कॉलेज की पृष्ठभूमि पर बनी वेब सीरीज 'कॉलेज रोमांस' के पिछले सीजन में इतने गंदे और अश्लील शब्दों के प्रयोग किए गए कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया और इसका असर यह दिखा कि 'कॉलेज रोमांस सीजन 4' में पिछले सीजन की अपेक्षा कम गालियों का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन सीरीज की कहानी में ऐसी कोई खास बात नजर नहीं आती जो लोगों को आकर्षित कर सके। 'कॉलेज रोमांस सीजन 4' देखने के बाद यही लगता है कि कॉलेज में स्टूडेंट पढाई करने कम बल्कि रोमांस करने जाते हैं
वेब सीरीज 'कॉलेज रोमांस सीजन 4 ' एक बार फिर कॉलेज कैंपस में लौट आया है, जिसमें छात्र क्लास में पढ़ाई नहीं, बल्कि किस लड़के की सेटिंग किस लड़की के साथ है, इस बात पर जोर देते हैं। बीयर पीना और एक दूसरे की टांग खिचाई करना, इस सीजन में आम बात है। बग्गा जब अपनी बहन रावी को एक कमरे का चाभी देते हुए कहता है कि मैंने ताऊ जी को अपने हिसाब से समझा दिया है तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ लिव इन रिलेशन में रह सकती हो। तो समझ आता है कि इस कहानी की दुनिया क्या है?
सीरीज के लेखक- निर्देशक आशुतोष पंकज ने सीरीज की रूपरेखा ऐसी तैयार की है कि सिर्फ वही समझ सकते हैं कि इस सीरीज के माध्यम से क्या दिखाना चाह रहे हैं। जरूरी नहीं कि कॉलेज में जाने वाले सभी छात्र रोमांस करने और बीयर पार्टी ही करने जाते हैं। सीरीज का नाम कॉलेज रोमांस है तो जरूरी नहीं कि सिर्फ रोमांस को ही दिखाकर बाकी पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया जाए।
पांच एपिसोड की इस सीरीज में तीन एपिसोड की कहानी तो पार्टीबाजी, एक-दूसरे की टांग खिंचाई और नाइट कैंप में गुजर जाती है। चौथे एपिसोड में कहानी अपनी पकड़ बनाती है, जब सभी दोस्तों को अपनी-अपनी जिमेदारियों का अहसास होता है और उनको लगने लगता है कि मां-बाप के पैसे पर कब तक अय्याशी करेंगे। कुछ करने की सोच में जब उनका वास्तविक जीवन से पाला पड़ता है तब उन्हें अहसास होता है कि एक छोटे से छोटे काम को शुरू करने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है।
बग्गा कॉलेज कैम्पस में मिले जॉब के ऑफर को ठुकरा कर खुद का बिजनेस शुरू करना चाहता है, लेकिन जैसे ही उसे इस बात का अहसास होता है कि एक छोटे से कैफे खोलने के लिए भी पचास जगह से परमिशन लेनी पड़ती है तो उसकी हिम्मत टूट जाती है और कॉलेज कैम्पस में मिले जॉब को करने की सोचता है। कॉलेज की पढाई के खत्म होने से पहले हर किसी के मन में यह सवाल होता है कि आगे क्या करना है ? यह उम्र ही ऐसी होती है, जहां पर तरह-तरह के ख्याल आते हैं कि आगे क्या करें, नौकरी करें या बिजनेस।