
आदिपुरुष फिल्म निर्देशक ओम राउत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपनी पेशी के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदिपुरुष के निर्माता, निर्देशक और संवाद लेखक को 27 जुलाई को न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फिल्म के निर्देशक की ओर से पेश वकील को गुरुवार को न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फिल्म से जुड़े लोगों को तलब किया
इस फिल्म को लेकर कुछ दिन पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका पंजीकृत की गई थी। कोर्ट ने फिल्म पर रोक लगाने की याचिकाओं पर सुनवाई की। आपको बता दें कि यह याचिका कुलदीप तिवारी और नवीन धवन ने पंजीकृत की थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत, प्रोड्यूसर भूषण कुमार और डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर को समन भेजा है। याचिकाकर्ताओं का मानना है कि फिल्म में अश्लील संवादों का उपयोग किया गया है, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
निर्देशक ने फिल्म बनाते समय लोगों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा: हाई कोर्ट
कोर्ट ने फिल्म के विरूद्ध कड़ी टिप्पणी करते हुए बोला कि निर्देशक ने फिल्म बनाते समय लोगों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। इसके अतिरिक्त न्यायालय ने केंद्र गवर्नमेंट को फिल्म पर अपनी राय देने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है। साथ ही हिंदुस्तान गवर्नमेंट को फिल्म को सर्टिफिकेट देने के निर्णय पर दोबारा विचार करने का भी निर्देश दिया।
कोर्ट ने केंद्र गवर्नमेंट को भी निर्देश दिए हैं
हाई न्यायालय ने बोला था कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष अपने पर्सनल हलफनामे दाखिल करेंगे कि सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए किसी फिल्म को प्रमाणित करने के दिशानिर्देशों का पालन किया गया है या नहीं.
