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जंगल, नदी-पहाड़ से शहर तक ये अभिनेत्री 55 घंटे लड़ती रही मौत से, इन लोगों की मदद से जीती जिंदगी की जंग

Neha Dani
18 Feb 2021 7:41 AM GMT
जंगल, नदी-पहाड़ से शहर तक ये अभिनेत्री 55 घंटे लड़ती रही मौत से, इन लोगों की मदद से जीती जिंदगी की जंग
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अमेरिकन एक्ट्रेस और पॉलिटिकल एक्टिविस्ट एश्ले जूड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम

अमेरिकन एक्ट्रेस और पॉलिटिकल एक्टिविस्ट एश्ले जूड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर अपनी जिंदगी में घटित हुई एक बड़ी घटना का जिक्र किया है। एश्ले ने तस्वीरों के साथ जिंदगी और मौत से जूझती अपनी कहानी शेयर की है। इसके साथ ही उन्होंने अफ्रीका के कोन्गो में रहने वाले लोगों ने जबरदस्त इच्छाशक्ति की भी तारीफ की है।

दरअसल एश्ले ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में बताया कि उनका एक पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया था और उनकी हड्डियां भी टूट गई थीं। वहीं काफी संभव था कि उनकी मौत इंटरनल ब्लीडिंग से हो चुकी होती या वो अपना पैर गंवा चुकी होती, लेकिन कोन्गो के भाइयों और बहनों की वजह से वो आज सुरक्षित हैं। एश्ले ने लिखा, 'आज कोन्गो के लोगों की मदद के बारे में सोचकर काफी इमोशनल हूं। मेरी 55 घंटों की यात्रा में मेरी लाइफ बचाने में उनका पूरा योगदान है।'


एश्ले ने कहा कि इस हादसे के बाद के 55 घंटे उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण, मुश्किल और दर्द भरे थे। पहले पांच घंटे वो जंगल में दर्द से कराहती रहीं। करीब 5वें घंटे खत्म होने तक एक शख्स ने आकर उनकी हड्डियों को रीसेट करने की कोशिश की। इसके चलते एश्ले शॉक में चली जाती थी और दर्द के चलते बेहोश हो रही थीं। वहीं इसके बाद उन्होंने अगले डेढ़ घंटे, एक हैमॉक में लेटे हुए बिताए और उन्हें कोन्गो के लोगों ने उठाया हुआ था। कोन्गो के लोग ये काम नंगे पैर ही कर रहे थे और इस दौरान वे नदी और पहाड़ों को पार करते हुए कैंप पहुंचे। इसके बाद मैराडॉना और दिदियेर नाम के दो लोग उन्हें मोटरसाइकिल पर ले गए थे।
एश्ले ने आगे बताया कि इन छह घंटों की यात्रा के दौरान वो जैसी ही बेहोश होती थीं तो मैराडॉना उन्हें उठा देता था। इसके साथ ही एश्ले ने कहा कि मैराडॉना ने काफी सावधानी के साथ उनके पैर को उठाया हुआ था। एक बेहद धूल भरी खराब रोड पर छह घंटों तक वे तीनों मोटरसाइकिल पर थे। इसके बाद शहर में शाम बिताने के बाद वे अगले दिन किन्स्हासा की राजधानी में 24 घंटे रूके थे और आखिरकार दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे।
अपनी बात के आखिर में एश्ले ने कहा कि कोन्गो से दक्षिण अफ्रीका के आईसीयू ट्रॉमा यूनिट तक पहुंचने का सफर अविश्वसनीय रहा, मेरे और कोन्गो के लोगों के बीच एक अंतर ये था कि मेरे पास ऐसी आपदाओं और घटनाओं के लिए इंश्योरेंस था लेकिन कोन्गो के लोगों के पास ऐसी सुविधा नहीं है। कोन्गो के कई लोगों के पास पेन किलर जैसी बुनियादें मेडिकल सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।


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