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ना ही दयाबेन. दिलीप जोशी को फर्श से अर्श पर लाने वाला ये शो उनकी जिंदगी में किस्मत बदलने वाला शो साबित हुआ.
यूं तो दिलीप जोशी (Dilip Joshi) ने अपने करियर का आगाज 90 के दशक में किया था और वो सलमान खान (Salman Khan) जैसे सितारे से साथ स्क्रीन शेयर कर चुके थे. लेकिन फिर भी 18 साल इंडस्ट्री में बिताने के बाद भी दिलीप जोशी को वो पहचान नहीं मिली थी जिसके वो हकदार थे. उनकी जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया जब वो हताश और निराश होकर एक्टिंग छोड़ने का मन बना चुके थे. लेकिन फिर खुला उनकी सोई किस्मत का ताला और वो बन गए जेठालाल (jethalal).
2008 में छोड़ने वाले थे एक्टिंग
ये साल 2007 की बात थी जब तारक मेहता का उल्टा चश्मा शुरू नहीं हुआ था और मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो उस वक्त दिलीप जोशी जिस सीरियल में काम कर रहे थे वो बंद हो गया था. 2008 तक उन्हें कोई काम भी नहीं मिला. यानि एक साल तक वो बेरोजगार ही रहे. ऐसे में तंग आकर उन्होंने फैसला कर लिया था कि वो एक्टिंग छोड़कर किसी और फील्ड में हाथ आजमाएंगे. क्योंकि उन्होनें इंडस्ट्री में 18 साल से ज्यादा का वक्त हो गया था और फिर भी उनकी बात नहीं बन पा रही थी. तभी असित मोदी ने उन्हें एक शो ऑफर किया.
तारक मेहता का उल्टा चश्मा का मिला ऑफर
असित मोदी उस वक्त तारक मेहता का उल्टा चश्मा के लिए कास्टिंग कर रहे थे. वो दिलीप जोशी को पहले से ही जानते थे लिहाजा वो उनके पास दो रोल लेकर पहुंचे. जेठालाल से पहले उन्हें बापूजी का रोल ऑफर किया गया था. जब दिलीप जोशी ने इस किरदार के बारे में सुना तो उन्हें लगा कि इसमें वो फिट नहीं बैठेंगे. इसके बाद असित मोदी ने उन्हें जेठालाल का रोल दिया. इस किरदार को लेकर भी दिलीप जोशी कुछ संशय में थे लेकिन उन्होंने फिर भी खुद को एक मौका देने की ठानी और इसके लिए हां कर दी. शो 2008 में शुरू हुआ.
जब ये शो शुरू हुआ तब शायद ही कोई जानता होगा कि ये एक दिन इतिहास रच देगा और जब ऐसा तो किसी को भी यकीन नहीं आया. तारक मेहता का उल्टा चश्मा, इसके किरदार, इसके कलाकार घर-घर में ऐसे फेमस हुए कि आज इस शो को 14 साल हो चुके हैं ना जेठालाल अब किसी के लिए अंजान है और ना ही दयाबेन. दिलीप जोशी को फर्श से अर्श पर लाने वाला ये शो उनकी जिंदगी में किस्मत बदलने वाला शो साबित हुआ.
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