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यह कार्यक्रम ‘अजाफरान’ संस्था के द्वारा चलाए जा रहे ‘हैप्पी माइंड’ पहल का एक हिस्सा था जिसके तहत कमजोर वर्ग के बच्चों के बीच मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को उठाया जाता है
यह कार्यक्रम 'अजाफरान' संस्था के द्वारा चलाए जा रहे 'हैप्पी माइंड' पहल का एक हिस्सा था जिसके तहत कमजोर वर्ग के बच्चों के बीच मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को उठाया जाता है और समस्या का समाधान आर्ट-थेरेपी से करने की कोशिश की जाती है.
टिस्का ने बच्चों के साथ अपने शानदार पल बिताते हुए अपने भीतर छिपे हुए कलाकार को तलाशने की कोशिश की.
अपनी इस सफर और हैप्पी माइंड की पहल पर बोलते हुए टिस्का ने बताया कि "अगर बाल दिवस के दिन बच्चों को सम्मान देने का सबसे अच्छा कोई तरीका है तो मैंने आज उसे यहां महसूस किया. मैंने यहां हर बच्चे से मुलाकात की और पाया कि सबमें जबरदस्त प्रतिभा है. मैं समझती हूं कि जो कला वे स्केच के द्वारा तैयार कर रहे हैं, उससे भविष्य में वे बड़ी चीजें करने में सक्षम होंगे.
खास बात यह रही कि उन्होंने सलाम बालक ट्रस्ट से जुड़े हर बच्चे के साथ अपना समय देने की कोशिश की. अपनी इस सफर और हैप्पी माइंड की पहल पर बोलते हुए टिस्का ने बताया कि "अगर बाल दिवस के दिन बच्चों को सम्मान देने का सबसे अच्छा कोई तरीका है तो मैंने आज उसे यहां महसूस किया. मैंने यहां हर बच्चे से मुलाकात की और पाया कि सबमें जबरदस्त प्रतिभा है. मैं समझती हूं कि जो कला वे स्केच के द्वारा तैयार कर रहे हैं, उससे भविष्य में वे बड़ी चीजें करने में सक्षम होंगे.
हैप्पी माइंड की पहल एक अच्छा प्रयास है और इससे पता चल जाता है कि कला में राहत पहुंचाने की कितनी बड़ी शक्ति है.
बचपन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित है और "हैप्पी माइंड" के माध्यम से अजाफरान बच्चों के अंदरूनी भावनाओं को कला के माध्यम से सामने लाने के लिए महत्वपूर्ण काम कर रहा है.
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