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Jagjit Singh Death Anniversary : इस करीबी की याद में बुरी तरह टूट गए थे जगजीत सिंह

Tara Tandi
10 Oct 2023 4:50 AM GMT
Jagjit Singh Death Anniversary : इस करीबी की याद में बुरी तरह टूट गए थे जगजीत सिंह
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इंडस्ट्री में गजल सम्राट के नाम से मशहूर जगजीत सिंह का निधन हुए 10 साल हो गए हैं। 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन आज भी उनकी आवाज और उनकी गजलें लोगों के जेहन में जिंदा हैं। जगजीत सिंह की जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं. ये कहानियां उनके प्यार, उनके करियर और फिल्मी सफर से जुड़ी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपना बेहद लोकप्रिय गाना चिट्ठी ना कोई संदेश किसकी याद में गाया था? नहीं तो जानिए इस गाने के पीछे की कहानी के बारे में. जगजीत सिंह ने अपने करियर में कई हिट गाने और ग़ज़लें दी हैं।
इनमें होठे से छू लो तुम, तुमको देखा तो ख्याल आया, कागज की कश्ती, कोई फरियाद आदि गाने शामिल हैं। जगजीत सिंह और उनका परिवार राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म श्रीगंगानगर शहर में हुआ था। पिता सरकारी कर्मचारी थे. घर में कई भाई-बहन थे और पिता के कहने पर उनका नाम जगमोहन रखा गया। लेकिन तब कोई नहीं जानता था कि घर में जन्मा यह चिराग अपनी आवाज से पूरी दुनिया को मोहित कर लेगा।
बेटे के गम में गाया 'चिठ्ठी ना कोई संदेश'
जगजीत सिंह ने फिल्म दुश्मन के लिए मशहूर गाना चिट्ठी ना कोई संदेश गाया था। इस गाने को लोगों ने खूब पसंद किया. लेकिन कहा जाता है कि जगजीत सिंह ने ये गाना किसी खास के लिए गाया था. दरअसल, जगजीत सिंह और उनकी पत्नी और गायिका चित्रा का एक बेटा था, जिसकी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इस हादसे ने जगजीत और चित्रा दोनों को झकझोर कर रख दिया था। इस हादसे से दोनों इस कदर टूट गए कि उन्होंने खुद को संगीत से दूर कर लिया। लेकिन तमाम दुखों से उबरने के बाद उन्होंने खुद पर काबू पाया और वापसी की. इस गाने चिट्ठी ना कोई संदेश से उन्होंने अपना पूरा दर्द बयां कर दिया। ये गाना उन्होंने अपने बेटे की याद में गाया है। यह गाना काफी लोकप्रिय हुआ, आज भी इसे यूट्यूब पर लाखों बार सुना जा चुका है।
जगजीत सिंह की आवाज़ हमेशा अमर रहेगी
जगजीत सिंह को कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वर्ष 1998 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। वर्ष 2003 में जगजीत सिंह को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं, 2014 में सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था. आज वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी आवाज आज भी अमर है।
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