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पाकिस्तान को जे-10 लड़ाकू विमानों की दूसरी बैच सौपेगा चीन, जानें राफेल के मुकाबले कितना ताकतवर

Rounak Dey
17 Sep 2022 8:02 AM GMT
पाकिस्तान को जे-10 लड़ाकू विमानों की दूसरी बैच सौपेगा चीन, जानें राफेल के मुकाबले कितना ताकतवर
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इसके अलावा भारत के राफेल में हवा से जमीन पर मार करने वाले बेहद घातक स्कैल्प मिसाइल को भी फायर किया जा सकता है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान को अपने सदाबहार दोस्त चीन से जे-10 लड़ाकू विमान की दूसरी खेप मिलने वाली है। इस खेप में 8 लड़ाकू विमान शामिल होंगे। चीन ने पहली खेप में 6 लड़ाकू विमान पाकिस्तान को सौंपे थे। पाकिस्तान ने चीन से कुल 36 जे-10 लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया था। इन लड़ाकू विमानों से पाकिस्तानी वायु सेना में दो स्क्वॉड्रन बनाए जाएंगे, जिनकी तैनाती भारत से लगी सीमा पर की जाएगी। चीन का जे-10 इजरायल के पुराने लड़ाकू विमान आईएआई लवी का एक कॉपी है। इजरायल ने अपने लड़ाकू विमान की डिजाइन चीन के साथ साझा की थी। जिसकी तकनीक के आधार पर चीन की चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ग्रुप ने चेंगदू जे-10 लड़ाकू विमान को विकसित किया।


चीन ने इजरायल से दोस्ती गांठकर बनाया था जे-10
चीन का जे-10 लड़ाकू विमान इजरायली तकनीक पर आधारित है। इजरायल ने करोड़ों डॉलर के इस प्रॉजेक्ट को साल 1987 में बंद कर दिया था। इस प्रॉजेक्ट को बंद करने के लिए तत्कालीन इजरायली प्रधानमंत्री यित्जाक शमीर की कैबिनेट के 13 में से 12 मंत्रियों ने अपना समर्थन दिया था। कैबिनेट ने उप प्रधानमंत्री शिमोन पेरेस के प्रस्तावित 100 मिलियन डॉलर के बजट को मंजूरी देते हुए इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज को भविष्य की तकनीक विकसित करने का आदेश दिया था। जिसके बाद इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने एक प्रोटोटाइप भी विकसित कर लिया, लेकिन यह विमान कभी सीरियल प्रोडक्शन की लाइन में नहीं जा सका।

अमेरिका के दबाव में इजरायल ने बंद किया था यह प्रोजेक्ट
दावा किया जाता है कि इजरायल ने आईएआई लवी प्रॉजेक्ट को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के दबाव में बंद किया था। रीगन प्रशासन ने इजरायल के इस प्रोजेक्ट को इसलिए बंद करने का आदेश दिया था ताकि दोनों देश साथ मिलकर भविष्य के लिए नया विमान विकसित कर सके। अमेरिका ने ऑफर दिया था कि अगर इजरायल इसमें शामिल होता है तो वन न सिर्फ तकनीक को साझा करेगा, बल्कि इजरायल को रक्षा उद्योगों के लिए अनुसंधान और विकास के बुनियादी ढांचे को विकसित करने में मदद करने की पेशकश भी करेगा।

चीन का जे-10 कितना ताकतवर
चीन के पास चेंगदू जे-10 विमान ही सबसे बड़ी संख्या में मौजूद है। लगभग 488 J-10 वेरिएंट चीनी वायु सेना और चीनी नौसेना की एविएशन विंग में शामिल हैं। 2005 में लॉन्च किया गया J-10 डेल्टा विंग और कैनार्ड डिजाइन वाला सिंगल-इंजन मल्टीरोल फाइटर है। J-10 में 11 हार्डपॉइंट, एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड एरे रडार और एक 23 एमएम की गन लगाई गई है। ऐसा माना जाता है कि यह मैक 2 की स्पीड से लगभग 60,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।

जे-10 की खासियतें जानें
जे-10 के कॉकपिट में तीन लिक्विड क्रिस्टल (एलसीडी) मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले लगे हुए हैं। इसके अलावा इस विमान में चीन में ही बना हुआ एक होलोग्राफिक हेड-अप डिस्प्ले भी लगा हुआ है। ये सभी डिस्प्ले चीन में बने अडवांस हेलमेट माउंटेड साइट के साथ आसानी से काम कर सकते हैं। चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री कॉरपोरेशन के अधिकारियों के अनुसार J-10 में चीन में डिजाइन किए गए मल्टी-मोड फायर-कंट्रोल रडार का इस्तेमाल किया गया है। इस विमान में प्लानर ऐरे एंटीना लगा हुआ है, जो एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है। जे-10 को पावर देने के लिए इसमें AL-31FN टर्बोफैन इंजन का इस्तेमाल किया गया है।

राफेल हर मामले में J-10 से बेहतर
राफेल में भारत की जरूरतों के हिसाब से बदलाव किया गया है। राफेल की रेंज 3,700 किलोमीटर है। यह लड़ाकू विमान अपने साथ अलग-अलग तरह की कई मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है। राफेल की लंबाई 15.30 मीटर और ऊंचाई 5.30 मीटर है। राफेल का विंगस्‍पैन सिर्फ 10.90 मीटर है जो इसे पहाड़ी इलाकों में उड़ने के लिए आदर्श एयरक्राफ्ट बनाता है। विमान छोटा होने से उसकी मैनुवरिंग में आसानी होती है। राफेल इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर टेक्नोलॉजी के हिसाब से दुनिया में सर्वोत्तम लड़ाकू विमान है। इसमें मिटिओर और मीका जैसी दुनिया की सबसे घातक मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं। इसके अलावा भारत के राफेल में हवा से जमीन पर मार करने वाले बेहद घातक स्कैल्प मिसाइल को भी फायर किया जा सकता है।

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