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Death Anniversary Yash Johar: यश जौहर की 20वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि

Apurva Srivastav
26 Jun 2024 2:32 AM GMT
Death Anniversary Yash Johar: यश जौहर की 20वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि
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Death Anniversary Yash Johar: हिंदी सिनेमा में यश जौहर को उभरते सितारों को निखारने वाले निर्देशक के रूप में जाना जाता हैं। स्क्रिप्ट राइटिंग (Script Writing) से अपने करियर की शुरुआत करने वाले यश जौहर ने 'मुझे जीने दो', 'गाइड', 'दोस्ताना' और 'कुछ कुछ होता है' जैसी कई शानदार फिल्में दी हैं। यश जौहर ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1952 में सुलीन दत्त के प्रोडक्शन हाउस से की थी, जिसमें वह बतौर सहयोगी काम करते थे। इसके बाद उन्होंने देवानंद की कई फिल्मों में प्रोडक्शन का काम संभाला। यश जोहर भारतीय हिंदी सिनेमा के एक प्रसिद्ध निर्माता थे। यश का जन्म 6 सितम्बर 1929 को हुआ था। 26 जून 2004 को यश जौहर इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए।
हिंदी सिनेमा के जाने माने फिल्म मेकर में से एक हैं यश जौहर। उनकी फिल्में अपनी अलग पहचान रखती थीं। बॉलीवु (Bollywood)ड के जाने-माने फिल्म मेकर यश जौहर आज भले ही हमारे बीच नही हों पर उनकी फिल्में लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। उन्होंने बॉलीवुड को दोस्ताना, मुकद्दर का सिकंदर, अग्निपथ, कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम, कल हो ना हो जैसी शानदार फिल्में दी थीं। आज उनकी लेगेसी उनके बेटे करण जौहर बखूबी संभाल रहे हैं। करण भी बॉलीवुड के जाने माने फिल्म मेकर बन गए हैं। करण जौहर एक बड़े फिल्म निर्माता होने के कई नए टैलेंट्स को बॉलीवुड में लॉन्च करने के लिए जाने जाते हैं। साल 1976 में यश जौहर ने अपनी खुद की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी 'धर्मा प्रोडक्शन' की शुरुआत की थी। धर्मा प्रोडक्शन की पहली फिल्म साल 1980 में अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म 'दोस्ताना' थी, जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी। बाद में उनके बेटे करण जौहर ने अपने पिता को ट्रिब्यूट के तौर पर साल 2008 में जॉन अब्राहम और अभिषेक बच्चन के साथ इसी नाम की एक और फिल्म 'दोस्ताना' बनाई थी।
यश जौहर का जन्म ब्रिटिश शासन (British Goverment) के दौरान 6 सितंबर, 1929 को पंजाब के लाहौर में हुआ था। देश का विभाजन होने के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली आकर यश जौहर के पिता ने 'नानकिंग स्वीट्स' नाम से मिठाई की दुकान खोली थी। 9 भाई-बहनों में यश सबसे पढ़े-लिखे थे, इसी कारण उनके पिता ने उन्हें मिठाई की दुकान पर बैठा दिया। वो दुकान पर हिसाब किताब करते थे, जो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था। एक दिन उनकी मां ने उनसे कहा कि तुम हलवाई की दुकान पर बैठने के लिए नहीं बने हो, इसलिए तुम बंबई चले जाओ और अपनी पसंद की जिंदगी जियो।
शुरुआती दिनों में मुंबई (Mumbai) में यश को काफी संघर्ष करना पड़ा था। शुरुआत में उन्होंने एक न्यूज पेपर में फोटोग्राफर का काम किया था। उस जमाने की मशहूर अदाकारा मधुबाला के बारे में कहा जाता था कि वो किसी को फोटो नहीं लेने देती थीं, लेकिन यश काफी पढ़े-लिखे थे। उनकी अंग्रेजी काफी अच्छी थी इसलिए अच्छी अंग्रेजी बोलने से मधुबाला इम्प्रेस होकर उनसे फोटो खिंचवाई थीं।
साल 1952 में सुनील दत्त के प्रोडक्शन हाउस 'अजंता आर्ट्स' से यश जौहर ने अपने करियर (Career) की शुरुआत की थी। इसके बाद वो सहायक निर्माता के रूप में देवानंद के प्रोडक्शन हाउस 'नवकेतन फिल्म्स से जुड़े।
देवानंद के प्रोडक्शन हाउस
के साथ मिलकर उन्होंने 'गाइड', 'ज्वैल थीफ', 'प्रेम पुजारी', 'हरे रामा-हरे कृष्णा' जैसी शानदार फिल्मों को पर्दे पर लाने में अहम योगदान दिया। इसके बाद साल 1971 में रिलीज हुई फिल्म 'हरे राम हरे कुष्णा' में यश जौहर की प्रोडक्शन का कमाल देखने को मिला। यश जौहर ने मुकद्दर का फैसला, अग्निपथ, गुमराह, डुप्लिकेट, कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम, कल हो न हो, जैसी तमाम बेहतरीन फिल्मों का निर्माण किया।
26 जून, 2004 को चेस्ट इन्फेक्शन और कैंसर (Chest infection and Cancer) की वजह से उनका निधन हो गया था। करण जौहर के पिता यश जौहर को रोजाना सुबह नहाकर पूजा करने की आदत थी। वह बिल्कुल पुजारी व्यक्ति माने जाते थे, बिल्कुल सेक्युलर टाइप के। यह बात खुद करण जौहर ने अपनी आटोबायोग्राफी में बताई है। वह बताते हैं कि उनके पिता रोजाना नहाने के बाद तोलिया लपेट लेते थे और तीन मिनट तक प्रार्थना करते थे। उनके घर में एक छोटा सा मंदिर था, जहां वह रोजाना हाथ जोड़कर प्रार्थना करते थे।
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