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Death Anniversary : सलील चौधरी का संगीत सुनकर रोने लगी थी अमेरिकी लड़की, जानिए
Bhumika Sahu
5 Sep 2021 4:42 AM GMT

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सलील चौधरी ने अपने फिल्मी करियर में एक से एक यादगार गीत और संगीत दिया है. अपने पिता के वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक कलेक्शन को सुनने के बाद सलील चौधरी का झुकाव संगीत की तरफ हुआ. अपने संगीत से उन्होंने कई विदेशियों को भी प्रभावित किया, उसी से जुड़ा हुआ आज ये किस्सा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) के दिग्गज सलील चौधरी (Salil Chowdhary) केवल संगीतकार ही नहीं थे, वह एक गीतकार, कवि और लेखक भी थे. अपने फिल्मी करियर में संगीतकार के तौर पर सलील चौधरी ने 100 से भी ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया था. यह संगीत उन्होंने केवल हिंदी फिल्मों में ही नहीं, बल्कि मलयालम, तमिल, गुजराती, तेलुगु, उड़िया और असामी समेत 13 भाषा शामिल हैं. आज इस संगीतकार और गीतकार की पुण्यितिथि है. 19 नवंबर, 1925 में जन्मे सलील चौधरी की 3 सितंबर, 1995 में हुई अचानक मृत्यु ने हर किसी को हैरान कर दिया था. भारतीय सिनेमा का एक चमकता सितारा दुनिया को अलविदा कह गया था, जिसके जाने से फिल्म इंडस्ट्री को एक बड़ी क्षति पहुंची थी.
सलील चौधरी के पिता को वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक का बहुत शौक था. सलील चौधरी का बचपन अपने पिता के वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक कलेक्शन को सुनकर बीता है. उन्हें कई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स बजाना आता था, जिसका इस्तेमाल उन्होंने अपने द्वारा लिखे गए कई गीतों में किया, जिसे आने वाली पीढ़ियों द्वारा प्यार और याद किया जाएगा. अपने फिल्मी करियर में सलील चौधरी ने कहीं दूर जब दिन ढल जाए, ऐ मेरे प्यारे वतन, दिल तड़प-तड़प के कह रहा है, न जाने क्यों, मैंने तेरे लिए सात रंग के सपने… जैसे कई यादगार गाने संगीत प्रेमियों को दिए. सलील चौधरी के गानों और संगीत से केवल भारतीय ही प्रभावित नहीं थे, बल्कि उनके संगीत से अमेरिकी भी काफी प्रभावित थे. आज सलील चौधरी की पुण्यतिथि के मौके पर हम आपके साथ वो किस्सा शेयर करने जा रहे हैं, जब सलील चौधरी ने अमेरिका की एक दुकान में ऐसा सितार बजाया कि वहां मौजूद एक सेल्सगर्ल की आंखों से आंसू बहने लगे थे.
जब सलील चौधरी से प्रभावित हुए अमेरिकी
यह बात 1958 की है. अन्नू कपूर ने एक बार अपने एक शो में इस किस्से का जिक्र किया था. उन्होंने बताया था कि अमेरिका के लॉस एंजेलिस में एक बहुत ही मशहूर और इकलौती दुकान थी, जहां पर इंडियन म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट मिला करते थे. दुकान के मालिक का नाम था डेविन बर्नाड और इस दुकान में कई भारतीय मूल के लोगों समेत कुछ अमेरिकी भी काम करते थे. सलील चौधरी उस वक्त 35 साल के थे. एक दिन सलील चौधरी उस दुकान पर पहुंचे. वहां उन्हें कोई नहीं जानता था. वह बहुत ही ध्यान से दुकान में मौजूद इंस्ट्रूमेंट्स को देखने लगे.
उन्होंने बहुत ही साधारण से कपड़े पहने हुए थे, जिसके कारण वहां मौजूद सेल्समैन और सेल्सगर्ल उन्हें कोई तवज्जो नहीं दे रहे थे. चूंकि, कर्मचारियों का काम होता है अपनी दुकान में आए ग्राहक को हैंडल करना, तो एक सेल्सगर्ल जिसका नाम क्रिस्टीना था वो सलील चौधरी के पास आई. उसने सलील से कहा कि बताइये मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं? सलील चौधरी ने क्रिस्टीना से कहा कि वह कुछ सितार देखना चाहते हैं. क्रिस्टीना ने उन्हें सितार दिखाए. उसी दौरान सलील की नजर सबसे ऊंचाई पर रखे एक सितार पर गई. उन्होंने क्रिस्टीना से उसे दिखाने के लिए कहा.
चूंकि वह सितार बहुत ऊपर रखा था और क्रिस्टीना वैसे भी इस साधारण से दिखने वाले युवा को हैंडल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी, तो उसने टालने की कोशिश की. पर सलील चौधरी जिद पर अड़ गए कि वो वही सितार देखना चाहते हैं. उस दौरान वहां आ गए दुकान के मालिक डेविड. डेविड ने सलील चौधरी से परेशानी पूछी और फिर उन्होंने अपने स्टाफ से उसी सितार को उतारने को कहा, जिसकी वह मांग कर रहे थे. सितार को सलील को दिखाते हुए क्रिस्टीना बोलीं कि इसे बॉस सितार कहा जाता है. आम सितार वादक इसे नहीं बजा सकते और ये बड़े शोज में इस्तेमाल किया जाता है.
दुकानदार ने तोहफे में दे दिया था सितार
क्रिस्टीना की बात सुनकर सलील उनसे बोले कि आपके यहां इसे बॉस सितार कहा जाता है, लेकिन हम लोग इसे सदाबहार सितार कहते हैं. इसके बाद सलील ने उस सितार को बजाने की इजाजत मांगी, जो डेविड ने उन्हें दे दी. अब जैसे ही सलील चौधरी ने सितार बजाना शुरू किया कि वहां मौजूद आसपास के लोग उनके पास एकत्रित हो गए. जब सलील चौधरी ने राग खत्म किया तो वहां एकदम सन्नाटा पसर गया. अपने संगीत से सलील चौधरी ने वहां मौजूद हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया था.
दुकान के मालिक डेविड, सलील से इतना प्रभावित हुए कि वह उनसे बोले कि आप कौन है? मैंने रविशंकर को सुना है. उनके जैसा सितार कोई नहीं बजाता, लेकिन आप उनसे कहीं भी कम नजर नहीं आए. मैं बहुत खुश हूं कि आप मेरी दुकान पर आए. बताइये मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं? यह सुनकर सलील बोले कि मैं ये सितार खरीदना चाहता हूं. इस पर डेविड ने उसने कहा कि इसे आपको खरीदने की जरूरत नहीं है. ये आपको मेरी तरफ से एक तोहफा है.
क्रिस्टीना की आंखों से निकले आंसू
वहीं, क्रिस्टीना राग सुनकर आंखों में आंसू लिए खड़ी थीं. उसने सलील के हाथों को चूमा और उन्हें एक डॉलर देते हुए कहा कि मैं भारतीय लोगों को कम आंकती थी और अमेरिकियों पर ही गर्व करती थी. आपके दुकान पर आने पर मैंने बहुत ही बेमन से आपको सितार दिखाया था, लेकिन मैं आपकी कला को देखकर अंचभित हूं. मैं नहीं जानती कि आगे कभी भविष्य में आपसे मुलाकात हो या न हो, इसलिए मेरे लिए इस डॉलर के नोट पर कुछ लिख दीजिए. सलील ने बहुत ही मुस्कुराते हुए क्रिस्टीना की तरफ देखा और उसके द्वारा दिए गए नोट पर अपना नाम लिख डाला- सलील चौधरी.
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