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Death Anniversary : जानिए पंडित भीमसेन के बारें में कुछ अनकही बातें

Bhumika Sahu
24 Jan 2022 2:12 AM GMT
Death Anniversary : जानिए पंडित भीमसेन के बारें में कुछ अनकही बातें
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पंडित भीमसेन जोशी (Pandit Bhimsen Joshi) ने अपने पीछे एक ऐसी महान विरासत छोड़कर गए हैं जिसे कभी कोई भूल नहीं सकता. उनके जैसा गायक और संगीतकार फिर से हो मुमकिन नहीं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज यानी 24 जनवरी को भीमसेन जोशी (Bhimsen Joshi) की पुण्यतिथि (Death Anniversary) हैं. उन्हें पूरी दुनिया पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी के नाम से जानती हैं. वे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के जगत के मशहूर गायक (Singer) थे. उन्हें 'गाने के भगवान' और 'संगीत के देवता' जैसी कई उपाधियां उनके चाहने वालों की तरफ से दी गई थी. लोगों उन्हें खूब प्यार दिया. उनकी मौत के बाद भी आज उनके चाहने वाले और म्यूजिक इंडस्ट्री के दिग्गज उन्हें याद करते हैं. उनकी पुण्यतिथि के मौके पर आइये पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी के बारें में कुछ ऐसी बातें जानते हैं जिसके बारें में शायद आप अब तक अनजान हैं.

16 भाई बहनों के बड़े भैया था पंडित भीमसेन जोशी

पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी (Pandit Bhimsen Guguraj Joshi) का जन्म 4 फरवरी 1922 को कर्नाटक के गडग गांव में हुआ था. कहा जाता है कि पं. भीमसेन जोशी एक ऐसा व्यक्तित्व था जिन्होंने न केवल अपने फैंस बल्कि उनके आलोचकों का भी दिल जीत लिया था. पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी अपने परिवार में उनके 16 भाई-बहनों में से सबसे बड़े भाई थे. जब वह बहुत छोटे थे तब उन्होंने अपनी मां को खो दिया था और उनकी सौतेली मां ने उनकी परवरिश की थी.
बचपन से था संगीत के लिए जूनून
ऐसा कहा जाता है कि पंडित भीमसेन जोशी बचपन से जहां गाना बजाना होता था वही पर चले जाते थे और कभी कभी उसी जगह गाना सोते हुए वे सो भी जाते थे. ऐसे समय पर उनका पता लगाने के लिए भीमसेन जोशी के माता-पिता को पुलिस की मदद लेनी पड़ती थी. गाने के प्रति इस जूनून की वजह से ही वह महान गायक बन पाए.
11 साल की उम्र में छोड़ दिया घर
पं भीमसेन जोशी के पहले संगीत शिक्षक थे कुर्तकोटी के चन्नप्पा जिन्होंने खुद एक अन्य महान गायक इनायत खान के साथ संगीत का प्रशिक्षण लिया था. अब्दुल करीम खान की ठुमरी "पिया बिन नहीं आवत है चैन" ने पंडित जोशी को अपने जीवन में संगीतकार बनने के लिए प्रेरित किया. अपने संगीत के जूनून के चलते पंडित भीमसेन जोशी ने 1933 में 11 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और गुरु की तलाश में वे उत्तर भारत की तरफ चल दिए.
सवाई गंधर्व बने गुरु
1936 में, सवाई गंधर्व पंडित भीमसेन जोशी के गुरु बने. 19 साल की उम्र में यानी 1941 में, उन्होंने अपना पहला लाइव परफॉर्मेंस दिया. उनके लाइव शो के एक साल बाद 1942 में, उनका पहला एल्बम रिलीज़ हुआ था. उनके बारें में किस्सा सुनाया जाता हैं कि पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी ने एक बार उन्हें हुए जुकाम से छुटकारा पाने के लिए परफॉर्मेंस से पहले लगभग 16 हरी मिर्ची खाई ताकि उनका लाइव शो, रद्द न हो और वह अपने जुकाम पर काबू पा ले.
कई पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री (1972), पद्म भूषण (1985), पद्म विभूषण (1999), और भारत रत्न (2008) सहित कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. एक बीमारी की वजह से 24 जनवरी 2011 में उनका निधन हो गया.


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