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सेंसर बोर्ड ने ट्रेलर को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया

Sonam
3 July 2023 10:30 AM GMT
सेंसर बोर्ड ने ट्रेलर को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया
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स समय फिल्म ‘72 हूरें’ की काफी अधिक चर्चा है. हाल ही में फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ, जिसे लेकर टकराव हो गया. सेंसर बोर्ड ने फिल्म के ट्रेलर को सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया. इसी वजह से ट्रेलर को केवल औनलाइन माध्यमों पर ही रिलीज किया गया.

जाहिर है कि फिल्म बहुत गंभीर विषय पर बनी है. जैसा कि ट्रेलर में दिखाया गया है कि कुछ मौलवी- मौलाना, लोगों को 72 हूरों का लालच दिखाकर आतंकी बनाते हैं. उन्हें सुसाइड बॉम्बर बना कर मासूम लोगों को मारने के लिए बरगलाते हैं.

इस फिल्म से जुड़े लोगों का मानना है कि उन्होंने ये फिल्म आतंकवाद को एक्सपोज करने के लिए बनाई है. प्रोड्यूसर अशोक पंडित ने बोला कि उनकी ये फिल्म किसी पंथ या समुदाय के विरूद्ध नहीं है.

अशोक ने बोला कि इस फिल्म से केवल उन लोगों को परेशानी होगी जो आतंकवादियों को सपोर्ट करते हैं. जिन लोगों की इससे दुकान चलती है, ये फिल्म उन्हें कटघरे में जरूर खड़ा करेगी. जो लोग आतंकवाद के विरूद्ध होंगे उन्हें ये फिल्म एकदम पसंद आएगी.

अशोक पंडित ने कहा- बम कहीं पर जाति-धर्म देख कर नहीं फटता

इस फिल्म को देखने के बाद शायद एक खास वर्ग को इससे विरोध हो सकती है. यदि ऐसा होता है कि तो अशोक पंडित क्या करेंगे. उत्तर में उन्होंने कहा, “ये फिल्म किसी धर्म विशेष के विरूद्ध नहीं है. हमने बार-बार इस चीज को दोहराया है. यदि आप आतंकवाद संबंधी गतिविधियों का समर्थन करते हैं, तो आपको इस फिल्म से विरोध हो सकती है.

इस समय पूरी दुनिया आतंकवाद से पीड़ित है, इसलिए कोई फिल्म मेकर इस विषय पर फिल्म बनाता है तो सभी को इसका सपोर्ट करना चाहिए. यदि बम फटता है तो वो जाति धर्म देख कर नहीं फटता है. इससे हानि पूरी इन्सानियत का होता है.”

‘लोगों को खूबसूरत लड़कियों की लालसा देकर आतंकवादी बनाया जाता है’

अशोक से पूछा गया कि 72 हूरों का कॉन्सेप्ट क्या है, और उन्होंने इस कॉन्सेप्ट पर फिल्म बनाने की क्यों सोची? उत्तर में वे कहते हैं, “आपको भी पता है 72 हूरों का मतलब क्या है, लोगों को इसकी लालसा दी जाती है, उन्हें बोला जाता है कि वहां भी खूबसूरत लड़कियां मिलेंगी, और भी काफी सुख- सुविधाएं मिलती है. फिर कुछ लोग इस लालच में पड़ जाते हैं.

वे सभी को काफिर की नजर से देखने लगते हैं और निर्दोषों की जान लेते हैं.” ये पूछे जाने पर कि क्या 72 हूरों जैसा कोई कॉन्सेप्ट किसी धर्म ग्रंथ में उल्लेखित है. उत्तर में अशोक पंडित ने कहा, “72 हूरें एक रियल कॉन्सेप्ट है, हम प्रत्येक दिन इसके बारे में सुनते हैं.”

‘विरोधियों ने मिलकर मेरा ट्विटर एकाउंट सस्पेंड कराया, मीडिया इस मामले को उठाए’

फिल्म रिलीज से पहले अशोक पंडित का ट्विटर एकाउंट सस्पेंड हो गया है. इस पर उन्होंने कहा, “ये मामला तो आप लोगों को उठाना चाहिए कि मेरा ट्विटर एकाउंट क्यों सस्पेंड हुआ. जब मैंने फिल्म का टीजर लॉन्च किया तो मेरे एकाउंट पर 27 लाख व्यूज थे. टीजर लॉन्च करने के चार-पांच दिन बाद मेरा एकाउंट सस्पेंड हो गया.

मुझे लगता है कि ये कम्युनिस्टों और अर्बन उग्रवादियों की षड्यंत्र है. एक बड़ा तबका है जो हमारे नैरेटिव के विरूद्ध है, उन सभी ने मास रिपोर्ट करके मेरी आईडी सस्पेंड करा दी है.

हमने उन लोगों के नैरेटिव को ध्वस्त किया है, जो राष्ट्र विरोधी हैं. जो JNU में राष्ट्र विरोधी नारे लगाते हैं. जिनके तार बाहरी ताकतों के साथ जुड़े हुए हैं. 2014 के बाद हमें एक आवाज मिली. ऐसा पहली बार हुआ है कि हम उनके घर में घुस कर प्रश्न पूछ रहे हैं. वर्षों से बनाए हुए उनके नैरेटिव को हम एक्सपोज कर रहे हैं.

‘पहले इन मुद्दों पर बनने वाली फिल्में रिलीज नहीं हो पाती थीं’

हम पिछले कुछ वर्षों से देख रहे हैं कि लीक से हटकर फिल्में बन रही है. उदाहरण के लिए द कश्मीर फाइल्स और द केरला स्टोरी जैसी फिल्में हैं. ऐसी फिल्में हमें पहले क्यों नहीं देखने को मिलती थीं.

जवाब में अशोक पंडित कहते हैं, “हमें पहले ऐसी फिल्में बनाने की स्वतंत्रता नहीं थी. यदि इन मुद्दों पर फिल्में बनती भी थीं, तो वो रिलीज नहीं हो पाती थीं. इन मुद्दों पर बनने वाली फिल्में बैन भी हो जाती थीं. अभी ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं कि राष्ट्र में फ्रीडम नहीं है. मुझे तो लगता है कि फ्रीडम पिछली सरकारों के समय नहीं थी.”

फिल्म की रिलीज के समय कोई टकराव हुआ तो क्या करेंगे अशोक पंडित?

ये फिल्म द कश्मीर फाइल्स और द केरला स्टोरी से भी अधिक सेंसिटिव लग रही है. फिल्म की रिलीज के बाद यदि कोई टकराव होता है, तो उसका उत्तर कैसे देंगे. अशोक पंडित ने कहा, “ये काम तो लॉ एंड ऑर्डर का है. हम तो बहस करने के लिए तैयार है. कायदे-कानून से विरोधियों को समझाने की प्रयास करेंगे. हम यहां लड़ाई करने के लिए थोड़ी बैठे हैं.

द कश्मीऱ फाइल्स और द केरला स्टोरी को लाखों लोगों ने देखा. कोई कुछ नहीं कर पाया. मुझे नहीं लगता है कि कोई बुद्धिजीवी या कोई पढ़ा-लिखा आदमी हमारी फिल्म का विरोध करेगा.”

अशोक पंडित ने सेंसर बोर्ड के साथ हुए टकराव पर भी बात की. उन्होंने कहा, “सेंसर बोर्ड ने फिल्म के ट्रेलर को सर्टिफिकेट नहीं दिया जबकि ट्रेलर में वहीं दिखाया है जो फिल्म में है. इस फिल्म का इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इण्डिया (IFFI) में प्रीमियर भी हो चुका है. 2021 में फिल्म के डायरेक्टर संजय पूरण सिंह चौहान को नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है.”

इस्लामिक स्कॉलर ने कहा- जन्नत में हूरें मिलती हैं, ये सच है. हालांकि नंबर्स का कोई उल्लेख नहीं है।।

72 हूरों के कॉन्सेप्ट को ठीक से समझने के लिए हमने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज के प्रोफेसर जुनैद हारिस से बात की.

उन्होंने कहा, “दुनिया के अंदर शांति कायम करने और बुराई समाप्त करने के लिए एक कॉन्सेप्ट है, जिसे आख्रत कहते हैं. आख्रत में बोला गया है कि जीवन में आपके साथ भले ही कितनी भी ज्यादती हुई हो, लेकिन आप कभी किसी का बुरा मत करिए.

अब भले ही इस जीवन में आपको उसका फल नहीं मिलता है, लेकिन मरने के बाद एक नयी दुनिया प्रारम्भ होती है. वहां आपके अच्छे कर्मों का पूरा फल मिलेगा. यदि आपके कर्म बुरे होंगे तो उसी हिसाब से आपके लिए सजा भी नियत की जाएगी. अच्छे कर्म करने वाले आदमी को जन्नत ( स्वर्ग) नसीब होगा.

जन्नत में हर मनचाही चीजें मिलेगीं. आदमी जिस भी चीज की ख़्वाहिश रखनी चाहे, उसे वहां वो सब मिलेगा. जाहिर सी बात है कि यौन ख़्वाहिश भी एक अहम चीज होती है. इसलिए उसके यौन इच्छाओं की भी पूर्ति होती है. हालांकि ये बात केवल मर्दों के लिए लागू नहीं होती. स्त्रियों की भी यौन इच्छाओं की समान रूप से पूर्ति होती है.

अब बात जहां तक नंबर की है, उसका कुरान में कहीं जिक्र नहीं है. 72 की संख्या काफी हद तक सिंबोलिक हो सकती है. यदि किसी मर्द या महिला की ख़्वाहिश एक से अधिक साथी के साथ रिलेशन बनाने की होगी, तो उसे वो भी मिलेगी.

ये बात कन्फर्म है कि मरने के बाद जन्नत में हूरों की प्रबंध है, लेकिन अब ये कितनी हैं इस पर कोई बात नहीं की जा सकती. खैर मरने के बाद की जीवन तो खुदा ही जानता है लेकिन आदमी अपने पूरे जीवन में जो भोगता है, उसके कहीं अधिक बेहतर चीजें जन्नत में मिलती हैं. वहां आदमी को हर एक सुख-सुविधा मिलती है, जिसे वो सोच भी नहीं सकता.“

प्रोफेसर जुनैद ने ये भी बोला कि आदमी की मृत्यु चाहे जिस भी समय हो. वो ऊपर जाकर एक जवान आदमी ही बनता है. उसकी उम्र 33 वर्ष के बीच होती है. मतलब आप ये समझिए कि ये एक ऐसी हालत होती है, जब आदमी पूरी तरह जवान और स्वस्थ रहता है. ये सभी बातें मर्द और महिला दोनों के लिए समान रूप से लागू होती हैं.”

प्रोफेसर जुनैद ने बोला कि जो लोग 72 हूरों की लालसा देकर आतंकवाद की बात करते हैं, वो इन्सानियत के शत्रु हैं. आदमी अपने कर्म से जन्नत में जाता है, यदि वो जीते जी लोगों की जान लेगा तो उसे हूरें तो क्या नर्क भी नसीब नहीं होगा.

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