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पुण्यतिथि विशेष: रामायण में जो मधुर आवाज वह रवीन्द्र जी की है, जब तक ये दुनिया रहेगी रवीन्द्र जैन के गीत रहेंगे

Shiddhant Shriwas
9 Oct 2021 5:44 AM GMT
पुण्यतिथि विशेष: रामायण में जो मधुर आवाज वह रवीन्द्र जी की है, जब तक ये दुनिया रहेगी रवीन्द्र जैन के गीत रहेंगे
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रवीन्द्र जैन, उस शख्सियत का नाम है जिनके गुणों का बखान जितना काम किया जाए कम है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रवीन्द्र जैन, उस शख्सियत का नाम है जिनके गुणों का बखान जितना काम किया जाए कम है। 28 फरवरी 1944 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में जन्में रवीन्द्र सात भाई-बहनों में तीसरे नंबर के थे। शनिवार को रवीन्द्र जैन की पुण्यतिथि है। 9 अक्टूबर 2015 को 71 वर्ष की उम्र में वे हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

रामायण में जो मधुर आवाज आपने सुनी वह रवीन्द्र जैन की है

चितचोर, राम तेरी गंगा मैली, गीत गाता चल, नदिया के पार जैसी कई फिल्मों में शानदार गीत और संगीत देने वाले रवीनद्र जैन जन्म से ही नेत्रहीन थे। रामानंद सागर की रामायण में गाई उनकी चौपाईयां आज भी लोगों के बीच मशहूर हैं। 1972 में उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। उन्होंने न सिर्फ अच्छा गाया बल्कि एक से बढ़कर एक संगीत भी दिया। उन्होंने बॉलीवुड के कई प्रसिद्ध गीत लिखे भी हैं।

वे उन संगीतकारों में रहे, जिन्होंने कविता, शायरी और गीत की समझ को समेटते हुए लीक से हटकर कुछ गंभीर तरह का काम किया है। जिससे समाज प्रभावित हो। रवीन्द्र जैन ने बचपन में संगीत की बारीकियां पंडित घंमडी लाल, पंडित जनार्दन शर्मा और पंडित नाथूराम शर्मा से सीखी थीं और बाकायदा प्रयाग संगीत समिति से शास्त्रीय संगीत की दीक्षा ली थी।

साल 1969 में रवीन्द्र जैन मुंबई पहुंचे। राधेश्याम झुनझुनवाला अपनी एक फिल्म में उनका संगीत चाहते थे। 1971 में रवीन्द्र जैन के संगीत निर्देशन में पहली बार पांच गाने रिकॉर्ड हुए। 1972 में कांच और हीरा की असफलता के बाद उन्होंने फिल्म चोर मचाए शोर, चितचोर, तपस्या, दुल्हन वही जो पिया मन भाए, अंखियों के झरोखों से, राम तेरी गंगा मैली, हिना, इंसाफ का तराजू, प्रतिशोध जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया।

फिल्मों के अलावा रवीन्द्र जैन ने टीवी की दुनिया का मशहूर पौराणिक सीरियल रामायण का भी संगीत दिया था, साथ कई चौपाईयों को उन्होंने अपनी आवाज दी थी। बेशक रवीन्द्र जैन नहीं हैं, मगर उनकी कीर्ति शेष है और वह शाहकार धुन भी जिसे आज भी लोग याद करते हैं।

राम तेरी गंगा मैली के संगीत के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर भी मिला था। वो सिर्फ संगीत ही नहीं साहित्य के क्षेत्र में भी कर्मयोगी रहे, उन्होंने अपने संगीत में भारतीय संगीत को बढ़ाया। रवींद्र जैन को साल 2015 में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था। रवीन्द्र जैन नहीं हैं, मगर उनकी कीर्ति शेष है...

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