जावेद अख्तर और नसीरुद्दीन शाह के सपोर्ट में आए पूर्व नौसेना प्रमुख लक्ष्मीनारायण
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| जावेद अख्तर (Javed Akhtar) और नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) के सपोर्ट के लिए 150 नागारिक आगे आए हैं. ये सभी लोग जावेद और नसीरुद्दीन के तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर दिए गए बयान के बाद उनके साथ हो रहे गलत बर्ताव का विरोध कर रहे हैं.
जावेद और नसीरुद्दीन का सपोर्ट कर रहे नागरिकों ने कहा कि वे जावेद और नसीरुद्दीन के खिलाफ हो रहे बर्ताव की निंदा करते हैं और वे सभी दोनों के सपोर्ट में हैं. जावेद के स्टेटमेंट को सपोर्ट करते हुए उन्होंने कहा, 'उन्हें अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है और उन्हें जो डराया-धमकाया जा रहा है वो बिल्कुल गलत है.
वहीं नसीरुद्दीन के सपोर्ट में वे बोले, वह तो केवल भारतीय इस्लाम की सहिष्णु परंपरा को दोहरा रहे हैं, जो हाल के दशकों में सऊदी के प्रभाव वाले वहाबी इस्लाम से प्रभावित हुई है. यह एक ऐसा ट्रेंड हैं जिसे भारतीय मुसलमानों का एक बड़ा सेक्शन ना सिर्फ पहचानता है बल्कि इसकी निंदा भी करता है.
बता दें कि इन बयानों पर पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल, लक्ष्मीनारायण रामदास, डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर आनंद पटवर्धन, फिल्म राइटर अंजुम राजाबली, ऑथर जॉन दयाल और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, प्रोफेसर एमेरिटा, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और जोया हसन के हस्ताक्षर हैं.
क्या दिए थे जावेद अख्तर और नसीरुद्दीन शाह ने बयान
जिन्हें इस केस की ज्यादा जानकारी नहीं हैं उन्हें बता दें कि जावेद ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, आरएसएस, विएचपी और बजरंग दल जैसे संगठन तालिबान के जैसे ही हैं. इनके रास्ते में भारत का संविधान रुकावत बन रहा है और अगर इन्हें जरा सा मौका मिले तो ये लिमिट क्रॉस करने में संकोच भी नहीं करेंगे.
जावेद ने भारत में अल्पसंख्यकों के साथ हुई मॉबलिंचिंग को लेकर भी अपना स्टेटमेंट दिया था. उन्होंने कहा था कि यह पूरी तरह से तालिबान जैसा बनने से पहले का ड्रेस रिहर्सल है. ये सब एक जैसे हैं बस उनके नाम अलग-अलग हैं.
नसीरुद्दीन शाह का स्टेटमेंट
नसीरुद्दीन शाह ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने भारतीय मुसलमानों के एक वर्ग को इसका सेलिब्रेशन करने पर उनकी आलोचना की थी और इसे चिंता का कारण बताया था.