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अलविदा लता: जीवन के आखिरी महीने ऐसे बीते!

jantaserishta.com
6 Feb 2022 7:38 AM GMT
अलविदा लता: जीवन के आखिरी महीने ऐसे बीते!
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नई दिल्ली: लता मंगेशकर नहीं रहीं. कोविड के एक दंश ने आखिरकार भारत की स्वर कोकिला को छीन ही लिया. एक बहुत ही सादा, संयमित और शांत जीवन जीने वाली लता दीदी अब सदा के लिए शांत हो चुकी हैं. वर्ष 2020 में कोविड की महामारी के बाद से ही लता दीदी का लोगों से मिलना-जुलना कम हो गया था. मुंबई में महामारी का प्रकोप और लता दीदी की वृद्धावस्था में यह बहुत ज़रूरी था कि वो सभी प्रकार की आवश्यक एहतियात बरतें.

उम्र के 90 साल बीत जाने के बाद लता शारीरिक रूप से कमजोर हो चली थीं. कोविड उनके लिए बाकियों से कहीं अधिक खतरनाक हो सकता था और मुंबई थी कि वहां कोविड का प्रकोप शांत होने का राजी नहीं था. यही वजह है कि पिछले एक साल के दौरान लता जी ने लोगों से मिलने का सिलसिला एकदम बंद कर दिया था. वो अपने घर में खुद को क्वारंटीन कर चुकी थीं. शरीर कमजोर होता जा रहा था. आयु बढ़ रही थी. तबीयत अब देखरेख और सहारा मांगने लगी थी.
लता मंगेशकर से था ऋषिकेश पांडे का खास रिश्ता
सीआईडी फेम ऋषिकेश पांडे का लता मंगेशकर जी से एक अलग रिश्ता रहा है. पिछले 15 सालों से ऋषिकेश लता की फैमिली फ्रेंड के रूप में पहचाने जाते रहे हैं. ऋषिकेश बताते हैं, लता दीदी की सेहत को ध्यान में रखते हुए पिछले एक साल से उनके घर में किसी भी आउटसाइडर को आने की इजाजत नहीं थी.
यहां तक कि आशा भोसले जी भी डेढ़ साल से लोनावला में रही हैं. वे लोनावला से ही एक दो बार मुंबई आना जाना किया करती थीं.10 साल से लता जी की तबीयत को ध्यान में रखते हुए उनके लिए नर्सिंग स्टाफ रखा गया था. 5 से 6 नर्सेस उनकी देखभाल के लिए रखी गई थीं. लता जी का डाइट चार्ट भी लंबे समय से डॉक्टर के बताए अनुसार ही चलता आ रहा था. तो खाना पीना भी पिछले कुछ वर्षों में बहुत सादा और संयमित था.
लता जी के घर पर माहौल बहुत धार्मिक था. घर में घुसते ही बाएं तरफ एक भव्य मंदिर है जहां पूजापाठ चला करती थी. घर के माहौल में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक छवि थी. हर साल गणपति पूजा में भी हम लोग जाते ही थे. लेकिन कोरोना की वजह से हम लोगों का आना-जाना बंद हो गया.
उन्होंने बताया- दीदी के घर पर गणपति पूजा तो हुई लेकिन हम लोग उसमें शामिल नहीं हो सके. ऐसा नहीं कि कोई घोषित प्रतिबंध था. लेकिन हम सब को कोरोना के कारण इतनी एहतियात बरतना ही चाहते थे.
व्हाट्सएप पर भी एक्टिव
ऋषिकेश बताते हैं कि लता जी भले ही लोगों से फिजिकल रूप में नहीं मिल रही थीं लेकिन फोन और व्हाट्सएप में एक्टिव रहा करती थीं. उनके करीबी लोगों का एक व्हाट्सएप ग्रुप है जहां लता दीदी अक्सर जोक्स भेजा करती थीं. जोक्स उन्हें काफी पसंद थे, हम भी उन्हें जोक्स भेज कर उन्हें एंटरटेन करते थे.
लता जी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्हें अगर किसी का भी काम पसंद आए तो वह फॉरन उससे फोन पर बात करती और उनकी तारीफ करती. उम्र के इस पड़ाव में भी उनकी याददाश्त शक्ति गजब की थी. वे जिन्हें पसंद करती उनकी हर चीज को वह नोटिस किया करती थी.
ऋषिकेश बताते हैं- मैं भी हैरान हो गया था जब उन्होंने मुझसे कहा कि सीआईडी में मैंने किस रंग की शर्ट पहनी थी और कैसे बेल्ट‌ लगाए थे. उनका अपार स्नेह मेरे प्रति रहा और मैं अब उनकी अनेक स्मृतियों के साथ पीछे छूट गया हूं. दीदी का जाना एक निजी नुकसान है.लता जी कई बार कहती थीं कि जब सब ठीक होगा तो मिलते हैं. एकबार सब मिलकर डिनर करते हैं. अफसोस है कि हमारी ज़िंदगी में से उस डिनर की गुंजाइश अब सदा के लिए खत्म हो चुकी है. वो स्नेह, वो सानिध्य अब हमसे छिन चुका है. बस यादें हैं.
इसी व्हाट्सएप ग्रुप में तीन दिन पहले मैसेज आया था कि लता दीदी अब वेंटिलेशन से बाहर है और उनकी हालत में सुधार है. अचानक से स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें वापस वेंटिलेशन में 2 दिन पहले शिफ्ट कराया गया था.


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