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जन्मदिन: पृथ्वीराज कपूर 24 साल की उम्र में निभाई थी जवानी से लेकर बुढ़ापे तक की भूमिका

Shiddhant Shriwas
3 Nov 2021 4:36 AM GMT
जन्मदिन: पृथ्वीराज कपूर 24 साल की उम्र में निभाई थी जवानी से लेकर बुढ़ापे तक की भूमिका
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हिंदी सिनेमा में लंबे समय से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाला कपूर खानदान आज भी बॉलीवुड में काफी सक्रिय है

हिंदी सिनेमा में लंबे समय से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाला कपूर खानदान आज भी बॉलीवुड में काफी सक्रिय है। मूक सिनेमा के दौर से लेकर ब्लैक एंड व्हाइट और रंगीन सिनेमा तक जिन चंद कलाकारों ने अपनी पहचान बनाई उनमें अभिनेता पृथ्वीराज कपूर का नाम भी शामिल है। पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर 1906 को लायलपुर (वर्तमान में फैसलाबाद) के समुंद्री में हुआ। यह इलाका बंटवारे के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बना। उनके पिता बशेश्वरनाथ कपूर इंडियन इंपीरियल पुलिस में अधिकारी थे। पृथ्वीराज कपूर जब 3 साल के थे, तब ही उनकी मां का निधन हो गया था।

पृथ्वीराज को बचपन से ही अभिनय का शौक था। अपने इस शौक पूरा करते हुए उन्होंने लायलपुर और पेशावर के थिएटर से अपने अभिनय की शुरुआत की। महज 8 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार स्कूली नाटक में हिस्सा लिया। इसके बाद पेशावर के एडवर्ड कॉलेज से बैचलर की डिग्री लेने तक नाटकों से उनका लगाव काफी बढ़ गया। अपने रंगमंच प्रेम के चलते पृथ्वीराज कपूर लाहौर आए, लेकिन वहां उन्हें पढ़ा-लिखा होने की वजह से किसी नाटक मंडली में काम नहीं मिला।

इसके बाद वह 1929 में काम की तलाश करते हुए मुंबई पहुंचे और इंपीरियल फिल्म कंपनी में बिना वेतन के अतिरिक्त कलाकार बन गए। इस दौरान साल 1931 में आई फिल्म 'आलमआरा' में उन्होंने 24 साल की उम्र में ही जवानी से लेकर बुढ़ापे तक की भूमिका निभाई। वहीं, फिल्म 'मुगल ए आजम' में उनके अकबर के किरदार को आज भी याद किया जाता है।

बतौर मुख्य अभिनेता उनकी पहली फिल्म साल 1929 में बनी 'सिनेमा गर्ल' थी। अभिनय के शुरुआती दिनों में पूरी नौ मूक फिल्मों में काम करने के बाद पृथ्वीराज देश की पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' में सहायक अभिनेता विद्यापति के तौर पर नजर आए। कई साल फिल्म और कई थिएटरों से जुड़े रहने के बाद पृथ्वीराज ने 1944 में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की। यह समूह देश भर में घूम घूमकर कला प्रदर्शन करता था।

कालिदास द्वारा लिखित नाटक अभिज्ञानशाकुन्तल इस थिएटर के रंगमंच पर प्रदर्शित होने वाला पहला नाटक था। पृथ्वीराज के लगभग 16 वर्षों के सफर के दौरान इस थिएटर में लगभग 2662 नाटकों का मंचन किया गया। वर्तमान में इस थिएटर की देखरेख शशि कपूर की बेटी संजना कपूर करती हैं। साल 1941 में सोहराब मोदी के निर्देशन में बनी फिल्म सिकंदर वह फिल्म थी जिसने पृथ्वीराज कपूर को सुपरस्टार बना दिया।

हिंदी सिनेमा की सबसे सफल फिल्मों में से एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी मुगल ए आजम में पृथ्वीराज कपूर ने अकबर की भूमिका निभाई थी। दिलीप कुमार, मधुबाला, दुर्गा खोटे और निगार सुल्ताना अभिनीत यह फिल्म हिंदी सिनेमा में एक मील का पत्थर साबित हुई। यह फिल्म हिंदी सिनेमा के इतिहास में तब सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी और यह रिकॉर्ड करीब 15 साल तक बरकरार रहा। 2004 में इस फिल्म का रंगीन संस्करण रिलीज किया गया।

फिल्म इंडस्ट्री में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए साल 1969 में भारत सरकार ने पृथ्वीराज कपूर को पद्मभूषण से सम्मानित किया। इसके साथ ही 1972 में उन्हें फिल्म इंडस्ट्री के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से भी पुरस्कृत किया गया। आजीवन हिंदी सिनेमा और भारतीय रंगमंच की सेवा करने के बाद पृथ्वीराज कपूर ने 65 साल की उम्र में 29 मई 1972 को दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके जाने के बाद उनकी आगे की पीढ़ी ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया और फिल्म जगत में एक से बढ़कर एक सितारे दिए जो आज भी हिंदी सिनेमा में अपने उम्दा काम के लिए जाने जाते है।

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