जोधपुर के रेलवे अस्पताल में नर्स के पद पर कार्यरत सविता भाटी अपने जुनून के चलते कौन बनेगा करोड़पति शो में न केवल हॉट सीट तक पहुंची, बल्कि उसने वहां 50 लाख रुपये भी जीते. एक करोड़ का सवाल उसके सामने था, लेकिन मन में संशय के चलते उसने क्विट कर लिया. जब अमिताभ बच्चन से संभावित विकल्प चुनने का कहा तो जो विकल्प उसने चुना, वह सही था. यानी वह आगे खेलती तो एक करोड़ रुपए जीत जाती, लेकिन उसने रिस्क नहीं ली. सविता द्वारा 50 लाख रुपये जीतने की खबर उसके कॉलोनीवासियों को लगी तो वहां जीत का जश्न शुरू हो गया. कॉलोनीवासियों ने आतिशबाजी कर राहगीरों का मुंह मीठा करवाया और जीत का जश्न मनाया और खुशियां बांटी.
सविता बताती है कि उसकी पारिवारिक स्थिति शुरू से ठीक नहीं थी, जिसके चलते बचपन से ही वह कौन बनेगा करोड़पति शो में जाना चाहती थी. इसके लिए तैयारियां कर रही थी. आखिर वह दिन आ गया जब वह हॉट सीट पर थी और सामने अमिताभ बच्चन उससे सवाल पूछ रहे थे. सविता के मुताबिक महानायक अमिताभ बच्चन से मिलना उसके जीवन का सबसे बड़ा पल था. मेरे लिए जीवन के सबसे बड़ा पल था कि मैं उनके सामने हॉट सीट पर बैठी थी और वो हमसे बात करे थे. मुझसे सवाल-जवाब कर रहे थे. यह पल मेरी जिंदगी की डायरी में सबसे सुनहरे शब्दों में लिखे गए पल हैं. सविता के मुताबिक उसकी मां पढ़ी-लिखी नहीं है. लेकिन उसने मुझे हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. यहां तक कि मेरे टीवी देखने पर प्रतिबंध लगाया हुआ था. मुझे सिर्फ घर में कौन बनेगा करोड़पति शो देखने की ही अनुमति थी. जब यह शो टीवी पर प्रसारित होता था. तब घर के किसी भी व्यक्ति को टीवी में चैनल चेंज करने की छूट में नहीं देती थी.
सविता के पिता सिटीबस चलाते थे. उसका पीहर चांदपोल के बाजी पॉल में है. 2004 में उसके पिता जगदीश भाटी मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद उसका भाई सिटी बस चलाने लगा. कोरोना संक्रमण काल के दौरान लॉकडाउन लगा और सिटी बसों का संचालन बंद हो गया. जिसके बाद मजबूरी में उसके भाई ने सिटी बस बेच कर एक कार खरीदी और उसे नगर निगम में अनुबंध पर लगाया. उसका भाई नगर निगम उपायुक्त की कार चलाता है. सविता ने बताया कि उसे बधाई देने वालों का सिलसिला अभी तक नहीं थमा है. दिन भर लोगों के फोन आते हैं और बधाई देते हैं. लेकिन वह फोन रिसीव करके थकती नहीं है, बल्कि उसे खुशी होती है कि कितने लोग उनके हितैषी हैं. जो जिन्हें उनकी खुशी में खुशी मिली है और वे बधाई दे रहे हैं.
जीवन में पद की जगह पैसे की कितनी अहमियत होती है यह बात कविता की कहानी को जानने के बाद समझ में आती है. बीएससी और जीएनएम डिप्लोमा करने के बाद उसे रेलवे में जीएनएम के पद पर नियुक्ति मिली. साल 2007 में शादी के बाद दो बार बैंक में सलेक्शन हुआ, लेकिन प्रेग्नेंट होने की कारण उसने ज्वाइन नहीं किया. उसके बाद आरएएस परीक्षा पास कर ली और उसे कॉर्पोरेट इंस्पेक्टर का पद मिला. लेकिन उसके सामने यह दुविधा थी कि वह आरएएस को ज्वाइन करे या उसे अच्छे पे स्केल वाले रेलवे के जीएनएम के पद पर बने रहना है. आखिर उसने यह निर्णय लिया कि और इसी पद पर बनी रहेगी. सविता ने बताया कि उन्होंने ऋण लेकर अपना मकान बनाया था. केबीसी में जीते गए 50 लाख रुपए में से सबसे पहले तो वे अपने मकान के ऋण को चुकता करेंगी. सविता ने कहा कि मैंने हरिवंश राय बच्चन की एक कविता बचपन में पढ़ी थी. तब से ही मेरे मन में यह विचार था कि एक बार समुद्र के किनारे जाकर समुद्र की लहरों से बात करूंगी. अब वह सपना जल्द पूरा होगा.