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Death Anniversary : जगजीत सिंह आज भी फैंस के दिलों में जिंदा हैं, जानिए उनकी पांच गजलें
Bhumika Sahu
10 Oct 2021 4:00 AM GMT
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आज जगजीत सिंह की पुण्यतिथी है. इस मौके पर हम आज आपको उनकी उन पांच गजलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके जरिए आज भी ये दिग्गज गजलकार अपने फैंस के बीच जीवित है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 10 अक्टूबर, 2011 को जब गजल किंग जगजीत सिंह (Ghazal King Jagjit Singh) का निधन हुआ, तो दुनिया भर मौजूद उनके प्रशंसकों ने उनके सबसे मार्मिक गीतों में से एक, 'चिट्ठी ना कोई संदेस, जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गए' की धुन पर अपना शोक व्यक्त किया था. जगजीत सिंह की आवाज में वो खनक थी, जो सीधे जनता के दिलों को छूती थीं. जगजीत सिंह, जिनका जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान में जगमोहन सिंह धीमान के रूप में हुआ, उन्हें भारतीय संगीत की किंवदंतियों में गिना जाता है.
जगजीत सिंह का करियर यूं तो ज्यादा लंबा नहीं चला, लेकिन जितना भी चला वह बहुत ही शानदार और यादगार रहा. जगजीत सिंह ने अपनी आवाज का जादू कई सालों तक जनता पर चलाया. हालांकि, जब जगजीत सिंह और उनकी पत्नी चित्रा के बेटे की मौत हुई तो उन्होंने संगीत से दूरी बना ली थी. उन्होंने गाना छोड़ दिया था. आज जगजीत सिंह की पुण्यतिथी (Jagjit Singh Death Anniversary) है. इस मौके पर हम आज आपको उनकी उन पांच गजलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके जरिए आज भी ये दिग्गज गजलकार अपने फैंस के बीच जीवित हैं.
होठों से छू लो तुम
बॉलीवुड के साथ उनके शुरुआती कार्यों में से एक, 1981 की फिल्म प्रेम गीत की इस गजल ने एक नई कला को जन्म दिया और जन-जन तक पहुंचाया. गजल में इस तरह की रूहानियत श्रोताओं को कम ही सुनने को मिलती थी. यह एक प्यार करने वाले व्यक्ति की अपने प्रिय से उसे वापस प्यार करने की याचना पर केंद्रीत थी.
ऐ दौलत भी ले लो, वो शोहरत भी ले लो
1982 में रिलीज हुई ये गलत जगजीत सिंह ने अपनी पत्नी चित्रा के साथ गाई थी. ये गजल एक लापरवाह बचपन की यादों को उद्घाटित करती है. इस गजल को बाद में 1998 में रिलीज हुई फिल्म आज में शामिल किया गया था.
हौशवालों को खबर क्या
ये गजल साल 1999 में रिलीज हुई फिल्म सरफरोश की है. ये गजल रोमांस के जुनून के बारे में बात करती है और लोगों को सलाह देती है कि जब तक खुद से प्यार न करो, तब तक प्रेमियों को जज न करें.
तुमको देखा तो ये खयाल आया
1982 की फिल्म साथ साथ की इस क्लासिक गजल के साथ, जगजीत सिंह ने भारत के गजल किंग के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया था. यह उनके बॉलीवुड करियर के निर्णायक क्षणों में से एक थी, जो लगभग तीन दशकों तक फैला रहा.
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
तुम इतना जो… जगजीत सिंह की सबसे सफल गजलों में से एक है. यह गजल आज भी दर्शकों पर जादू बिखेरने में कामयाब है. इसे 1983 में फिल्म अर्थ में इस्तेमाल किया गया था.
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