
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मनोज बाजपेयी ने काफी संघर्षों और कड़ी मेहनत के बाद इंडस्ट्री में लंबा सफर तय किया और अपनी खास पहचान बनाई है। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ ओटीटी पर भी अपनी अदाकारी का दम दिखाया। इन दिनों वह अपनी आने वाली फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' के लिए लगातार चर्चा में बने हुए हैं, जिसके प्रमोशन में वह व्यस्त हैं। अब इसी दौरान अभिनेता ने अपने करियर के संघर्षों के बारे में बात करते हुए खुलासा किया कि वह अपने काम की खुद ही आलोचना करते हैं।
अपने काम करने के तरीके के बारे में बात करते हुए मनोज बाजपेयी ने कहा कि मैं अपने काम के प्रति क्रूर हूं और अपने काम का सबसे बड़ा आलोचक हूं। मुझे मीडिया में किसी और आलोचक भी जरूरत नहीं है, जब भी मैं किसी फिल्म में खुद को देखता हूं तो मुझे खुद से नफरत हो जाती है, इसलिए मैं अपना काम देखने से बचता हूं, जब भी मैं अपनी फिल्में देखता हूं तो मुझे लगता है कि मैं कुछ और कर सकता था, लेकिन अब पहली कॉपी आ गई है, इसलिए कुछ नहीं हो सकता।
अभिनेता ने अपनी आने वाली फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' के सबसे चुनौतीपूर्ण दृश्य के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा सबसे मुश्किल सीन क्लाइमेक्स का था, जहां मुझे 200-300 से अधिक वाक्यों को याद करना था। छह से सात पेजों का दृश्य, जिसका मैंने 150-200 बार से अधिक अभ्यास किया और इसे सही से करना मेरे लिए सबसे कठिन हिस्सा रहा।
मनोज बाजपेयी ने कहा कि 'सिर्फ एक बंदा काफी है' में पीसी सोलंकी की भूमिका निभाना एक अविश्वसनीय अनुभव रहा है, क्योंकि यह एक साधारण व्यक्ति की प्रेरक कहानी है, जिन्होंने सच्चाई और न्याय के लिए सभी बाधाओं के खिलाफ एक असाधारण केस लड़ा। मुझे उम्मीद है कि यह दर्शकों को मजबूर करेगी कि उन्हें पीसी सोलंकी की कहानी इस फिल्म के जरिए जरूर देखनी चाहिए।
फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' का निर्देशन अपूर्व सिंह कार्की कर रहे हैं। यह फिल्म सबसे बड़े कानूनी कोर्ट रूम ड्रामा में से एक मानी जा रही है। फिल्म का प्रीमियर 23 मई 2023 को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर होगा।