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फिल्म यह भी तय करेगी कि बॉण्ड के फैंस अपने जांबाज हीरो के लिए थिएटर जाने का रिस्क लेते भी हैं
'नो टाइम टू डाई' जेम्स बॉण्ड श्रंखला की बहुप्रतीक्षित फिल्म है, जो 30 सितंबर को भारत, यूके आदि में रिलीज़ हो रही है. 'नो टाइम टू डाई' वो पहली बड़ी रिलीज़ है जो कोरोना काल के बाद सिल्वर स्क्रीन को आबाद करने वाली है. खबरों की मानें तो यूएस में ये 08 अक्टूबर को रिलीज़ होगी. बहरहाल, 30 सितंबर की शाम तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि अपनी फिल्मों में बड़े-बड़े और असंभव नज़र आने वाले कारनामों को अंजाम देने वाला जेम्स बॉण्ड क्या कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित फिल्म इंडस्ट्री की डूबती सांसों को आक्सीजन दे पाएगा?
फिल्म यह भी तय करेगी कि बॉण्ड के फैंस अपने जांबाज हीरो के लिए थिएटर जाने का रिस्क लेते भी हैं या नहीं. फिल्म कैसी है, कितना कमाती है, कमाती है या गंवाती है यह तो भविष्य के गर्त में है. लेकिन इस फिल्म के बहाने हम बॉण्ड के दिलचस्प किस्सों पर नज़र तो डाल ही सकते हैं. वो कहते हैं ना मौका भी है और दस्तूर भी. इस फिल्म के बारे में इतना भर बताते चलें कि ईऑन प्रोडक्शन्स द्वारा निर्मित श्रंखला की यह 25 वीं फिल्म है. ब्रिटिश एजेंसी एमआई 6 के एजेंट के रूप में डेनियल क्रेग का यह पांचवां अवतार है.
खबर यह भी है कि यह डेनियल क्रेग की अंतिम बॉण्ड फिल्म है, सो क्रेग के फैंस के लिए भी फिल्म आकर्षण का केंद्र हो सकती है. फिल्म के निर्देशक कैरी जोजी फुकुनागा हैं.
बॉण्ड की फिल्म के ये सीन…
एक सीन है. जेम्स बॉण्ड अपनी कार में जा रहा है बगल में खूबसूरत बॉण्ड गर्ल है. एक कार उसका पीछा कर रही है. बॉण्ड कार को अपनी बगल में आने का मौका देता है. एक कुटिल मुस्कान बॉण्ड के चेहरे पर आती है. बॉण्ड की कार के साइड से लाल रंग की लेजर किरणें निकलती हैं और पीछा करने वाले शख्स की कार की बॉडी को टायर के ऊपर से खामोशी के साथ काटना शुरू कर देती हैं. ड्राइवर को तब पता चलता है जब कार की नीचे की बॉडी ऊपर की बॉडी से जुदा होकर अलग दिशा में दौड़ती नज़र आती है. बॉण्ड मुस्कुरा कर अपनी हीरोइन को देखता है कार आगे बढ़ जाती है.
भारतीय सिनेमाघर की फर्स्ट रो में बैठे दर्शक की सीटियों की आवाज़ से हाल इतना गूंज जाता है कि सीन के लिए खासतौर पर रचा गया संगीत उस शोर में दब जाता है.
एक और सीन में बॉण्ड की कार भाग रही है, ऊपर भटकता हेलीकॉप्टर बॉण्ड की जान लेने पर उतारू है. कार एक जेटी पर पहुंचती है, जिसके आगे कोई रास्ता नहीं है. तेज भागती कार समुद्र में समा जाती है. पास बैठी बॉण्ड गर्ल भय के कारण सकते में आ जाती है. पर बॉण्ड के चेहरे पर शिकन नहीं है. पानी के अंदर पहिए मशीनी अंदाज़ में कार के अंदर समाते नज़र आते हैं और जल्द ही कार पानी के अंदर चलने वाली सबमरीन में तब्दील हो जाती है. अंदर से ही बॉण्ड आसमान में मंडरा रहे अपने दुश्मन का नाश करता है और कार समुद्र से निकलकर एक बीच पर अवतरित होती है.
बीच पर बैठे लोग, बच्चे, महिलाएं और पुरूष दांत में उंगली दबाकर हैरत से कार को समुद्र से निकलकर बीच की रेत पर फर्राटे से जाते देखते हैं. उनके आश्चर्य को दोबाला करते हुए, उनका मज़ा लेने के अंदाज़ में बॉण्ड कार में से एक जिंदा मछली बच्चों और महिलाओं की ओर उछालता है. आपको पता ही है न, फर्स्ट रो वाले इस सीन को देखकर कैसा रिएक्ट करेंगे. तो ऐसे क्रिएट की जाती है जेम्स बॉण्ड के प्रति उसके फैंस की दीवानगी.
जेम्स बॉण्ड से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारी
बॉण्ड के फैंस की बात करें तो सबसे पहले नाम आता है जॅान एफ केनेडी का, जो 1961 से 1963 के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति रहे थे. जब केनेडी का यह स्टेटमेंट सामने आया कि इयान फ्लेमिंग की नॉवेल 'फ्रॉम रशिया विद लव' उनका सबसे पसंदीदा नॉवेल है, तो इसकी बिक्री बहुत बढ़ गई. बता दें जेम्स बॉण्ड सीरीज़ के ब्रिटिश लेखक इयान फ्लेमिंग ही हैं. फ्रेचाइची के निर्माताओं ने तो फिल्म बनाना ही थी. फिल्म बनी भी और चली भी. केनेडी ने इसे व्हाइट हाउस में बैठकर देखा. नॉवेल के अंत में जेम्स बॉण्ड मारा जाता है. ऐसा करके इयान ने नॉवेल की इस सीरीज़ को खत्म करना तय कर लिया था.
केनेडी के कारण जबरदस्त पापुलरिटी हासिल कर चुके नॉवेल और बॉण्ड के फैंस ने दबाव डाला कि लेखक को इस सीरीज़ को रिवाईव करना ही पड़ेगा. सो बॉण्ड जिंदा हुआ और ये फ्रेंचाईज़ी भी. दुर्भाग्यपूर्ण ट्विस्ट ये था कि फिल्म देखने के दूसरे ही दिन केनेडी की हत्या हो गई थी. वैसे बता दें यह एक ब्रिटिश फ्रेंचाइजी है.
मेक्सिको में 'डे ऑफ द डेड' मनाया जाता है. इस मौके पर मेक्सिकन इकट्ठा होते हैं और दिवंगत हो चुके परिवार और दोस्तों को याद करते हैं. वहां इसे शोक दिवस के बजाय उत्सव के रूप में मनाया जाता है. 2015 में आई जेम्स बॉण्ड की फिल्म 'स्पेक्टर' की शुरूआत में डे ऑफ द डेड परेड को दिखाया गया. रोचक बात ये है कि मेक्सिको में इस दिन कोई परेड नहीं निकाली जाती थी, लेकिन इस फिल्म के बाद वहां 'द डे ऑफ द डेड' के दिन परेड निकाली जाने लगी. इस तरह फिल्म ने एक देश के कल्चर की रस्म को ही बदल डाला.
बताते चलें स्पेक्टर का यह ओपनिंग ट्रेकिंग शॉट बेहद रोमांचक, बहुत लंबा, अनकट और खूबसूरत शॉट था, जिसमें निर्देशक और कैमरा टीम ने कमाल का परफारमेंस दिया था.
फिल्म के निर्माता जेम्स बॉण्ड के केरेक्टर के लिए एक्टर चुनते वक्त बहुत सावधानी बरतते थे. एक लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुज़रने के बाद कोई एक्टर जेम्स बॉण्ड बन पाता है. लेकिन इतनी सावधानी के बाद भी एक ऐसे एक्टर ने बॉण्ड का रोल पा लिया, जो ना तो एक्टर था और ना ही उसे एक्टिंग आती थी. झूठ बोलकर काम पाने वाले उस एक्टर का नाम था जार्ज लेज़ेन और फिल्म थी, 'ऑन हर मेजेस्टीज़ सीक्रेट सीक्रेट सर्विस.'
जेम्स बॉण्ड की पहयान उसकी बंदूक से भी होती है. बंदूकें, कारें ओर वाचेस बॉण्ड के पसंदीदा गज़ेट्स हैं. एस्टन मार्टिन डीबी5 बॉण्ड की सिग्नेचर और मनभावन कार है, जिसे पहली बार गोल्डफिंगर में देखा गया था. इसके अलावा बीएमडब्ल्यु सहित दूसरी कारों का उपयोग भी किया है. ओमेगा उसकी मनपसंद वाच है.
बंदूक के बिना तो बॉण्ड का गुज़ारा ही नहीं होता
शुरूआत में लेखक फ्लेमिंग ने उसे बेरेटा 418 से लैस किया. उन्हें एक बंदूक विशेषज्ञ बूथरॉयड ने पत्र लिखकर बताया कि यह एक साधारण महिला की बंदूक है. उन्होंने सुझाव दिया कि फ्लेमिंग बॉण्ड को वाल्थर पीपी के गन से लैस करें. इयान फ्लेमिंग ने ना सिर्फॅ इस सुझाव को माना बल्कि धन्यवाद स्वरूप अपने उपन्यासों में एमआई 6 आर्मरर को बूथरॉयड नाम भी दिया. बॉण्ड ने इस गन को 18 फिल्मों में इस्तेमाल किया.
जेम्स बॉण्ड के रचियता इयान फ्लेमिंग खुद एक जासूस थे और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वो सक्रिय ब्रिटिस स्पाई थे. उन्होंने जेम्म बॉण्ड का केरेक्टर अपने भाई (और कुछ अन्य) से इंसप्रेशन लेकर गढ़ा है, जो खुद एक जासूस थे. रोचक ये है कि बॉंण्ड का यह नाम न्यूयार्क के एक पक्षी विज्ञानी डॉ जेम्स बॉण्ड से लिया गया है. इसके लिए फ्लेमिंग ने उनसे बाकायदा इज़ाज़त ली थी.
ये बताना तो जरूरी नहीं है ना कि 007 बॉण्ड का कोड पदनाम है लेकिन 00 का मतलब जान लें इसका मतलब होता है, लायसेंस टू किल, शायद. इसीलिए बॉण्ड जब जिसे चाहता है शूट कर देता है.
ड्रिंक में बॉन्ड आमतौर पर वोदका मार्टिनी पसंद करता है. वह यह भी बताता है कि इसे कैसे तैयार किया जाना चाहिए, "हिलाइए, मिलाइए नहीं," उसका यह संवाद जल्द ही एक पापुलर तकिया कलाम बन गया था. इस लाइन को AFI द्वारा 90 वां सबसे यादगार सिनेमा उद्धरण के रूप में सम्मानित भी किया गया. बॉण्ड की फिल्मों में अब तक छ: कलाकारों ने शीर्षक चरित्र निभाया है. शॉन कॉनरी, जॉर्ज लेज़ेन, रोजर मूर, टिमोथी डाल्टन, पिअर्स ब्रासनन और डेनियल क्रेग.
जेम्स बॉण्ड फ्रेंचाइज़ की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मूवी 2002 में प्रदर्शित 'डाई एनअदर डे' मानी जाती है.. डाय एनअदर डे यानि अभी नहीं मरना, मरने मारने पर उतारू जांबाज चरित्र वाले इस काल्पनिक पात्र के प्रेमियों को शायद यह शीर्षक कमजोरी की निशानी लगा हो, इसलिए फिल्म् को अपेक्षाकृत कम प्यार मिला. अब आ रही है 'नो टाईम टू डाई', यह दिलेरी का प्रतीक स्लोगन की तरह लगता है, इसलिए हो सकता है फैंस इसे सुपर हिट बना दें. लेकिन, लेकिन कोरोना,,,, देखना दिलचस्प होगा कि जेम्स बॉण्ड कोरोना के चलते सिनेमा में छाई मंदी को मात दे पाता है कि नहीं ?
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
शकील खान, फिल्म और कला समीक्षक
फिल्म और कला समीक्षक तथा स्वतंत्र पत्रकार हैं. लेखक और निर्देशक हैं. एक फीचर फिल्म लिखी है. एक सीरियल सहित अनेक डाक्युमेंट्री और टेलीफिल्म्स लिखी और निर्देशित की हैं.
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