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'फिल्म के चलने में जेंडर की भूमिका नहीं होती' मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे की असफलता पर बोलीं रानी

Rounak Dey
30 May 2023 2:32 PM GMT
फिल्म के चलने में जेंडर की भूमिका नहीं होती मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे की असफलता पर बोलीं रानी
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बल्कि कलाकार के अभिनय पर आधारित होती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ में रानी मुखर्जी की दमदार एक्टिंग और कंटेंटे की जमकर तारीफ हुई थी। फिल्म को क्रिटिक्स से खूब सराहना भी मिली थी। अब मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे को ओटीटी पर स्ट्रीम कर दिया गया है। रानी मुखर्जी ने मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे के साथ लंबे वक्त बाद सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की। अब रानी ने खुलासा किया है कि किसी भी फिल्म की सफलता किसी जेंडर पर आधारित नहीं होती है, बल्कि कलाकार के अभिनय पर आधारित होती है।

फिल्म में उन्होंने एक मां का दमदार किरदार निभाया, जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। फिल्म में रानी की परफॉर्मेंस की हर तरह तारीफ हुई, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी। अब इस पर चुप्पी तोड़ते हुए रानी ने बताया कि आज भी लोगों के मन में यह धारणा है कि पुरुष प्रधान फिल्में ही बॉक्स ऑफिस पर चलती है, जबकि ऐसा नहीं है।

हाल ही में, एक इंटरव्यू में रानी ने कहा, ‘लगातार चर्चा होती है कि क्या महिला केंद्रित फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर ड्रॉ होती हैं। बेशक ऐसा है। एक अच्छी फिल्म हमेशा लोगों को थिएटर तक लाएगी और एक स्टार के लिए किसी भी जेंडर की फिल्म की सफलता में कोई भूमिका नहीं होती है।’

आपको बता दें कि इस फिल्म को बनाने के लिए सागरिका चक्रवर्ती की किताब ‘द जर्नी ऑफ ए मदर’ का सहारा लिया गया है। नॉर्वेजियन चाइल्ड वेलफेयर सर्विसेज ने ‘बच्चों के साथ अनुचित व्यवहार’ के आरोप में सागरिका के दो बच्चों को उनसे जबरन ले लिया। दो साल के अथक संघर्ष के बाद वह अपने बच्चों को दोबारा हासिल कर सकीं। भारत के विदेश मंत्रालय को भी इस मामले में दखल देना पड़ा। नॉर्वे सरकार और अपने पति के परिवार के खिलाफ सागरिका ने पूरे दम-खम से कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिरकार अपने दोनों बच्चों को वापस पाया। ‘मिसेस चैटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ फिल्म के केंद्र में यही घटना है।

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