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विद्युत जामवाल
बॉलीवुड की फिल्में देखते हुए अक्सर महसूस होता है कि आपके पास एक्टर तो अच्छे हैं लेकिन अच्छी कहानियों और निर्देशकों की कमी है. इसमें संदेह नहीं कि आज की पीढ़ी में विद्युत जामवाल सबसे बेहतर एक्शन हीरो हैं मगर उनके लिए अच्छी कहानियां सोचने वाले लेखक और निर्देशक नहीं हैं.
जो उनकी क्षमताओं के हिसाब से फिल्म बना सकें. नतीजा यह कि विद्युत की फिल्मों में दोहराव के अलावा कुछ देखने को नहीं मिलता है. दो साल पहले आई फिल्म खुदा हाफिज के सीक्वल के रूप में उनकी नई फिल्म आई है, खुदा हाफिज चेप्टर 2 अग्निपरीक्षा. दोनों फिल्मों की कहानी का मूल तत्व एक ही है. अपहरण, रेप और बदला.
हीरो की होती है अग्निपरीक्षा यहां अग्निपरीक्षा एक बार फिर हीरो की है. पिछली फिल्म में समीर (विद्युत जामवाल) और नर्गिस (शिवालिका ओबेराय) की नई-नई शादी होती है और नौकरी के लिए मिडिल ईस्ट में गई नर्गिस का अपहरण हो जाता है. पीछे-पीछे समीर जाता है और पता चलता है कि नर्गिस को अपहरणकर्ताओं ने जिस्म फरोशी के धंधे में डाल दिया है. उसके साथ गैंगरेप भी हुआ है.
समीर जान पर खेल कर दुश्मनों को ठिकाने लगाता है और नर्गिस को बचा कर लखनऊ लौटा है. सीक्वल में आप देखते हैं कि नर्गिस हादसे से उबर नहीं सकी है. वह दवाओं पर है. समीर इस बार एक बच्ची को गोद लेता है, नंदिनी (रिद्धि शर्मा). यहां घटनाएं खुद को दोहराती हैं. स्कूल में पढ़ने वाली नंदिनी का अपहरण और फिर रेप होता है.
वह अपनी जान गंवा देती है. इस हादसे को अंजाम देने वाले राजनीतिक रसूख रखने वाले बिगड़ैल अमीरजादे हैं. पुलिस भी उनकी ही सुनती है और समीर को समझाती है कि मुआवजे के रूप में मिल रहे पैसे लेकर चुप बैठ जाए क्योंकि बच्ची तो उसकी अपनी नहीं थी. इसके बाद क्या-क्या हो सकता है, हिंदी सिनेमा के दर्शक समझ सकते हैं.
Teja
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