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कारनामों से अपनी दूरी बना ले. साथ ही कहा कि बोर्ड को इसकी आलोचना कड़े शब्दों में करनी चाहिए.
एक अंग्रेजी न्यूज चैनल से बात करते हुए जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने कहा था कि आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल जैसे संगठन तालिबान की तरह ही हैं. इनके रास्ते में भारत का संविधान रुकावट बन रहा है. जरा सा मौका मिले तो ये सीमा लांघने में संकोच नहीं करेंगे.
महाराष्ट्र में ठाणे की एक अदालत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की तुलना तालिबान से कथित रूप से करने पर बॉलीवुड के जाने माने गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) को उनके खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे पर कारण बताओ नोटिस जारी करने का सोमवार को आदेश दिया. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और संयुक्त दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत में आरएसएस के कार्यकर्ता विवेक चंपानेरकर ने मुकदमा दायर कर जावेद अख्तर से मुआवजे के रूप में एक रुपए की मांग की है. अदालत ने नोटिस जारी करने का आदेश दिया, जिसका 12 नवंबर तक जवाब मांगा गया है.
दरअसल एक अंग्रेजी न्यूज चैनल से बात करते हुए जावेद अख्तर ने कहा था कि आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल जैसे संगठन तालिबान की तरह ही हैं. इनके रास्ते में भारत का संविधान रुकावट बन रहा है. जरा सा मौका मिले तो ये सीमा लांघने में संकोच नहीं करेंगे. साथ ही जावेद अख्तर ने भारत में अल्पसंख्यकों के साथ हुई मॉबलिंचिंग को लेकर कहा था कि ये पूरी तरह से तालिबान जैसा बनने से पहले का ड्रेस रिहर्सल है. ये सभी लोग एक ही तरह के हैं, सिर्फ इनके नाम अलग-अलग हैं.
हालांकि बाद में जावेद अख्तर ने सामना अखबार में लेख लिखकर अपनी बात स्पष्ट की. उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि उनके बारे में ये कहा गया है कि वे सिर्फ हिंदू कट्टरवाद पर अपना मुंह खोलते हैं और इस्लामिक कट्टरता पर चुप रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा कहने वाले उनके पिछले कामों से अनजान हैं.
मुस्लिम कट्टरपंथियों के भी खिलाफ हमेशा उठाई है आवाज- जावेद अख्तर
जावेद अख्तर ने लिखा कि पिछले दो दशकों में मुस्लिम कट्टरपंथियों की तरफ से मेरी जान को खतरा होने की वजह से मुझे दो बार पुलिस सुरक्षा दी गई. पहली बार तब जब मैंने तिहरे तिलाक का विरोध किया था, वो भी तब जब देश में इसकी ज्यादा चर्चा भी नहीं थी. 2010 में एक टीवी डिबेट में मैंने पर्दा के रिवाज के खिलाफ मौलाना कल्बे जवाद से जोरदार बहस की थी. मौलाना इस वजह से मुझसे काफी नाराज भी हुए. लखनऊ में मेरे पुतले जलाए गए. मुझे एक बार फिर धमकियों भरे मेल आने लगे. मुझे फिर एक बार पुलिस सुरक्षा मुहैया करवाई गई. इसलिए ये इल्ज़ाम बेबुनियाद है कि मैं मुस्लिम कट्टरतावाद के खिलाफ नहीं बोलता.
तालिबान के समर्थकों की खूब की थी खिंचाई
जावेद अख्तर ने बताया कि उन्होंने 24 अगस्त 2021 को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि अफगानिस्तान में फिर एक बार तालिबान राज कायम होने के बाद मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के दो सदस्यों ने खुशियां जताई थीं. जावेद अख्तर ने ये बेबाक तरीके से कहा था कि मुस्लिम पर्सनल बोर्ड उन दोनों सदस्यों की कारनामों से अपनी दूरी बना ले. साथ ही कहा कि बोर्ड को इसकी आलोचना कड़े शब्दों में करनी चाहिए.
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