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Birth Anniversary: खय्याम साहब ने 70 वर्षों तक अपने गानों से लोगों को किया अट्रैक्ट, कई गाने रहे करियर के माइलस्टोन
Bhumika Sahu
18 Feb 2022 2:02 AM GMT
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खय्याम (Khayyam) ने साल 1979 में आई फिल्म 'माजून' के लिए धुन तैयार की थी जिसके बाद राजेश खन्ना ने उन्हें एक कार गिफ्ट की थी. हालांकि, ये फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हुई.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी (Mohammad Zahur Khayyam Hashmi) जिन्हें लोग खय्याम के नाम से जानते हैं. ये हिंदी सिनेमा (Hindi Cinema) में एक जाना-माना नाम हैं. उन्हें एक संगीत निर्देशक और संगीतकार (Music Director) के रूप में जाना जाता है. खय्याम साहब ने 70 वर्षों से ज्यादा वक्त तक अपने संगीत से लोगों को अपनी तरफ अट्रैक्ट किया. आज भी लोग उनके बनाए गानों को सुनते हैं. वो ऐसे गानों में शुमार रहे हैं जिनके मतलब बहुत ही सार्थक थे. हकीकत की जिंदगी में उन गानों का वास्ता था. हर शख्स उन गानों से खुद को रिलेट करता था और उन गानों को सुनते हुए खो जाता था.
खय्याम साहब का जन्म पार्टीशन से पहले के भारत के पंजाब में साओनदत हुसैन के रूप में राहोन, नवांशहर जिले में हुआ था. ये उस वक्त जालंधर जिले की नवांशहर तहसील हुआ करती थी. खय्याम साहब बहुत ही कम उम्र में ही संगीत सीख गए थे. संगीत के प्रति उनके जुनून की वजह से ही वो संगीत सीखने के लिए दिल्ली आ गए थे. लेकिन बाद में उन्हें अपनी एजुकेशन पूरी करने के लिए अपने घर वापस जाना पड़ा था. वो वापस दिल्ली नहीं लौटे बल्कि संगीत सीखने के लिए वो लाहौर के प्रसिद्ध बाबा चिश्ती के पास चले गए.
1947 से की थी फिल्मी करियर की शुरुआत
खय्याम साहब ने एक संगीत के रूप में अपने करियर की शुरुआत एक गायक के तौर पर साल 1947 में आई फिल्म 'रोमियो एंड जूलियट' से की. इस फिल्म के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस फिल्म के बाद उन्होंने कई फिल्मों में अपने बेहतरीन गायकी, संगीत निर्देशन और गीत लेखन से सबका दिल जीत लिया था.
साल 2011 में भारत सरकार के जरिए उन्हें तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया. इसके अलाव भी उन्हें कई सारे पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. उन्होंने कई आइकॉनिक फिल्मों कभी-कभी और उमराव जान में बेहतरीन संगीत दिया. फिल्म इंडस्ट्री में खय्याम साहब ने तकरीबन 4 दशकों तक काम किया और इस दौरान उन्होंने 35 फिल्मों में संगीत दिया. ये बड़ी ही दिलचस्प बात है जिसके बारे में लोगों को शायद पता ही नहीं होगा कि खय्याम साहब ने कुछ फिल्मों में शर्माजी के नाम से संगीत दिया है.
खय्याम साहब ने 1970 के दशक के आखिर और 1980 के दशक की शुरुआत में कई यादगार संगीत दिए. जिनमें त्रिशूल, थोड़ी सी बेवफाई, बाजार, डार, नूरी, नखुडा, सावल, बेपनाह, जैसे गाने हैं.
खय्याम ने साल 1979 में आई फिल्म 'माजून' के लिए धुन तैयार की थी जिसके बाद राजेश खन्ना ने उन्हें एक कार गिफ्ट की थी. हालांकि, ये फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हुई. खय्याम ने कमाल अमरोही के जरिए निर्देशित 1983 में आई फिल्म 'रजिया सुल्तान' के लिए संगीत तैयार किया. लता मंगेशकर के जरिए गाया गया उनका गीत 'ऐ दिल-ए-नादान' उनके करियर में एक मील का पत्थर माना जाता है.
19 अगस्त 2019 को हुआ था उनका निधन
अपने आखिरी दिनों में खय्याम साहब कई बीमारियों से पीड़ित हो गए थे. 28 जुलाई 2019 को फेफड़ों में संक्रमण की वजह से उन्हें मुंबई के जुहू स्थित सुजय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 19 अगस्त 2019 को रात के 9:30 बजे 92 साल की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के चलते उनका निधन हो गया था.
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