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हमने सिर्फ कहानी मूल फिल्म से ली है, बाकी इसकी दुनिया और लोग बहुत अलग हैं।
'धड़क' से करियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री जाह्नवी कपूर लगातार शीर्षक भूमिकाएं निभा रही हैं। वह 29 जुलाई को डिज्नी प्लस हाटस्टार पर रिलीज हुई फिल्म 'गुडलक जेरी' में जया उर्फ जेरी की भूमिका में हैं। उनसे दीपेश पांडेय की बातचीत के अंश...
जेरी नामक कार्टून किरदार काफी प्रसिद्ध है, फिल्म में अपने किरदार जेरी को सुनने के बाद सबसे पहले आपके मन में क्या आया?
इस फिल्म की जेरी भी टाम एंड जेरी वाले जेरी ही जैसी है। वह छोटी सी है, मासूम दिखती है, लेकिन बहुत शातिर है, ड्रग्स की डिलीवरी करती है। फिल्म का टाइटल सुनने के बाद मेरे मन में यह विचार आया कि सिर्फ जेरी को ही नहीं, मुझे भी गुडलक की जरूरत है। मैं हर फिल्म शुरू करने से पहले भगवान तिरुपति के मंदिर जाती हूं। उनका गुडलक मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है।
'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल', 'गुडलक जेरी', 'रूही' और 'मिली', क्या इतनी फिल्मों में शीर्षक किरदार निभाना आपकी योजनाओं में हैं?
मैं फिल्मों को लेकर इतनी ज्यादा योजनाएं नहीं बनाती, जो कहानी मुझे पसंद आती है, सिर्फ वही करती हूं। मैं वही फिल्में कर रही हूं, जिनमें मुझे दिलचस्पी होती है। जिन किरदारों को पढ़कर मुझे लगे कि इससे मुझे कुछ सीख मिलेगी।
क्या शीर्षक किरदार में खुद को साबित करने का ज्यादा बेहतर मौका होता है?
मौका तो हर फिल्म और हर किरदार में होता है कि आप अपने काम से लोगों को प्रभावित करें। हां, शीर्षक किरदार निभाने को लेकर थोड़ा दबाव भी रहता है, लेकिन यह फिल्म डिजिटल प्लेटफार्म पर आ रही है, तो दबाव थोड़ा कम होगा। फिर भी हमने एक अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश की है।
मौजूदा दौर में बाक्स आफिस के आंकड़ों को देखते हुए क्या डिजिटल प्लेटफार्म पर फिल्म रिलीज करना सही निर्णय लगता है?
यह एक आसान और कम जोखिम वाला फैसला है। डिजिटल प्लेटफार्म पर फिल्म रिलीज करने के साथ एक गारंटी है कि इतने लोग फिल्म देखेंगे ही, भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी। कोरोना महामारी के दौरान मैंने खुद डिजिटल प्लेटफार्म पर बहुत सारा कंटेंट देखा है। हालांकि, सिनेमाघर का माहौल तो याद आता ही है। खुद को बड़े पर्दे पर देखने की एक अलग खुशी होती है।
कुछ दिनों पहले तिरुपति के मंदिर से आपकी तस्वीरें आई थीं, आपका अध्यात्म से जुड़ाव कब शुरू हुआ?
मम्मी (दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी) ने मुझे बताया था कि शादी से पहले वह अपने हर जन्मदिन पर तिरुपति मंदिर में चढ़ावा चढ़ाती थीं। फिर मैंने सोचा कि मैं भी हर साल उनके जन्मदिन पर मंदिर में चढ़ावा चढ़ाऊंगी। पहली बार यह काम करने पर मुझे बेहद सुकून मिला। आप चाहे जिस आध्यात्मिक जगह पर जाएं, वहां एक विशेष ऊर्जा होती है। एक ऐसी जगह पर आकर अच्छा लगता है, जहां इतने सारे लोग विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आते हैं।
'धड़क' के बाद यह आपकी दूसरी रीमेक फिल्म है और आगामी 'मिली' भी रीमेक है, रीमेक फिल्मों को साइन करते समय मन में क्या चीजें चलती हैं?
मैं बस स्क्रिप्ट देखकर उत्साहित हो जाती हूं। रीमेक फिल्म करते समय मैं मूल फिल्म की नकल करने की अपेक्षा खुद का कुछ लाने की कोशिश करती हूं। हमने सिर्फ कहानी मूल फिल्म से ली है, बाकी इसकी दुनिया और लोग बहुत अलग हैं।
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