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किरदारों से समाज में लाईं बदलाव, जीत चुकी हैं 5 नेशनल अवॉर्ड

Manish Sahu
24 Sep 2023 6:38 PM GMT
किरदारों से समाज में लाईं बदलाव, जीत चुकी हैं 5 नेशनल अवॉर्ड
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नई दिल्ली: शबाना आजमी ने श्याम बेनेगल की फिल्म 'अंकुर' से डेब्यू किया और पहली ही परफॉर्मेंस से नेशनल अवॉर्ड जीता और हिंदी सिनेमा के नए दौर की प्रतीक बन गईं. उन्होंने 'मासूम', 'अर्थ' और 'अमर अकबर एंथनी' जैसी फिल्मों के जरिये स्त्री मन के कई रंग दिखाए. उन्होंने नई फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' से एक बार फिर दर्शकों का दिल जीता. उन्होंने पर्दे पर कई अनूठे किरदार निभाए.
शबाना आजमी ने 'अंकुर' के अलावा 'अर्थ', 'खंडहर', 'पार' और 'गॉडमदर' के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता. वे मशहूर कवि कैफी आजमी और एक्ट्रेस शौकत के घर जन्मीं थीं. वे हमेशा दोस्तों से अपने पिता का नाम छिपाती थीं, लेकिन एक बार अखबार में जब कैफी आजमी को फिल्म के गीतकार के तौर पर संबोधित किया गया, तो उनका राज खुल गया.
चूंकि शबाना आजमी के पिता कम्यूनिस्ट पार्टी से जुड़े थे और उनके घर फैज अहमद फैज, फिराक गोरखपुरी जैसे नामचीन शायरों का आना-जाना था, शबाना एक जिम्मेदार और फिक्रमंद एक्टिविस्ट के रूप में उभरीं.
शबाना बचपन में काफी संवेदनशील थीं. मीडिया रिपर्ट के अनुसार, उन्हें मां और भाई की बातें काफी चुभ जाती थीं. वे परिवार की आर्थिक स्थिति को लेकर भी बहुत फिक्रमंद थीं. शबाना ने कभी पेट्रोल पंप पर कॉफी बेची थी, जिससे वे एक दिन में 30 रुपये कमाने लगी थीं.
शबाना आजमी ने सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की थी और अपने सीनियर फारुख शेख के साथ मिलकर एक हिंदी थियेटर ग्रुप शुरू किया था, लेकिन फिल्म में काम करने की इच्छा पहली बार फिल्म 'सुमन' में जया बच्चन की परफॉर्मेंस को देखकर हुई. वे आज बॉलीवुड की उम्दा एक्ट्रेसेज में से एक हैं. बता दें कि शबाना पिछली बार फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में नजर आई थीं, जिसमें धर्मेंद्र के साथ उनकी खूबसूरत केमिस्ट्री को कॉफी सराहा है.
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