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हैदराबाद नरसंहार पार फिल्माई गई इस साउथ फिल्म पर छिड़ा विवाद, द कश्मीर फाइल्स की जा रही तुलना

SANTOSI TANDI
20 Sep 2023 4:20 AM GMT
हैदराबाद नरसंहार पार फिल्माई गई इस साउथ फिल्म पर छिड़ा विवाद, द कश्मीर फाइल्स की जा रही तुलना
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छिड़ा विवाद, द कश्मीर फाइल्स की जा रही तुलना
तेलुगु फिल्म 'रजाकर' का टीजर रिलीज हो गया है। यह फिल्म भारत के इतिहास की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। टीजर रिलीज के साथ ही फिल्म 'रजाकार' पर हंगामा बढ़ गया, सोशल मीडिया पर घमासान शुरू हो गया। यह फिल्म भारत के इतिहास की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। टीजर की शुरुआत में बताया गया है कि 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से आजादी मिल गई, लेकिन हैदराबाद को आजादी नहीं मिल पाई. वहां निज़ाम का शासन था, एक ऐसा इस्लामी शासन जो बर्बरता की हदें पार कर देता था।
इतिहास के पन्नों में दबी हैदराबाद नरसंहार की कहानी बयां करती इस फिल्म को लेकर सिने जगत से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में काफी उत्साह है। सोशल मीडिया पर एक वर्ग जहां इसे 'द कश्मीर फाइल्स' के बाद हिंदुओं के साथ हुए अन्याय का सच दिखाने वाली एक और फिल्म बता रहा है, वहीं कई लोगों का कहना है कि यह देश और समाज के सौहार्द के लिए घातक साबित हो सकती है।
ट्रेलर की बात करें तो फिल्म के 1 मिनट 43 सेकेंड के ट्रेलर में कई ऐसे बर्बर दृश्य हैं, जिन्हें देखने के बाद रूह कांप सकती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे कासिम रिज़वी ने निज़ाम के शासन को बनाए रखने के लिए हर घर पर इस्लामी झंडे लगाने का आदेश दिया था। ट्रेलर में 'रजाकार' बार-बार कहते नजर आ रहे हैं कि हैदराबाद एक इस्लामिक राज्य है। इसमें एक डायलॉग है, 'चारों तरफ मस्जिदें बननी चाहिए. हिंदुओं के पवित्र धागे काट कर आग लगा देनी चाहिए।
निज़ाम के शासन के दौरान हैदराबाद राज्य में राष्ट्रवादी पार्टी का एक स्वयंसेवी अर्धसैनिक बल था। 1938 में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता बहादुर यार जंग द्वारा गठित इस अर्धसैनिक बल का आजादी के समय कासिम रिज़वी के नेतृत्व में काफी विस्तार हुआ। तत्कालीन हैदराबाद के भारतीय संघ में विलय के बाद कासिम रिज़वी को जेल में डाल दिया गया था। बाद में, उन्हें पाकिस्तान जाने की अनुमति दी गई, जहां उन्हें शरण दी गई। 'रजाकार' सैन्य वर्दी में रहते थे और हिंदुओं पर अत्याचार करने के लिए उनकी व्यापक आलोचना की जाती थी।
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