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रामायण से मिली सबसे ज्यादा शोहरत

Kajal Dubey
27 Feb 2023 4:25 PM GMT
रामायण से मिली सबसे ज्यादा शोहरत
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रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण जैसी लोकप्रियता बहुत कम टीवी शोज को मिली
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण जैसी लोकप्रियता बहुत कम टीवी शोज को मिली। अस्सी के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए इस पौराणिक धारावाहिक ने मनोरंजन इंडस्ट्री में धार्मिक शोज को एक नयी दिशा देने का काम किया था। रामायण कई मामलों में आइकॉनिक शो रहा।
फिर चाहे राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल हों या लक्ष्मण के किरदार में सुनील लहरी या फिर माता सीता की भूमिका निभाने वाली एक्ट्रेस दीपिका चिखलिया, सभी के करियर में रामायण जैसी सफलता दूसरी नहीं है। इन सबके बीच एक और शख्स हैं, जो रामानंद सागर की रामायण के साथ पर्यायवाची की तरह जुड़े हैं- संगीतकार रवींद्र जैन।
रामायण से मिली सबसे ज्यादा शोहरत
अस्सी के दौर में जवान हुई पीढ़ी के कानों में वो आवाज अभी भी गूंजती होगी, जो हर रविवार की सुबह रामायण के क्रेडिट रोल के समय सुनायी देती थी। रवींद्र जैन की आवाज और संगीत ने इस धार्मिक धारावाहिक को जो दिव्यता प्रदान की, उसकी मिसाल दूसरी नहीं है। मगर, रामायण, रवींद्र जैन का पहला परिचय नहीं है।
जिस दौर में रवींद्र जैन रामायण के गीत-संगीत की रचना कर रहे थे, उसी दौर में हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म राम तेरी गंगा मैली का संगीत भी छाया हुआ था। प्रेम और भक्ति गीतों की ऐसी रचना कम ही संगीतकार कर सके।
28 फरवरी 1944 को अलीगढ़ में रवींद्र जैन के हुनर को पिता ने बचपन में ही परख लिया था और उन्हें संगीत की शिक्षा दिलवायी। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने मंदिरों में भजन गाना शुरू कर दिया था। फिल्मों में उनके करियर की शुरुआत सत्तर के दशक में हुई थी।
कांच और हीरा से शुरू हुआ फिल्मों में करियर
1972 में आयी फिल्म कांच और हीरा के साथ उनके बतौर संगीतकार सफर की शुरुआत हुई थी। सौदागर, चोर मचाये शोर, चितचोर, दुल्हन वही जो पिया मन भाये, अंखियों के झरोखे से, पति पत्नी और वो फिल्मों को उन्होंने संगीत से सजाया। चितचोर से उन्होंने येसुदास को ब्रेक दिया था।
अस्सी के दशक में रवींद्र जैन ने नदिया के पार, राम तेरी गंगा मैली, मरते दम तक जैसी फिल्मों का संगीत दिया। राम तेरी गंगा मैली के संगीत के लिए उन्हें बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी दिया गया था। राज कपूर के निर्देशन में बनी इस फिल्म से राजीव कपूर और मंदाकिनी ने डेब्यू किया था। फिल्म की सफलता में इसके संगीत का बहुत बड़ा योगदान रहा था। 2015 में रवींद्र जैन को पद्मश्री से नवाजा गया था।
राजश्री बैनर के साथ रवींद्र जैन का जुड़ाव काफी लम्बा रहा, जो सौदागर से लेकर एक विवाह ऐसा भी तक बना रहा। बैनर के साथ उन्होंने कई हिट और कालजयी गीतों की रचना की। 9 अक्टूबर 2015 को रवींद्र जैन का निधन हो गया था।
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