रैक्टिस की। कैमरा का एंगल ऐसा रखा गया था कि वह जादू प्रभावशाली भी लगे और जो ट्रिक्स हम कर रहे थे, वे नजर न आ जाएं। कैमरे पर क्या अच्छा लगेगा, मैं किसमें सहज हूं, वह सब तय करके जादू किया। इसमें बहुत सारे जादूगरों ने मेरी मदद की। वे सेट पर मौजूद रहते थे।
क्या इस तरह जादूगरों को करीब से देखने व समझने का मौका मिला?
हां, मैं तो उन्हें स्टेज परफार्मर मानता हूं। पीसी सरकार का जादू लोगों ने देखा है। एक वक्त था जब जादू देखना एक कल्चर था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह पीछे छूट गया। एंटरटेनमेंट के और माध्यम आ गए। अब वक्त बदल रहा है, अब जादूगर नई-नई ट्रिक्स लेकर आ रहे हैं। मैं कई नए लोकप्रिय जादूगरों से मिला हूं। उन्होंने जादू की दुनिया को नया और तरोताजा कर दिया है।
आपने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किया था कि आपका किरदार अपनी किस्मत खुद बदल सकता है। आप इसमें कितना यकीन करते हैं?
यह हर व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है। अगर मुझे लगता है कि मुझे फलां चीजें सीखनी हैं, खुद को इंप्रूव करना है तो मैं वह करूंगा। आपके दिमाग में सफलता का पैरामीटर क्या है, उस पर भी बाकी चीजें निर्भर करती हैं। अगर लक्ष्य सिर्फ इतना है कि मुझे कोई कौशल सीखना है, उसमें खुद को इंप्रूव करके उसे पेशा बनाना है तो हर चीज संभव है।
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