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‘दहाड़’ : इस साइको किलर की कहानी पर बनी एक वेब सीरीज

HARRY
12 May 2023 4:25 PM GMT
‘दहाड़’ : इस साइको किलर की कहानी पर बनी एक वेब सीरीज
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यहां पढ़िए खूंखार कातिल की पूरी क्राइम कुंडली
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | प्राइम वीडियो की वेब सीरीज 'दहाड़' में अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा एक दारोगा बनी हैं। केस है उनके पास एक लापता लड़की के मामले की जांच का। कहानी में आगे पता चलता है कि आसपास के तमाम जिलों की दर्जनों लड़कियां लापता हैं। सीरीज में विजय वर्मा विलेन के किरदार में नजर आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस सीरीज की कहानी एक असल घटना पर आधरित है? और, विजय वर्मा जिस अपराधी का किरदार कर रहे हैं वह भी एक स्कूल में टीजर ही था। चलिए हम आपको बताते हैं कि इस खूंखार कातिल के बारे में..
सायनाइड एक ऐसा रासायनिक पदार्थ है जिसको सोने की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। और अगर कोई इंसान इसे खा ले तो वह पलक झपकते ही तड़प तड़प कर मर जाता है। यही कारण था कि मोहन उन सारी महिलाओं को सायनाइड देता था। जब महिला मर जाती थी तो वह उसके सारे पैसे और जेवर लेकर फरार हो जाता था। इसी तरह मोहन ने 20 महिलाओं को अपने प्यार के जाल में फंसा उनकी जान ली।
साल 2009 में कर्नाटक के एक छोटे बारीमार से गांव की लड़की अनीता के गायब होने की खबर आई। जिसके बाद गांव भर में यह अफवाह उड़ी की अनीता किसी मुसलमान लड़के के साथ भाग गई है। गांव वाले इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने लगे।
स्थानीय पुलिस पर दबाव बड़ा और केस की गहराई से जांच के आदेश मिले। अनीता का शव गांव से बहुत दूर एक बस स्टेंड के शौचालय में मिला। अनीता का शव जिस हाल में मिला उसे देखते हुऐ पुलिस को एक इस केस की तहकीकात के लिए एक टीम बनानी पड़ी।
अनीता के शव के साथ एक पुलिस को एक फोन मिला। पुलिस ने अनीता के फोन की कॉल डिटेल्स खंगाली तो पता चला की अनीता की सबसे ज्यादा बात कावेरी नाम की एक महिला के साथ हुई है। कावेरी के घर जाकर पता चला कि वह भी कई दिनों से गायब है जिसके बाद कावेरी के फोन से विनुथा का नंबर मिल और पता चला कि वह भी लापता है। ऐसे करते हुए कई एक ही तरह के केस मिले। यह सभी केस एक से थे और आपस में जुड़े हुए थे।
इन फोन नंबरो पर फोन करते करते ही पुलिस मोहन तक पहुंच गई।पुलिस को पहले आशंका था कि मोहन कई सेक्स रैकेट चला रहा होगा। लेकिन जब मोहन ने वारदात की सच्चाई बताई तो सभी के होश उड़ गए। मोहन ने बताया कि साल 2003 से लेकर 2009 तक उसने कर्नाटक और कर्नाटक के बाहर अलग अलग बस स्टैंड पर 20 औरतों को मौत के घाट उतार दिया। मोहन के मुताबिक वह लड़कियों के हिसाब से अपनी पहचान बदल लेता था।
साल 2013 में मैंगलोर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मोहन को सभी अपराधों के तहत दोषी माना और फांसी की सजा सुनाई। 2017 में मोहन को पांच और हत्याओं के लिए दोषी करार दिया गया।
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